September 22, 2024

मक्का और मदीना की मस्जिदें आम लोगों के लिए बंद

सऊदी अरब के एक ऐलान से पाकिस्तान जैसे मुस्लिम देशों में कोहराम मच गया है। ईद जैसे खुशी के त्यौहार पर गम के आंसू बह रहे हैं। खास तौर पर पाकिस्तान के सामने अभूतपूर्व संकट खड़ा हो गया है। इससे पहले रमजान में मस्जिदों को बंद रखने के सऊदी अरब के फरमान से दुनिया भर के मुसलमानों में विवाद हुआ था।

सऊदी अरब ने कहा है कि ईद की पांच दिन की छुट्टियों के दौरान पूरे सऊदी अरब में 24 घण्टे का कर्फ्यू रहेगा। इसका मतलब है कि इस बार हज तो हो ही नहीं रहा साथ में मक्का और मदीना की मस्जिदें भी आम लोगों के लिए बंद रहेंगी। सऊदी अरब के इस फरमान का दुनिया भर के मुसलमानों के लिए यह संदेश है कि ईद और ईद की छुट्टियों में घर से बाहर निकलें और मस्जिदों में सामुहिक नमाज पढ़ने के बजाए घर में रहकर ही नमाज पढ़ें। सऊदी अरब में यह पांच दिन का यह कर्फ्यू 23 मई से 27 मई तक लागू रहेगा।

सऊदी अरब ने कहा है कि कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए घर पर रहकर ही इबादत करनी चाहिए। मस्जिदों में सामूहिक तौर पर इबादत करने से महामारी बढ़ने का भय है। ध्यान रहे, सऊदी अरब ने रमजान से पहले ही मक्का-मदीना शहरों में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया था। अक्सर शरिया कानूनों को लागू करने के लिए सऊदी अरब का हवाला देने वाले पाकिस्तान जैसे कठमुल्ले देश अब ईद पर पांच दिन के कर्फ्यू लागू करने और घरों में ही नमाज पढ़ने के लिए सऊदी अरब की सीख पर नहीं चल रहे हैं। पाकिस्तान में रमजान के दिनों में मस्जिद जाकर नमाज पढ़ने के मुद्दे पर जम कर रस्साकसी हुई। आखिर में जीत भी मुल्लाओं की हुई। पाकिस्तान सरकार मुल्ला-उलेमा के सामने बौनी साबित हुई। कहा ये भी जाता है कि कट्टरपंथियों को खुद प्रधानमंत्री इमरान खान का सहारा मिला हुआ है।

सऊदी अरब के ताजा फरमान के बाद पाकिस्तान में उदारपंथी और कट्टरपंथी मुसलमानों में फिर से संघर्ष के आसार बन रहे हैं। क्योंकि इस समय पाकिस्तान की हालत कोरोना वायरस के कारण बहुत नाजुक बनी हुई है। अस्पतालों में आने वाले मरीजों की जांच के अभाव में ही मौंते हो रही हैं। अस्पतालों पर दबाव है कि वो कोरोना से मरने वालों का सही आंकड़ा जारी न करें। सरकार का अस्पतालों पर ही नहीं बल्कि ईदी जैसे एनजीओ पर भी है। कुछ दिनों पहले ईदी के प्रवक्ता ने एक बयान दे दिया था कि सामान्य दिनों की अपेक्षा कब्रिस्तानों में मुर्दों के आने की संख्या ढाई से तीन गुना ज्यादा हैं। इसके बाद सरकार ने कोरोना से मरने वालों की संख्या पर गैर सरकारी बयान जारी करने पर ही रोक लगादी।

अब पाकिस्तान जैसे देशों में यह बहस भी शुरू हो गयी है कि इस्लाम के बारे में उन्हें किस की राय माननी चाहिए सऊदी अरब की या फिर वही मानना है जो किताबों में लिखा है। अगर कोरोना जैसी समस्या आती है तो उन्हें किस की ओर देखना चाहिए सऊदी अरब या किसी अन्य की ओर।


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