September 22, 2024

मिशन 2022ः ‘परिवारवाद’ बना भाजपा-कांग्रेस में टिकट बंटवारें में देरी की बड़ी वजह!

देहरादून। चुनाव की तरीखों के ऐलान के बाद अभी तक भाजपा और कांग्रेस अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं कर पाई है। अभी भाजपा, कांग्रेस प्रत्याशियों की सूची तैयार करने में जुटी है। कांग्रेस ने सभी 70 प्रत्याशियों के नाम पर मंथन कर लिस्ट हाईकमान को सौंप दी है। ऐसे में 50 सीटों पर नाम जल्द ही फाइनल हो सकते हैं।

इधर शनिवार को भाजपा कोर ग्रुप की बैठक देहरादून में हुई, जिसमें पैनल तैयार कर लिया गया है। अब सभी संभावित नामों का पैनल पॉर्लियामेंट्री बोर्ड को भेजा जाएगा। सूत्रों का दावा है कि भाजपा कोर ग्रुप की ओर से 70 सीटों पर 150 से ज्यादा नामों का पैनल तैयार किया गया है। इसमें 25 से ज्यादा सीटों पर एक राय बन चुकी है। भाजपा 20 जनवरी को प्रत्याशियों के नाम का ऐलान कर सकती है।

भाजपा में 20 सीटों में नहीं बन सकी अभी सहमति

जानकारी के अनुसार उत्तराखंड भाजपा में करीब 50 सीटों पर सहमति बन चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक सहित वरिष्ठ नेताओं की सीट तय हो गई है। भाजपा के लगभग 20 सीटों पर अभी सहमति नहीं बन पाई है। सूत्रों के मुताबिक भाजपा में कई सिंटिग विधायकों के टिकट कटने तय हैं। टिकट को लेकर फाइनल फैसला रविवार को दिल्ली में होगा। बताया जा रहा है कि टिकटों को लेकर मंथन, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ होगा। सूत्रों की माने तो 20 जनवरी को भाजपा उम्मीदवारों की पहली सूची जारी होगी। बताया जा रहा है कि विचार विमर्श और टिकट फाइनल करने से पहले सीएम पुष्कर सिंह धामी समेत पार्टी के कई नेताओं को आज दिल्ली बुलाया गया है।

कांग्रेस का भी वहीं हाल

मीडिया के हवाले से मिली जानकारी के अनुसार प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दल रविवार को अपने उम्मीदवारों की पहली सूची जारी कर सकता है। हालांकि यहां भी हरीश कैंम्प और प्रीतम कैंप में टिकटों के बंटवारे को लेकर रार ठनी हुई है। कांग्रेस में उत्तराखंड ने 50 से ज्यादा सीटों पर एक नाम पर सहमति बना ली है। 20 सीटों पर पार्टी के अंदर हरीश रावत और प्रीतम खेमा आमने-सामने हैं। इन सीटों पर निर्णय लेने के लिए प्रदेश संगठन अब हाईकमान के सामने अपनी रिपोर्ट रखेगा। इसके अलावा पूर्व सीएम हरीश रावत के चुनाव लड़ने पर भी हाईकमान ही निर्णय लेगा।
सूत्रों का दावा है कि पूर्व सीएम हरीश रावत एक परिवार एक टिकट के हाईकमान के निर्णय का इंतजार कर रहे हैं। हरीश रावत अपनी बेटी अनुपमा रावत को हरिद्वार ग्रामीण से टिकट दिलवाना चाहते हैं। ऐसे में हाईकमान अगर उन्हें चुनाव लड़वाती है तो उनकी बेटी को टिकट मिलना मुश्किल हैं। कांग्रेस हाईकमान यशपाल आर्य और उनके बेटे संजीव आर्य को छोड़कर किसी भी परिवार के दो लोगों को टिकट देकर परिवारवाद का आरोप चुनाव में नहीं लेना चाहती है।

टिकटों की देरी में परिवारवाद का साया

भाजपा कांग्रेस कोई भी दल अभी तक उम्मीदवारों की नाम फाइनल नहीं कर पाई है। जानकारों के मुताबिक इसके पीछे की असल वजह परिवारवाद है। दरअसल भाजपा कांग्रेस के बड़े नेता अपने परिजनों को भी टिकट दिये जाने की वकालत कर रहे हैं। भाजपा की बात करें कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत अपनी पुत्रबधू के लिए लैंसडौन से टिकट चाहते हैं। वहीं कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज भी अपने पुत्र को इन चुनाव में राजनीति में लॉच करने जा रहे हैं। कुंवर प्रणव चैम्पियन अपनी पत्नी के लिए टिकट मांग रहे हैं। विकास नगर के विधायक मुन्ना सिंह चौहान भी अपनी पत्नी के लिए टिकट चाहते हैं।

वहीं कांग्रेस में भी बड़े नेता अपने परिजनों के लिए टिकट चाहते हैं। इनमें पूर्व कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य और पूर्व सीएम हरीश रावत भी अपने बेटे-बेटियों के लिए टिकट चाहते हैं। पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र भण्डारी भी अपनी पत्नी को टिकट दिये जाने की मांग कर रहे हैं। ये पहला मौका नहीं जब बड़े नेताओं ने अपने परिजनों के लिए टिकट की वकालत की है। उत्तराखण्ड में कई ऐसे मौके आये है जब बड़े नेताओं के दबाव में आकर पार्टी ने पंचायत, नगर पालिका और विधायकी के टिकट बांटे।

 


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