स्मृतिशेषः राजा मानवेन्द्र स्पेशल ट्रेन से अपनी रानी सूरज कुँवर को लाये थे …

maharani ji

शीशपाल गुंसाई

राजा नरेंद्र शाह के साथ राजमाता सूरज किरण के चाचा जी राजा लाल सिंह, मेयो कालेज राजस्थान में पढ़ते थे। लाल सिंह ने अपनी भतीजी सूरज किरण का रिश्ता युवराज मानवेंद्र से करने की बात छेड़ी। बातचीत आगे बढ़ी, उस टाइम राजकुमार राजकुमारी में देखने की परंपरा नहीं थी। पिता का भी आदेश मानना पड़ता था। उस समय टिहरी गढ़वाल स्टेट फ़ारसेज में नरेंद्र शाह ने एक अंग्रेज बैंड मास्टर नेलर को रखा था, जो पलटन को बैंड की ट्रेनिंग देता था, उनकी तीन सुंदर और चतुर लड़कियां थी। इनमें से एक लड़की को राजकुमारी को देखने के लिए उचित समझा गया, उसे राजकुमारी सूरज को देखने के लिए बांसवाड़ा रियासत में भेजा गया। उसकी समझ के आधार पर नरेंद्र शाह ने विवाह की बात पक्की की।

17 साल की उम्र में मानवेन्द्र का रिश्ता बांसवाड़ा की राजकुमारी सूरज से 1938 तय हो गया। विवाह वाले साल में वह कालेज के अंतिम वर्ष के छात्र थे। देश की ज्यादातर रियासतों के राजा इस शादी में शामिल हुए। बारात नरेंद्रनगर महल से बांसवाड़ा के लिए चली थी। ऋषिकेश से स्पेशल ट्रेन बुक की गई थी। मेरठ में रात में बारात रुकी। मेरठ की व्यवस्था रियासत में दीवान चक्रधर जुयाल के भाई कमिश्नर इंद्रधर जुयाल ने की थी। परिवार का अपना सरोला रिवाज़ के हिसाब से साथ चलता था। मेरठ में कमिश्नर साहब की व्यवस्था बेहतरीन थी। मेरठ के बाद अगले दिन बारात राजस्थान बांसवाड़ा रियासत पहुँची। वहाँ कुछ दिन रुकने के बाद राजकुमारी सूरज कुँवर को दुल्हन के रूप में नरेंद्रनगर लाया गया। तब विवाह कुछ दिन ससुराल में विश्राम करने के बाद कन्या की विदाई होती थी। मुनिकीरेती से नरेंद्रनगर तक लाइटों से सजाया गया था। चूंकि नरेंद्रनगर में उस वक्त बिजली नहीं थी। तब राजमहल में डीजल के जेनरेटरो से रौशनी दी जाती थी।शादी के लिए मुनिकीरेती से नरेंद्रनगर तक 15 किलोमीटर तक डीजल के जनरेटर लगाए गए थे। यह जनरेटर देश भर से मंगाए गए थे। तब भारत ,पाकिस्तान और बांग्लादेश एक था।

राजमहल में पूरे चार पांच दिन शादी का कार्यक्रम चला। टिहरी राज्य के टिहरी, उत्तरकाशी,जखोली ब्लॉक (अब रुद्रप्रयाग में ) के ग्राम प्रधानों, दाना सयानो, उनके साथ आये हज़ारों लोगों को राजा नरेंद्र शाह ने बुलाया था। नरेंद्रनगर मार्किट तब बन ही रहा था। राजा मानवेन्द्र शाह अपनी आत्माकथा में लिखते हैं चार पांच दिन बारात के स्वागत समारोह चलता रहा,पंगत में प्रधानों को सरोलाओ द्वारा परोसा गया, पिताजी स्वयं अधिकारियों के साथ निरीक्षण करते थे। तथा वह सरोलो को बताते थे कि उस पंक्ति में उस व्यक्ति को वह चीज नहीं पहुँची है। शादी के बाद दुनोज भी हुआ। मानवेन्द्र और सूरज कुंवर के अनुपमा कुमारी, निरुपमा कुमारी, स्वरूपा कुमारी और मनुजेंद्र शाह तीन पुत्री और एक पुत्र पैदा हुए।

राजकुमारी अनुपमा कुमारी की डूंगरपुर रियासत, राजकुमारी निरुपमा कुमारी की मेवाड़ रियासत, राजकुमारी स्वरूपा कुमारी की झालावाड़ रियासत में विवाह हुआ। राजा मानवेन्द्र कहते हैं। कि,राजमाता सूरज कुंवर नरेंद्रनगर से बहुत प्यार करती थी। मैं, सूरज कुंवर तथा राजकुमार अस्वस्थ रहने लगे, तो हम लोग साल भर में 10 माह दिल्ली रहते थे और 2 माह नरेंद्रनगर। नरेंद्रनगर और राज्य से हम लोग बहुत प्यार करते थे। गढ़वाली भाषा के गहन शब्दो का प्रयोग करते हैं। हर बार वही बोली बोलते थे। उन्हें गढ़वाली गीत और पवाड़े बहुत पसंद थे। वह ढाई साल तक राजा की गद्दी पर विराजमान रहे। और सूरज कुंवर उनकी रानी थी। इसलिए उन्हें राजा – रानी कहा जाता है। वर्तमान में उनके पुत्र और पुत्रबधु राजा रानी नहीं हैं। टीका शाह को राजकुमार कह सकते हैं। बहु एमपी है। क्योंकि देश की आजादी के बाद राजा रानी व्यवस्था खत्म हो गई थी। रही सही व्यवस्था इंदिरा गांधी ने प्रिवी पर्स लागू कर खत्म कर दी थी। लेकिन मानवेन्द्र ने अपने बहनोई राजा दिनेश सिंह विदेश मंत्री और इंदिरा गांधी की निकटता से जो चाहा वह किया। उन्होंने बतौर आठ बार सांसद (2 बार कांग्रेस, एक बार निर्विरोध, 5 बार बीजेपी से ) पहाड़ को कभी नहीं लूटा। वह राजनीति में साफ छवि के नेता थे। बेशक वह क्षेत्र के प्रति, विकास के प्रति सुस्त और लापरवाह दिखाई देते थे।

नई दिल्ली से क्षेत्र में घटित किसी घटना क्रम में दौड़ दौड़ कर किसी की डिन्ड़याली में नहीं पहुँचते थे। राजा मानवेन्द्र, अटल बिहारी वाजपेयी के भी निकट रहे। वह क्षेत्र के लिए बड़े कामों के पक्षधर थे। उन्होंने बाजपेई जी से ऋषिकेश में एम्स खुलवा कर बड़ी लकीर खींची.. रानी सूरज किरन ने उनका कदम कदम पर साथ दिया। उनके शानदार साथ ने उन्हें ईमानदार शख्सियत बनाये रखा। राजा और रानी का साथ 2007 में छूट गया था। अब वह भी नहीं रही। वह शानदार उम्र जीई।अब सिर्फ यादें हैं। जिन्हें हम सत्य के साथ आपके लिए लिखते हैं..

You may have missed