दून में मालती कुजीन के स्वाद की धूम
देहरादून: उत्तराखण्ड के नौजवान अब स्वरोजगार की अलख जगाकर आत्मनिर्भरता की ओर कदम बढ़ा रहे हैं। देहरादून की रहने वाली मालती हलदार भी उन्हीं नौजवानों में शामिल हैं। मालती गढ़वाल विश्वविद्यालय में छात्र राजनीति का चर्चित चेहरा रही हैं। उच्च शिक्षित युवती हैं। एक नामी एनजीओ में काम करती थी। एनजीओ में बतौर डाइरेक्टर थी। लेकिन मार्च में लॉकडाउन के चलते लाखों युवाओं के साथ मालती की भी जॉब चली गई। उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और ’मालती कुजीन’ नाम से स्टार्ट अप शुरू किया।
मालती हलदार इन दिनों देहरादून में वेज और नॉन वेज डिशेस की होम डिलीवरी में मशगूल है। अपनी इस नई शुरूआत को लेकर मालती बताती हैं कि अच्छा भोजन सभी को पसंद होता है, वह भोजन चाहे पांच सितारा होटल में परोसा जाय या फिर घर पर।
आज ‘मालती कुजीन’ की डिशेज लोगों को बेहद पसंद आ रही है। मालती भी इस नई शुरुआत से बेहद उत्साहित हैं। मालती की बनाई डिशेज का स्वाद लोगों को इस कदर भाया कि उन्हें दोस्तों के अलावा दूसरे लोगों के भी ऑर्डर मिलने लगे हैं। इन दिनों मालती हलदार अपने नए काम में पूरी तरह व्यस्त हो चुकी हैं। मालती के मुताबिक शुरू में उन्हें हर दिन एक-दो ऑर्डर मिलते थे, अब ये संख्या 10 से 12 हो गई है। मालती कुजीन में कुजीन तैयार करने से लेकर उसे डिलीवर करने तक का सारा काम महिलाएं ही करती हैं। ‘मालती कुजीन’ महिला सशक्तीकरण की मिसाल भी पेश करता है।
मालती बताती हैं, कि वे पिछले कई सालों से एक एनजीओ के लिए काम कर रही थीं। सब ठीक-ठाक चल रहा था, तभी मार्च में लॉकडाउन लग गया। एनजीओ का काम ठप हो गया। जब अनलॉक की प्रक्रिया शुरू हुई तो एनजीओ के पास इतना काम नहीं रह गया था कि फिर से नौकरी मिल पाती। ऐसे में मुश्किलें शुरू हो गईं। थोड़े दिन सोच-विचार करने के बाद उन्होंने अपने बचपन के शौक को रोजगार का जरिया बनाने का फैसला लिया।
अपने शौक से सफलता का सफर तय करने वाली मालती आज हजारों लोगों के लिए मिसाल बन चुकी हैं। वो कहती हैं कि वक्त कठिन है, लेकिन युवा हिम्मत ना हारें। छोटी शुरुआत करें और लगातार मेहनत करते रहें। एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।