भारतीय इकोनॉमी के लिए राहत भरी खबर, सितंबर में पिछले 8 साल में सबसे तेज रही औद्योगिक गतिविधियां
कोरोनावायरस को काबू में करने के लिए लागू लॉकडाउन से जुड़ी पाबंदियों में ढील दिए जाने के बाद मांग और उत्पादन में आई तेजी की वजह से भारत की औद्योगिक क्षेत्र की गतिविधियों में सितंबर में पिछले आठ साल में सबसे ज्यादा तेजी देखने को मिली। गुरुवार को जारी एक निजी सर्वेक्षण में यह बात कही गई है। हालांकि, कंपनियों में छंटनी का दौर जारी है। एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में रिकवरी के इस संकेत को काफी सकारात्मक तरीके से देखा जा सकता है। आइएचएस मार्किट के मुताबिक सितंबर में भारत का निक्की मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) उछाल के साथ 56.8 पर पहुंच गया।
इससे पहले अगस्त में मैन्युफैक्चरिंग पीएमआइ 52.0 के स्तर पर था। PMI का 50 से अधिक का स्तर वृद्धि जबकि उससे नीचे का आंकड़ा संकुचन को दिखाता है।
यह लगातार दूसरा महीना है, जब औद्योगिक गतिविधियों में वृद्धि दर्ज की गई। यह जनवरी, 2012 के बाद पीएमआइ का सबसे ऊंचा आंकड़ा है।
आइएचएस मार्किट में एसोसिएट डायरेक्टर (इकोनॉमिक्स) पॉलियाना डि लिमा ने कहा, ”भारत का मैन्युफैक्चरिंग उद्योग सही दिशा में आगे बढ़ रहा है क्योंकि सितंबर के पीएमआइ डेटा में कई सकारात्मक चीजें हैं। कोविड-19 से जुड़ी पाबंदियों में ढील एवं नए आर्डर में तेजी से फैक्टरियां पूरी क्षमता के साथ काम कर रही हैं।”
उन्होंने कहा कि कोविड-19 महामारी से जुड़ी अनिश्चितता बनी हुई है लेकिन प्रोड्यूसर्स फिलहाल रिकवरी का लाभ उठा सकते हैं।
हालांकि, सितंबर में लागत दर में थोड़ी वृद्धि हुई है, जिस वजह से विक्रेताओं ने कीमतों में वृद्धि की है। उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की वजह से मार्च के बाद मैन्युफैक्चरर्स ने बिक्री बढ़ाने के लिए उत्पादों के दाम में कटौती की थी।
आर्थिक गतिविधियों में उल्लेखनीय तेजी आने के बावजूद कंपनियों ने लगातार छठे महीने कर्मचारियों की छंटनी की। कोरोनावायरस की वजह से पैदा हुई परिस्थितियों के कारण करोड़ों लोगों की नौकरी जा चुकी है।
सेक्टर को आने वाले समय में रिजर्व बैंक से बहुत अधिक मदद मिलने की उम्मीद नहीं है क्योंकि मुद्रास्फीति के लगातार ऊंची दर पर रहने के कारण केंद्रीय बैंक के पास बहुत सीमित विकल्प मौजूद हैं।