November 24, 2024

जनादेशः हिमाचल उपचुनाव में नहीं चला भाजपा का ’सैनिक कार्ड’, नौजवानों ने भी दिखाई बेरूखी

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दस्तावेज डेस्क। हिमाचल प्रदेश में हुए उपचुनाव में मतदाताओं ने सत्ताधारी दल के खिलाफ अपना जनादेश दिया है। हिमाचल में एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों में उपचुनाव हाल ही उपचुनाव हुए जिसमें प्रदेश में प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने चारों सीटों पर जीत हासिल की। केन्द्र और राज्य में सत्तासीन भाजपा के लिए ये किसी बड़े झटके से कम नहीं है। कांग्रेस ने हिमाचल प्रदेश में मंगलवार को मंडी लोकसभा उपचुनाव सहित तीनों विधानसभा क्षेत्रों-अर्की, फतेहपुर और जुब्बल-कोटखाई में जीत हासिल की है।

प्रदेश में उपचुनाव में करारी शिकस्त के बाद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने हार का ठीकरा एक तरह से केंद्र सरकार पर ही फोड़ा है। उन्होंने कहा कि बढ़ती महंगाई के चलते प्रदेश में बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है। हिमाचल प्रदेश के नतीजे बीजेपी के लिए इसलिए भी चिंताजनक हैं क्योंकि सिर्फ पार्टी चीफ जेपी नड्डा ही नहीं बल्कि कैबिनेट मंत्री अनुराग ठाकुर भी हिमाचल से ही आते हैं।

अपनी नीतियों के चलते खो दिया विश्वास

अर्की विधानसभा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी संजय अवस्थी ने 3,277 मतों से जीत हासिल की, जबकि फतेहपुर में कांग्रेस प्रत्याशी भवानी सिंह पठानिया ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के बलदेव ठाकुर को 5,652 मतों से हराया। पार्टी की जीत से उत्साहित, विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री ने बताते है कि यह चुनाव 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल था। उन्होंने कहा, ‘भाजपा ने जनविरोधी नीतियों के कारण राज्य में विश्वास खो दिया है। यह बदलाव के लिए एक वोट है। हम अगले विधानसभा चुनाव में राज्य में वापसी करने जा रहे हैं।

कांग्रेस के लिए खुशखबरी?

राज्य के उपचुनाव कांग्रेस के लिए इसलिए भी खुशखबरी लाए हैं क्योंकि यहां पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ता हुआ दिख रहा है। साल 2019 में धर्मशाला सीट पर हुए उपचुनाव में बीजेपी प्रत्याशी को ही जीत मिली थी लेकिन अब हुए चार सीटों पर उपचुनाव में कांग्रेस को तीन विधानसभा सीटों पर बीजेपी से 20 फीसदी ज्यादा वोट मिले हैं। तीन विधानसभा सीटों पर जहां कांग्रेस प्रत्याशियों को 48.9 फीसदी वोट शेयर मिला तो वहीं बीजेपी के खाते में सिर्फ 28.1 प्रतिशत वोट शेयर ही रहा।

जमानत जब्त

बीजेपी के लिए सबसे बड़ी चिंता के संकेत जुब्बल-कोथकाई क्षेत्र से मिले जहां उसके प्रत्याशी को सिर्फ 2 हजार 644 वोट मिले और जमानत तक जब्त हो गई।

कैसे होती है जमानत जब्त

भारतीय निर्वाचल आयोग का नियम है कि चुनाव में जमानत जब्त उस स्थिति में होती हैं जब कोई उम्मीदवार कुल वैध मतों का 1/6 हिस्सा प्राप्त करने में नाकाम रहता है। ऐसी सूरत में उम्मीदवार के द्वारा चुनाव आयोग के पास जमा की गई जमानत राशि जब्त कर ली जाती है। सांसद के चुनाव लड़ने के लिए 25 हजार रुपये की सिक्योरिटी राशि और विधायकी के चुनाव लड़ने के लिए 10 हजार रूप्ये की राशि जमा करनी होती है।

उत्तराखण्ड समेत पांच राज्यों में अगले साल के शुरु में होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले इन उपचुनावों के नतीजों को देश के मूड के रूप में देखा जा रहा है।

हिमाचल में बीजेपी के हार के बड़े कारण

महंगाई का मुद्दा पड़ा भाजपा पर भारी

हिमाचल प्रदेश में 2017 से भाजपा की सरकार है और वहां के लोग लगातार बढ़ती महंगाई से परेशान हैं। चुनाव प्रचार के दौरान लोगों ने इस मुद्दे पर बेबाकी से अपनी राय भी रखी। मंगलवार को चार सीटों के नतीजे आने के बाद खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने माना कि महंगाई ही भाजपा की हार की वजह रही।

नौजवानों की नाराजगी

भाजपा हिमाचल में 4 साल से सत्ता में है और वहां के लोगों में पार्टी के प्रति नाराजगी साफ झलकती है। इस पहाड़ी प्रदेश के लोगों का मानना है कि 4 बरसों में न तो लोगों को रोजगार मिला और न ही विकास के काम हुए। ऐसे में उन्होंने अपना गुस्सा उपचुनाव में कांग्रेस को वोट देकर निकाला।

भाजपा का वोट बैंक समझा जाने वाला यूथ इस उपचुनाव में वोट डालने ही नहीं आया। भाजपा के इस वोट बैंक की बेरुखी इसी बात से समझी जा सकती है कि मंडी संसदीय सीट पर महज 57.73ः मतदान हुआ। हिमाचल में 12 महीने बाद, यानी दिसंबर 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।

नहीं चला सैनिक कार्ड

मंडी लोकसभा सीट पर भाजपा ने सैनिक कार्ड चलते हुए कारगिल युद्ध के हीरो रहे ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह को मैदान में उतारा। ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह की यूनिट 18 ग्रेनेडियर ने ही कारगिल युद्ध के दौरान सबसे मुश्किल मानी जाने वाली चोटी तोलोलिंग और टाइगर हिल पर भारतीय झंडा फहराया था। मंडी संसदीय हलके में पूर्व सैनिकों के अच्छे-खासे वोट भी हैं, मगर पार्टी की रणनीति सफल नहीं रही।

कांग्रेस प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की पत्नी प्रतिभा सिंह ने रिटायर्ड ब्रिगेडियर को 8766 वोटों से हराया। प्रतिभा सिंह को कुल 3 लाख 65 हजार 650 और ब्रिगेडियर खुशहाल सिंह को 3 लाख 56 हजार 884 वोट मिले। हालांकि वोट प्रतिशत का अंतर महज 1.18 प्रतिशत ही रहा। प्रतिभा सिंह को कुल वोटिंग का 49.23प्रतिशत जबकि खुशहाल सिंह को 48.05 प्रतिशत वोट मिला।