September 22, 2024

महाराष्ट्र: बंटवारे के बाद पहली बार ताकत दिखाएंगी दोनों शिवसेना, स्थापना दिवस पर विरासत की लड़ाई

शिवसेना का बंटवारा हुए एक साल का समय बीत गया है। दोनों ही पार्टियां बालासाहेब ठाकरे की विरासत पर अपना दावा जता रहे हैं। 19 जून को शिवसेना का स्थापना दिवस है और शिंदे शिवसेना और शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे, इस मौके पर अलग-अलग कार्यक्रम आयोजित करेंगी। अगले साल लोकसभा चुनाव होने हैं, साथ ही निकाय चुनाव भी होने हैं। यही वजह है कि स्थापना दिवस के मौके पर दोनों ही पार्टियां अपने आप को असली शिवसेना और बाला साहेब ठाकरे की उत्तराधिकारी साबित करने की कोशिश करती दिखेंगी।

स्थापना दिवस पर विरासत की लड़ाई

स्थापना दिवस के मौके पर शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना उत्तर पश्चिमी मुंबई के गोरेगांव में कार्यक्रम आयोजित करेगी। वहीं उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना सेंट्रल मुंबई के सिओन में स्थापना दिवस का जश्न मनाएगी। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के बेटे और सांसद श्रीकांत शिंदे ने बताया कि स्थापना दिवस के कार्यक्रम में प्रदेश भर के कार्यकर्ता शामिल होंगे।

वहीं उद्धव ठाकरे भी बड़े स्तर पर पार्टी का स्थापना दिवस मनाने की तैयारी कर चुके हैं। बता दें कि दक्षिण मध्य मुंबई के वर्ली में उद्धव ठाकरे स्थापना दिवस के मौके पर एक जनसभा को भी संबोधित करेंगे। शिवसेना (यूबीटी) के मुखपत्र सामना में इसकी जानकारी दी गई है। आदित्य ठाकरे और शिवसेना के वरिष्ठ नेता सुभाष देसाई कॉन्कलेव का उद्घाटन करेंगे। इस दौरान उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली सरकार में हुए कामों को भी एक फिल्म के जरिए पार्टी कार्यकर्ताओं को दिखाया जाएगा। कॉन्कलेव को नेता विपक्ष अंबादास दानवे और संजय राउत भी संबोधित करेंगे।

बीते साल हुआ था बंटवारा

बता दें कि बीते साल जून में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में 39 विधायकों ने शिवेसना में उद्धव ठाकरे नेतृत्व के खिलाफ बगावत कर दी थी। जिसके चलते महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी सरकार अल्पमत में आ गई और सरकार गिर गई। इसके बाद एकनाथ शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर महाराष्ट्र में सरकार बनाई और शिंदे राज्य के सीएम और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने। चुनाव आयोग ने भी शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना को असली शिवसेना माना और पार्टी का चुनाव चिन्ह धनुष बाण शिंदे की पार्टी को देने का फैसला किया।

बाला साहेब ठाकरे ने 19 जून 1996 को शिवसेना का गठन किया था। शिवसेना ने मराठी मानुष के सम्मान को अपनी राजनीति का आधार बनाया। अब पार्टी का बंटवारा हो चुका है।


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