शिवालयों में उमड़ी भीड़, कावड़ यात्रा शुरू
हरिद्वारः श्रावण मास के शुभारंभ के साथ ही मठ, मंदिरों और शिवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी। हरिद्वार के विभिन्न घाटों में गंगा स्नान का भी तांता लगा रहा। वहीं, कांवड़ यात्रा भी रफ्तार पकड़ने लगी है। अलसुबह चंद्र ग्रहण की समाप्ति के बाद गंगाजल से शुद्धिकरण कर मठ-मंदिरों और शिवालयों के कपाट खोल दिए गए। इसके बाद सुबह की आरती हुई, हरकी पैड़ी पर सुबह की गंगा आरती गंगा मां के जयघोष के साथ संपन्न हुई।
क्या है मान्यता
श्रावण मास सभी मासों में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। ऐसा शिव पुराण में लिखा है। मान्यता है कि पुत्र प्राप्ति के लिए या समस्त मनोकामना को पूर्ण करने के लिए श्रावण मास में जब भगवान शिव की पूजा की जाती है तो कई हजार अश्वमेध यज्ञ करने के समान पुण्य प्राप्त होता है। अलग-अलग तरीके से अभिषेक करने का विधान है। गन्ने के रस से, गिलोय के रस से, भांग-धतूरा और कनेर के फूलों से भगवान शिव की उपासना की जाती है। इसमें यज्ञोपवीत दही दूध शहद नारियल कथा नैवेद्य आदि सभी सामग्रियां भगवान शिव को अर्पण करने का विधान है। यह निर्भर करता है अभिषेक करने वाले व्यक्ति के ऊपर वह कितनी श्रद्धा और भक्ति से भगवान शिव की उपासना करता है, यह उस साधक के ऊपर निर्भर करता है। अगर आप कोई भी सामग्री भगवान शिव को अर्पण नहीं करते केवल बेलपत्र और दूध और घी शहद और शुद्ध जल से भगवान शिव को स्नान कराते हैं तो आपको भगवान शिव की कृपा पूर्ण रूप से प्राप्त होगी, आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी।
रफ्तार पकड़ने लगी कांवड़ यात्रा
श्रावण मास की शुरुआत के साथ ही धर्मनगरी हरिद्वार में कांवड़ यात्रियों का गंगाजल लेकर अपने गंतव्य की ओर वापसी भी शुरू हो गई है। हरिद्वार में काफी संख्या में कांवड़ यात्री गंगाजल ले लेने पहुंचे हुए हैं। साथ ही निरंतर पहुंच रहे हैं। गंगाजल लेने से पहले इन सभी ने गंगा स्नान के साथ मठ-मंदिरों और शिवालयों के दर्शन किए। श्रावण मास के पहले दिन शिवालयों में शिव का जलाभिषेक किया और गंगाजल लेकर अपने अपने गंतव्य की ओर प्रस्थान किया। कावड़ यात्रा हालांकि अभी अपने शबाब पर नहीं पहुंची है पर कावड़ यात्रियों का उत्साह बना हुआ है।
आने वाले दिनों में कावड़ यात्री बड़ी संख्या में हरिद्वार पहुंचने लगेंगे जिस रफ्तार से उनका आना होगा, उसी रफ्तार से उनकी वापसी कार्यक्रम भी शुरू हो जाएगा। गुरु पूर्णिमा के मौके पर चंद्र ग्रहण होने और श्रावण मास के पहले दिन उसकी समाप्ति के कारण कावड़ यात्रियों की संख्या अपेक्षाकृत कम रही पर, इसके अब बढ़ने की पूरी उम्मीद है।