जमीन घोटालाः निगम ने चहेती संस्था के नाम कर दी बेशकीमती जमीन
ऋषिकेशः प्रदेश में डबल इंजन की सरकार होने के बावजूद भी भ्रष्टाचार पर नकेल नहीं लग पा रहा है। ताजा मामला ऋषिकेश नगर निगम का है जहां निगम प्रशासन ने अपने चहेतों के नाम भूमि कर दी। दरअसल निगम ने नामांतरण प्रक्रिया में वास्तविक दस्तावेजों को नजरअंदाज कर संपत्ति संख्या 56/78 आदर्श नगर को अपनी चहेती संस्था के नाम कर दिया। जिससे नामांतरण प्रक्रिया में कर विभाग के अफसर न सिर्फसवालों के घेरे में हैं बल्कि निगम की कार्यप्रणाली पर भी सवालिया निशान खड़े हो रहे हैै। वह भी तब जब देश, प्रदेश और निगम में भी भारतीय जनता पार्टी सत्तारूढ़ है। आपको बता दें कि इस मामले की पुष्टि विभागीय स्तर पर हुए आपसी पत्राचार से हुई। हाल ही में नगर आयुक्त को भेजे गए रिपोर्ट में भी साफ हुआ है कि नामांतरण प्रक्रिया में वास्तविक तथ्यों को नजरअंदाज कर बेशकीमती संपत्ति एक संस्था के नाम दर्ज की गई है।
नगर निगम ने जिस संपत्ति में घालमेल किया है दरअसल वह संपत्ति कोआपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी लिमिटेड की थी। जिसे 19 जनवरी 1979 को गंगागिरी स्मारक ट्रस्ट को बेची गई। इसी के आधार पर तत्कालीन नगर पालिका के अभिलेखों में आदर्श नगर स्थित यह संपत्ति गंगागिरी स्मारक ट्रस्ट के नाम दर्ज कर दी। बाद में हाउसिंग सोसायटी की ओर से स्वामी गंगागिरी ट्रस्ट के खिलाफ फास्ट ट्रैक अपर जिला सत्र न्यायालय में मुकदमा दायर किया गया। कोर्ट ने ट्रस्ट की संपत्ति की रजिस्ट्री को अमान्य (खारिज) घोषित कर दिया।
इसी क्रम में कोर्ट के आदेश का पालन करते हुए उक्त संपत्ति को कोआॅपरेटिव सोसायटी के नाम दर्ज करने के लिए पालिका में पेश किया गया। चैंकाने वाली बात यह है कि पालिका प्रशासन ने 10 सितंबर 2007 से अब तक इस आवेदन पर ध्यान ही नहीं दिया। दिलचस्प पहलू ये है कि हाउसिंग सोसायटी के जिस आवेदन पर कई साल तक पालिका प्रशासन ने गौर ही नहीं किया उसे नगर निगम के अफसरों ने रातों-रात गंगागिरी ट्रस्ट के नाम कर दिया।
मामले को लेकर मेयर अनीता ममगाईं ने जांच समिति बनाई थी। उन्होंने बताया कि जल्द इस मामले को लेकर बैठक होगी। जांच समिति रिपोर्ट आ गई है, जो भी दोषी पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई की संस्तुति की जाएगी। वहीं, तथाकथित जांच समिति को लेकर पार्षद अजीत सिंह गोल्डी ने बताया कि कोई जांच गठित नहीं की गई है। समिति गठित करने से वो पहले ही मना कर चुके हैं।