लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे- हर दूसरे दिन हादसा, चौथे दिन एक मौत
सूबे की राजधानी लखनऊ को ताजनगरी आगरा से जोड़ने वाला लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे आज एक साल का सफर पूरा कर चुका है। करोड़ों की लागत से रिकॉर्ड समय में बनकर तैयार हुए इस एक्सप्रेस-वे ने देश के सामने नजीर पेश की है। इस पर सफर करने वाले खुशी से चहकते दिखते हैं। वायुसेना ने भी इसका लोहा माना है। लेकिन एक दर्दनाक पहलू यह भी है कि तरक्की को रफ्तार देने वाले इस एक्सप्रेस-वे ने कई जिंदगियां भी छीन लीं।
पिछले साल 21 नवम्बर को सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इसे जनता को समर्पित किया था। इस एक साल में यह एक्सप्रेस-वे बेहतर सफर के लिए मील का पत्थर साबित हुआ है। लम्बी दूरी का सफर कम समय में तय करने वाले लोग एक्सप्रेस-वे को ही चुनते हैं। इससे न सिर्फ आसपास के लोगों को लखनऊ और आगरा जाने के लिए बेहतर विकल्प मिला है, बल्कि जो लोग इस इलाके के नहीं हैं, वह भी अपना सफर इसी एक्सप्रेस-वे पर करते हैं। दिल्ली से आगरा होकर लखनऊ के रास्ते पुर्वांचल और बिहार जाने वाले भी इस एक्सप्रेस-वे से सफर करना ज्यादा पसंद करते हैं।
चूक लेती है जान
सफर के दौरान जरा सी चूक लोगों की जान लेकर ही जाती है। गुजरे एक साल पर नजर दौड़ाएं तो अब तक कन्नौज जिले में ही एक्सप्रेस-वे पर चार सैकड़ा से ज्यादा हादसे हो चुके हैं। कन्नौज जिले से होकर गुजरे एक्सप्रेस-वे पर पूर्वी सीमा से लेकर पश्चिमी सीमा तक अलग-अलग स्थानों पर कई हादसे हो चुके हैं।
हर दूसरे दिन हादसा, चौथे दिन एक मौत
पिछले एक साल पर कन्नौज के ही इलाके में हुए हादसों पर नजर डालें तो हर दूसरे दिन एक हादसा होता है। चूंकि गाडि़यों की रफ्तार काफी होती है, ऐसे में हादसे की जद में आने वालों का बचना भी मुश्किल हो जाता है। अकेले कन्नौज क्षेत्र में गुजरे एक साल में दो सैकड़ा से ज्यादा हादसे हुए हैं और सैकड़ा से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है।
बाहर के लोग ज्यादा होते हैं हादसे का शिकार
साल भर में जितने भी हादसे हुए हैं, उनमें ज्यादातर लोग कन्नौज जिले के बाहर के हैं। उसमें भी कई तो दूसरे प्रदेश के हैं। इसके पीछे वजह यह मानी जा रही है कि साफ-सुथरा बिन ट्रैफिक का एक्सप्रेस-वे देखकर लोग निर्धारित सीमा से भी ज्यादा स्पीड से गाडि़यां चलाते हैं। उन्हें बीच रास्ते का भी अंदाजा नहीं होता है, ऐसे में जरा सी भी चूक उनकी जिंदगी पर भारी पड़ती है।
हादसे की अहम वजह
-तेज रफ्तार, आवार जानवर का बीच में आना, नियमों की कम जानकारी और ट्रैफिक नियमों की अनदेखी से ही ज्यादातर हादसे हुए हैं।
-100 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से ही चलने की इजाजत है, लेकिन गाडि़यां हवा में बातें करती हैं, उस दौरान हलकी सी चूक के बाद संभलने का मौका नहीं मिलता है।
यहां अक्सर होते हादसे
कन्नौज जिले से होकर गुजरे एक्सप्रेस-वे पर सौरिख, तालग्राम, ठठिया व तिर्वा को ब्लैक स्पॉट के रूप में चिन्हित किया गया है। यहां कहीं-कहीं पर टर्न है, तेज रफ्तार गाडि़यां डिवाइडर से टकरा जाती हैं।
एक नजर में कुछ अहम जानकारी
-नवम्बर 2013 में बना एक्सप्रेस-वे का खाका, प्रदेश सरकार ने नौ हजार करोड़ रुपए का बजट बनाया
-नवम्बर 2016 तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक्सप्रेस-वे का उदघाटन किया
-दिसम्बर 2016 में लखनऊ से शिकोहाबाद के बीच सफर शुरू हुआ
-23 फरवरी 2017 से एक्सप्रेस-वे पर लखनऊ से आगरा के बीच सफर शुरू हुआ