NEET-PG काउंसलिंग में देरी: डॉक्टरों के साथ ‘पुलिस की बर्बरता’ के बाद FORDA का अल्टीमेटम, ‘सभी स्वास्थ्य संस्थानों को शटडाउन करने का आवाह्नन’
बीती रात NEET-PG 2021 काउंसलिंग में देरी को लेकर दिल्ली में बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टरों ने प्रदर्शन किया और इसी दौरान सड़कों पर पुलिस और डॉक्टरों के बीच झड़प हो गयी। दोनों पक्षों का दावा है कि उनकी ओर के कई लोग घायल हुए हैं। रेजिडेंट डॉक्टरों ने अपना आंदोलन तेज करते हुए बीते दिनों सांकेतिक रूप से “अपने लैब कोट लौटा दिए” और सड़कों पर मार्च निकाला।
डॉक्टरों का आंदोलन जारी रहने से केंद्र द्वारा संचालित तीन अस्पतालों – सफदरजंग, आरएमएल और लेडी हार्डिंग अस्पतालों के साथ ही दिल्ली सरकार के कुछ अस्पतालों में मरीजों का इलाज प्रभावित हुआ है। फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन पिछले कई दिनों से विरोध प्रदर्शन कर रहा है। एसोसिएशन के अध्यक्ष मनीष ने दावा किया कि बड़ी संख्या में प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टरों ने सोमवार को विरोध स्वरूप प्रतीकात्मक तौर पर अपना एप्रन (लैब कोट) वापस कर दिया।
#WATCH दिल्ली: सफदरजंग अस्पताल में रेजिडेंट डॉक्टरों ने NEET-PG की काउसंलिंग में हो रही देरी को लेकर धरना दिया। pic.twitter.com/aL0U9JKIqb
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 27, 2021
उन्होंने कहा, “हमने मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज (एमएएमसी) परिसर से उच्चतम न्यायालय तक मार्च करने की भी कोशिश की, लेकिन जैसे ही इसे हमने शुरू किया, सुरक्षाकर्मियों ने हमें आगे बढ़ने से रोक दिया।” मनीष ने यह भी आरोप लगाया कि कई डॉक्टरों को पुलिस ने “हिरासत में” लिया और उन्हें थाने ले जाया गया। कुछ समय बाद उन्हें रिहा कर दिया गया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि पुलिस ने बल का इस्तेमाल किया जिससे कुछ डॉक्टर घायल हो गए। एसोसिएशन ने अपने ट्विटर हैंडल में पुलिस कर्मियों और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई की तस्वीरें पोस्ट कीं। हालांकि, पुलिस ने लाठीचार्ज करने या अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने के आरोप से इनकार किया और कहा कि 12 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया और बाद में उन्हें रिहा कर दिया गया।
#PressRelease: We strongly condemn this brutal act & demand immediate release of all #ResidentDoctors. There will be complete #Shutdown of Healthcare Institutions. #MedicalFraternity of the nation must come forward in support. We urge all State #RDAs to join the agitation! @ANI pic.twitter.com/ipbOxcnGFN
— FORDA INDIA (@FordaIndia) December 27, 2021
उन्होंने कहा कि छह से आठ घंटे तक प्रदर्शनकारियों ने आईटीओ रोड को जाम कर दिया। उनसे बार-बार अनुरोध किया गया कि वे वहां से हट जाएं, लेकिन उन्होंने इसे अनसुना कर दिया। फोर्डा की ओर से जारी बयान के अनुसार, मेडिकल पेशे के लोगों के इतिहास में यह काला दिन है। उसमें आरोप लगाया गया है, ‘‘रेजिडेंट डॉक्टर, तथा-कथित कोरोना योद्धा, नीट पीजी काउंसलिंग 2021 की प्रक्रिया तेज करने की मांग को लेकर शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं, लेकिन उन्हें बुरी तरह पीटा गया, और पुलिस ने उन्हें हिरासत में लिया।’’ बयान में कहा गया है, ‘‘आज से सभी मेडिकल सुविधाएं पूरी तरह बंद रहेंगी।’’
बाद में जारी आधिकारिक बयान में मध्य दिल्ली के अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त रोहित मीना ने सोमवार को कहा कि ‘बिना अनुमति के रेजिडेंट डॉक्टरों के एक समूह ने बीएसजेड मार्ग (आईटीओ से दिल्ली गेट तक का मुख्य रास्ता) को अवरूद्ध कर दिया और वहां छह घंटे से भी ज्यादा वक्त तक जाम लगा रहा।’’ बयान में उन्होंने दावा किया, ‘‘उन्होंने मुख्य सड़क पर जानबूझकर हंगामा किया और दोनों लेन जाम कर दिए जिससे आम जनता को परेशानी हुई।’’ बयान के अनुसार, पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग के महानिदेशक ने उनसे बात की और उनकी मांगें पूरी करने का आश्वासन दिया।
उन्होंने दावा किया कि उन्हें समझाने के बावजूद वे आक्रामक हो गए और सड़क को अवरूद्ध कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि पुलिस और डॉक्टरों के बीच झड़प में सात पुलिस कर्मी घायल हुए हैं और पुलिस बस के शीशे टूट गए हैं। पुलिस ने बताया कि घटना के संबंध में प्राथमिकी भी दर्ज की गई है। पुलिस ने बताया कि देर रात बड़ी संख्या में रेजिडेंट डॉक्टर सरोजनी नगर थाने के सामने जमा हो गए, लेकिन किसी को हिरासत में नहीं लिया गया है। वहीं डॉक्टरों का दावा है कि जब उन्होंने सफदरजंग अस्पताल से केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया के आधिकारिक आवास तक मार्च निकालने का प्रयास किया तो पुलिस ने बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया।