ख़बर स्पेशलः उपनल और अतिथि शिक्षकों के जरिये हरीश का त्रिवेंद्र पर निशाना
देहरादूनः हरीश रावत भले ही इन दिनों चुनावी रैलियों में व्यस्त हैं लेकिन उत्तराखंड की फिक्र उन्हें हर समय सताया करती है। इसलिए वह अपनी पीड़ा को किसी न किसी माध्यम से व्यक्त कर देते हैं। हाल के दिनों में उन्होंने प्रदेश सरकार पर कई टिप्पणी की। लिहाजा पूर्व व वर्तमान मुख्यमंत्री के बीच जुबानी जंग छिड़ी। इस बार हरीश रावत ने अपनी फेसबुक वाॅल पर अतिथि शिक्षकों और उपनल कर्मियों की पीड़ा को व्यक्त कर प्रदेश सरकार पर तंज कसे। हरीश रावत ने अपनी पोस्ट में जिक्र किया कि अतिथि शिक्षक से लेकर उपनल कर्मियों के लिए या ऐसे ही कर्मचारियों के लिए दिल्ली और हरियाणा में एक प्रकार का न्यायिक निर्णय और उत्तराखंड में दूसरे प्रकार का न्यायिक निर्णय कैसे हो सकता है, ये समझ से परे है!।
हरीश रावत ने प्रदेश सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि दिल्ली में ऐसे लोगों को न्याय मिला, हरियाणा में ऐसे लोगों को न्याय मिला क्योंकि वहां कि राज्य सरकार न्याय दिलवाना चाहती थी और उत्तराखंड की राज्य सरकार उपनल कर्मियों से लेकर अतिथि शिक्षक से पल्ला झाड़ना चाहती है। रावत ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया कि त्रिवेंद्र सरकार ने समुचित तरीके से उनका पक्ष माननीय न्यायालय के सम्मुख ना पहले रखा गया ना माननीय उच्चतम न्यायालय के सम्मुख अब रखा जा रहा है। यह सब जानबूझकर के किया जा रहा है ताकि इन लोगों से पल्ला झाड़ा जा सके।
हरीश रावत का कहना है कि प्रदेश के नौजवानों का कल्याण उत्तराखंड राज्य की भावना का सम्मान है इसलिए मैं प्रबुद्ध लोगों से प्रार्थना करता हूं कि इसके खिलाफ आवाज उठाएं और राज्य सरकार पर दबाव बनाएं कि वो इन विषयों को लेकर अपनी नीति को और अपनी नियत दोनों को दुरुस्त करे ताकि सुप्रीम कोर्ट से इन लोगों को अपेक्षित न्याय मिल सके।
हरीश रावत के इस मास्टर स्ट्रोक से हरीश और त्रिवेंद्र सिंह के बीच चली आ रही जंग लगता है शांत हो जायेगी। क्योंकि अतिथि शिक्षकों और उपनल कर्मियों के मामले को लेकर प्रदेश सरकार पहले ही निशाने पर है। लिहाजा पूर्व मुख्यमंत्री के इन कर्मियों के समर्थन में उतरने से त्रिवेंद्र रावत के लिए स्थिति असहज कर गये हैं।