‘कानून बनाने के लिए मुस्लिम लॉ बोर्ड की इजाजत नहीं चाहिए’- केशव प्रसाद मौर्य
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने मुसलमानों से पूरी तरह शरिअत पर अमल करने की अपील करते हुए सरकार से समान नागरिक संहिता का इरादा छोड़ने का अनुरोध किया है. इस पर टिप्पणी करते हुए डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि देश की संसद को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड से इजाजत नहीं चाहिए किसी भी कानून को लागू करने या बनाने के लिए उनकी राय ले.
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि बीजेपी की विचारधारा का यह हिस्सा रहा है. राम जन्मभूमि, अनुच्छेद 370 और यूनिफॉर्म सिविल कोड ये तीन काम हैं. इसमें से दो काम पूरे हो गए हैं. तीसरा भी उचित समय आने पर पूरा होगा. वहीं ओवैसी के बारे में टिप्पणी करते हुए केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि वह तो राम जन्मभूमि का भी विरोध कर रहे थे. वह हर चीज का विरोध करते हैं. उनके विरोध से क्या फर्क पड़ता है?
लखनऊ में हुई थी बोर्ड की बैठक
डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि मैं संघ का एक स्वयंसेवक हूं और जब हमारे सर संचालक जी कोई बात कहते हैं तो वह हमारे लिए मार्गदर्शन होता है. हम उनकी बात पर टिप्पणी नहीं कर सकते हैं. बता दें कि बीते रविवार को मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में नदवतुल उलेमा लखनऊ में बोर्ड की कार्यकारिणी की बैठक हुई थी. इसमें समान नागरिक संहिता को लेकर एक प्रस्ताव पारित कर मुसलमानों से आह्वान किया गया था.
बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी की ओर से जारी बयान में कहा गया था कि बोर्ड की बैठक मुसलमानों को यह याद दिलाती है कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है. इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है. बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा था कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी गई है.
आम नागरिकों की मजहबी आजादी का ख्याल रखे सरकार
इसमें पर्सनल लॉ भी शामिल है. इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मजहबी आजादी का भी एहतराम करें, क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करना अलोकतांत्रिक होगा. उन्होंने सरकार से इस इरादे को छोड़ने की अपील की है. धर्मांतरण को लेकर बनाए गए विभिन्न राज्यों के कानूनों पर क्षोभ प्रकट करते हुए बोर्ड ने यह भी प्रस्ताव पारित किया है कि धर्म का संबंध उसके यकीन से है. इसलिए किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है.