September 21, 2024

मिशन-2022ः त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने की पूर्व कैबिनेट मंत्री फोनिया से मुलाकात, राजनीतिक चर्चा तेज

देहरादून। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने प्रदेश के पूर्व कैबिनेट मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार सिंह फोनिया से मुलाकात की। मुलाकात को लेकर पूर्व सीएम और पूर्व मंत्री की ओर से कोई आधिकारित बयान तो नही दिया गया है, लेकिन इस मुलाकात के बाद प्रदेश में राजनीतिक चर्चा जरूर हो गयी है। हालांकि यह मुकाकात एक सामान्य मुलाकात थी, जिसे लेकर सोशल मीडिया और बीजेपी संगठन में चर्चा हो रही है।

बुधवार को पूर्व सीएम रावत ने भाजपा के वरिष्ठ नेता केदार सिंह फोनिया से उनके आवास पर शिष्टाचार भेंट कर उनके स्वास्थ्य का हाल जाना। इस दौराना दोनों नेताओं की काफी देर तक प्रदेश के विभिन्न विषयों पर भी विस्तार से चर्चा हुयी। इस अवसर पूर्व मंत्री फोनिया रावत को ने उनके द्वारा लिखी पुस्तक उत्तरांचल से उत्तराखंड के 12 वर्ष भेंट की। गौतलब हो कि यह वही पुस्तक है जिस पुस्तक के माध्यम से फोनिया ने बताया था कि किस प्रकार से उत्तराखंड में एक खास राजनीतिक वर्ग ने उनकी राजनीतिक हत्या की थी।

ये वो फोनिया है जिसने.. आधी रात को किए थे अयोद्धा की फाइल पर हस्ताक्षर

केदार सिंह फोनिया, 1992 में यूपी सरकार में पर्यटन मंत्री थे। इस दौरान पहली बार यूपी सरकार ने राममंदिर के लिए 2.77 एकड़ जमीन अधिग्रहित की थी। तब उस फाइल पर बतौर पर्यटन मंत्री फोनिया ने ही हस्ताक्षर किए थे।

पूर्व मंत्री फोनिया बताते है कि 20 अक्तूबर 1992, रात 10 बजे, स्थान लखनऊ। तब हमारी कॉलोनी में सन्नाटा पसर चुका था, मैं भी सोने की तैयारी कर रहा था। इस बीच मेरे लैंडलाइन फोन की आवाज घनघनाती है। मैंने फोन उठाया तो दूसरी तरफ से मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के आवास से फोन था। मुझे तत्काल सीएम आवास पहुंचने को कहा गया। तब तक मेरा ड्राइवर घर चला गया था। मैने अपनी असमर्थता जताई तो पल भर में सीएम आवास से ही कार मेरे घर पर पहुंच गई। अब तक मुझे कुछ भी पता नहीं था कि इतनी रात सीएम आवास में ऐसा क्या काम पड़ गया। मैं जैसे ही वहां पहुंचा, तो बैठक कक्ष में कैबिनेट के कई अहम सदस्य मौजूद थे। यूपी सचिवालय के अधिकारियों की फौज-फर्रा भी वहीं डटी थीं।

बैठक में शामिल होते ही, मुझे मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने खुद बताया कि अयोद्धा में प्रस्तावित राम जन्म मंदिर के लिए विवादित स्थल से लगती 2.77 एकड़ जमीन अधिग्रहित की जानी है, इसीलिए यह बैठक बुलाई गई है।

तब तक फाइल तैयार हो चुकी थी, अब मुख्यमंत्री ने सभी मंत्रियों से पूछा कि इस फाइल पर कौन हस्ताक्षर करेगा? इस पर वरिष्ठ कैबिनेट मंत्री लालजी टंडन ने खुद मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर कराने का प्रस्ताव रखा। लेकिन कल्याण सिंह ने फिर वही सवाल दोहराया कि फाइल पर अंतिम हस्ताक्षर आखिर किसके होंगे? मुख्यमंत्री या अन्य मंत्रियों के दिल में क्या हिचक थी, यह मैं नहीं जानता लेकिन मैं इस अवसर को बेहद खास मान रहा था। आखिर इस जमीन पर ही राममंदिर बनना था। इसलिए मैने खुद आगे बढ़कर अपने हस्ताक्षर का प्रस्ताव दिया। बतौर पर्यटनमंत्री मैं ऐसा कर भी सकता था।


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