राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019:शिक्षा में अफसरशाही खत्म होः डाॅ अंकित जोशी

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देहरादून। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का मसौदा पास हुआ तो सरकारी स्कूलों में प्रधानाचार्यों के 50 फीसदी पदों को सीधी भर्ती से भरा जाएगा। जबकि 50 फीसदी पद वरिष्ठता के आधार पर भरे जाएंगे। स्कूल परिसर के सुचारु एवं प्रभावी संचालन के लिए प्रधानाचार्य के पास 5 से 10 लाख रुपये की एक निधि भी होगी। शिक्षा विभाग में वर्तमान में प्रधानाचार्यों के शत प्रतिशत पदों को वरिष्ठता के आधार पर भरा जाता है, यहां सीधी भर्ती का कोई प्रावधान नहीं हैं, लेकिन नई शिक्षा नीति में यह व्यवस्था की जा रही है कि 50 फीसदी पदों को विभागीय परीक्षा एवं 50 फीसदी को वरिष्ठता के आधार पर भरा जाए। प्रदेश सरकार ने इस सुझाव पर सहमति जताते हुए इसका फाइनल ड्राफ्ट केंद्र सरकार को भेज रही है।

इसमें केंद्र को यह सुझाव भी दिया गया है कि प्रधानाचार्या के पास आकस्मिक मानव संसाधन एवं रखरखाव के लिए एक निधि की व्यवस्था हो। राजकीय शिक्षक संघ की एस सी ई आर टी उत्तराखंड शाखा की ओर से राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अफसरशाही खत्म कर प्रधानाचार्यो के अधिकार को मजबूत करने की वकालात की है। इस संबंध में शाखा अध्यक्ष डाॅ अंकित जोशी के नेतृत्व में मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय भारत सरकार को 17 सुझाव भी प्रस्तुत किये गये है।

डाॅ जोशी ने बताया कि वैज्ञानिक प्रभुत्व वाले वैश्वीकरण के इस युग में भी भारतीय समाज में‘शिक्षा‘अति संवेदनशील मुद्दा होते हुए भी आम चर्चा के केन्द्र बिन्दु में नहीं रहता है। हमारे समाज में शिक्षा पर सार्थक चर्चाऐं पहले तो होती ही नहीं हैं, और यदि कहीं हो भी रही हांतो ऐसी चर्चाओं को प्रोत्साहन तथा यथोचित सम्मान नहीं मिल पाता है। हमारा समाज बच्चों की शिक्षा की फिक्र तो करता है,उनकी शिक्षा पर अपनी आय का अधिकतम हिस्सा व्यय भी करता है किन्तु ,”भारत की शिक्षा व्यवस्था कैसी हो ?’’जैसे विषय पर जागरूक नहीं है, तथा इस विषय पर चर्चा कर अपनी ऊर्जा भी व्यय नहीं करना चाहता है। यहीं कारण है कि हमारी शिक्षा व्यवस्था में कई खामियाँ आ चुकीं हैं।

डाॅ अंकित जोशी ने बताया कि प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा नीति में चुनौतियों से निपटने के लिए संघ ने जन अपेक्षाओं के अनुरूप सुझाव दिए है। उन्होंने कहा कि संघ का सुझाव है कि स्कूलों में कार्यरत प्रधानाचार्यो के अधिकार क्षेत्र को बढाया जाना चाहिए। इसके साथ ही विभागीय अधिकारियों तथा अकादमिक संस्थानों द्वारा किए गए निरीक्षणों व अकादमिक अनुसमर्थन का जमीनी स्तर से शीर्ष स्तर तक प्रभावी रूप से अभिलेखीकरण व जवाबदेही निर्धारित करते हुए अपेक्षित कार्यवाही सुनिश्चित करने की व्यवस्था विकसित की जानी चाहिए।

डाॅ जोशी के अनुसार स्कूल से जुड़े अधिकांश अकादमिक शैक्षणिक अधिकार विद्यार्थी, शिक्षक तथा प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य की पहुँच तथा दायरे तक विकेन्द्रित किए जाने चाहिए। इसके अन्तर्गत शिक्षकों को शिक्षण शैली अपनाने तथा आकलन की अधिकतम स्वायत्तता दी जानी चाहिए वहीं दूसरी ओर शिक्षकों की शिक्षण के प्रति जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए प्रधानाध्यापक, प्रधानाचार्य के अधिकारों को मजबूत किया जाना चाहिए।शिक्षा व्यवस्था में कार्यरत अधिकारियों के अधिकारों को कम कर प्रधानाचार्य के अधिकारों को मजबूती प्रदान करने की आवश्यकता है।

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