उत्तराखंड में ‘दलाल’ उड़ा रहे दवा का बजट, सरकार को लग रही चपत

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स्वास्थ्य विभाग दवा खरीद के बजट का बड़ा हिस्सा बिचौलियों पर लुटा रहा है। इससे सरकार को तो चपत लग ही रही है, साथ ही उत्तराखंड को अन्य राज्यों की तुलना में दवाएं महंगी भी खरीदनी पड़ रही हैं। राज्य में दवा के लिए स्वास्थ्य महानिदेशालय दवा निर्माता कंपनी को आर्डर भेजता है। लेकिन कंपनी सीधे विभाग को आपूर्ति नहीं करती। आपूर्ति के लिए डिस्ट्रीब्यूटर रखे गए हैं। यही बिचौलिए, कंपनी से आई दवा की आपूर्ति सरकार को करते हैं। सरकार की ओर से भुगतान भी बिचौलिए को किया जाता है।

दोहरे मापदंड : राज्य की कंपनियों से सीधी खरीद  

दवा खरीद में विभाग दोहरे मापदंड अपना रहा है। भारत सरकार की कंपनियों से दवा बिचौलियों के जरिए खरीदी जाती है जबकि राज्य की कंपनियों से सीधे खरीद की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि केंद्र सरकार की कंपनियों से मोटी खरीद होती है इसलिए वहां बिचौलिए शामिल किए जाते हैं। जबकि राज्य की कंपनियों से छोटी खरीद को देखते हुए सीधे खरीद की जा रही है।

उत्तराखंड में अन्य राज्यों से महंगी हैं दवाएं 

राज्य सरकार एनएचएम की योजनाओं के मामले में राजस्थान को आदर्श राज्य मानती है, पर दवा खरीद में राजस्थान के नियमों का पालन नहीं किया जाता। राजस्थान सहित देश के कई राज्य उत्तराखंड से सस्ती दरों पर दवाई खरीद रहे हैं।

हर साल 25 से 30 करोड़ की खरीद 

राज्य का स्वास्थ्य विभाग एक साल में 25 से 30 करोड़ रुपये की दवाई खरीदता है। कंपनियां दवा की सीधी खरीद पर 15 से 20 प्रतिशत तक का डिस्काउंट देती हैं लेकिन बिचौलियों को बीच में रखने से यह लाभ सरकार को नहीं मिल पा रहा है।

दवा खरीद में कई खामियां हैं जिन्हें ठीक करने की जरूरत है। स्वास्थ्य महानिदेशालय को इसका परीक्षण करने को कहा गया है। जल्दी ही दवा खरीद की नीति में सुधार किया जाएगा।
-नितेश झा, सचिव स्वास्थ्य 

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