September 22, 2024

1000 रुपये से बढ़ सकती है न्यूनतम मासिक पेंशन की रकम! सरकार को भेजी गई सिफारिश

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन  की ओर से ईपीएफ की ब्याज दर घटाने की सिफारिश के बीच एक अच्छी खबर है. संसद के एक पैनल ने इस बात पर जोर दिया है कि ईपीएफओ के मेंबर को मिलने वाली 1000 रुपये की न्यूनतम मासिक  पेंशन बहुत कम है और इसमें वृद्धि किए जाने की जरूरत है. पैनल ने जोर दिया कि पेंशन के इस पैसे से किसी का भला नहीं होता, लिहाजा श्रम मंत्रालय  इस रकम को बढ़ाने पर जोर दे. संसदीय पैनल की इस सलाह या सिफारिश को श्रम मंत्रालय मान ले तो निकट भविष्य में न्यूनतम मासिक पेंशन की राशि बढ़ सकती है. लंबे अरसे से इसे बढ़ाने की मांग चल रही है.

संसदीय समिति की सिफारिश को संसद में पेश किया गया है. श्रम मंत्रालय की संसदीय स्थायी समिति ने अपनी 30वीं रिपोर्ट में न्यूनतम मासिक पेंशन की राशि बढ़ाने की सिफारिश की है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 8 साल पहले न्यूनतम मासिक पेंशन के तौर पर 1000 रुपये की रकम निर्धारित की गई थी. अब यह रकम पर्याप्त नहीं है. इसलिए श्रम मंत्रालय को पेंशन की राशि बढ़ाने पर विचार करना चाहिए. समिति ने रिपोर्ट में सुझाव दिया है कि पेंशन बढ़ाने के लिए श्रम मंत्रालय को वित्त मंत्रालय से बात करनी चाहिए. वित्त मंत्रालय से बात कर बजट के पैसे को बढ़ाने की मांग करनी चाहिए. यही काम ईपीएफओ के साथ भी होना चाहिए ताकि यह संगठन सभी पेंशन स्कीम पर गौर कर मंथली मेंबर पेंशन को बढ़ा सके.

मासिक पेंशन 2,000 करने की मांग

साल 2018 में इंप्लॉई पेंशन स्कीम, 1995 की समीक्षा करने के लिए श्रम मंत्रालय ने उच्च अधिकार प्राप्त मॉनिटरिंग कमेटी बनाई गई थी. इस कमेटी ने अपनी सिफारिश में लिखा था कि ईपीएफओ मेंबर, विधवा, विधुर पेंशनर की न्यूनतम मासिक पेंशन को बढ़ाकर 2000 रुपये करना चाहिए जो अभी 1000 रुपये निर्धारित है. इसके लिए बजट में भी खास प्रावधान किया जाना चाहिए. दूसरी ओर, वित्त मंत्रालय किसी भी सूरत में मासिक पेंशन की राशि को 1000 रुपये अधिक बढ़ाने पर सहमत नहीं है. इसी वजह से न्यूनतम मासिक पेंशन पर कोई अंतिम फैसला नहीं हो पा रहा है. श्रम मंत्रालय संसदीय समिति की सिफारिश को आगे भेजता भी है, तो उस पर मुहर लगाने का अधिकार वित्त मंत्रालय को ही है.

सिफारिश से वित्त मंत्रालय असहमत

संसदीय समिति ने पाया कि पेंशन बढ़ाने के मुद्दे पर कई कमेटियों की बैठक में डिटेल में चर्चा हो चुकी है. इसमें यही बात निकल कर सामने आई कि ईपीएफओ की पेंशन स्कीम का जब तक सही-सही आंकलन न कर लिया जाए, खर्च के बारे में पूरा हिसाब न लगा लिया जाए, तब तक मासिक पेंशन में बदलाव मुश्किल है. समिति ने इस बात पर भी चिंता जाहिर की कि कुछ ईपीएफओ मेंबर को ई-नॉमिनेशन में दिक्कतें आ रही हैं. खासकर जो कर्मचारी 2015 के पहले रिटायर हुए हैं, उन्हें ई-नॉमिनेशन बनाने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. कुछ ऐसी ही दिक्कत ऑनलाइन ट्रांसफर क्लेम पोर्टल (OTCP) में भी देखी जा रही है.


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