लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव: पीएम मोदी क्या आज संसद में देंगे इन 5 सवालों का जवाब ?
संसद में अविश्वास प्रस्ताव पर बहस के तीसरे दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज विपक्ष को जवाब देंगे. चर्चा इस बात की है कि क्या प्रधानमंत्री संसद में उन 5 सवालों का जवाब देंगे, जिसे विपक्ष की ओर से संसद लेकर सड़क तक उठाता रहा है या पीएम अपने भाषण के जरिए 2024 का एजेंडा सेट करेंगे?
2018 के अविश्वास प्रस्ताव के दौरान प्रधानमंत्री ने 2019 चुनाव का एजेंडा सेट कर दिया था. प्रधानमंत्री ने कांग्रेस से कहा था कि इतनी तैयारी कर लीजिए कि 2023 में भी अविश्वास प्रस्ताव लेकर आना पड़े. प्रधानमंत्री का यह तंज हाल में खूब वायरल हुआ था.
मानसून सत्र शुरू होने के बाद ही विपक्ष मणिपुर के मुद्दे पर आक्रामक है. इंडिया गठबंधन बनने के बाद से ही विपक्ष मोदी सरकार को मुद्दों के आधार पर घेराबंदी कर रहा है. डीएमके सांसद कनिमोझी का कहना है कि सिर्फ सेंगोल को स्थापित करने से कुछ नहीं होगा. प्रधानमंत्री राजधर्म निभाने का भी काम करें.
ऐसे में सदन में उठाए गए 5 सवाल काफी अहम जाते हैं. आइए उन्हीं के बारे में विस्तार से जानते हैं…
1. मणिपुर में हिंसा पर कंट्रोल क्यों नहीं?
अविश्वास प्रस्ताव लाने का पहला मकसद विपक्ष ने मणिपुर हिंसा को बताया. इंडिया गठबंधन के सभी सांसदों ने अपने भाषण में मणिपुर हिंसा का खास जिक्र किया. विपक्षी सांसदों का एक प्रतिनिधिमंडल ने भी मणिपुर का दौरा किया था. मणिपुर हिंसा मामले में विपक्ष की 4 मुख्य मांगे हैं..
– मणिपुर के भीतर हिंसा रोकने में नाकाम रहे मुख्यमंत्री को अब तक पद से क्यों नहीं हटाया गया है, सरकार राष्ट्रपति शासन क्यों नहीं लागू करती?
– मणिपुर में दो समुदायों के बीच खाई बहुत ज्यादा बढ़ गई है. प्रधानमंत्री ने उसे मिटाने के लिए कोई बेहतर प्रयास क्यों नहीं किया, खुद मणिपुर क्यों नहीं गए?
– मणिपुर में कुकी और मैतई के बीच अभी भी हिंसा जारी है. सरकार कठोर कार्रवाई की सिर्फ बात कह रही है, हिंसा रोकने के लिए प्रभावी कदम क्यों नहीं उठा पा रही है?
– सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के लॉ एंड ऑर्डर पर सवाल उठाया. महिलाओं को मणिपुर में दंगाइयों ने अपमानित किया, इसके बावजूद पुलिस के आला अधिकारी अब तक पद पर क्यों हैं?
अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने मुख्यमंत्री को नहीं हटाने पर सफाई दी. शाह ने कहा कि मुख्यमंत्री काफी सपोर्ट कर रहे हैं, इसलिए कोई एक्शन नहीं लिया गया है.
कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने मणिपुर मुद्दे पर कहा कि ‘मेरी मां’ की वहां हत्या की गई है. प्रधानमंत्री दोषियों पर कार्रवाई नहीं कर रहे हैं. सरकार मणिपुर को भारत का हिस्सा नहीं मान रहे हैं.
ऐसे में विपक्ष मणिपुर हिंसा पर प्रधानमंत्री के बयान का इंतजार कर रहा है. RJD सांसद मनोज झा ने कहा है कि मैं उम्मीद करता हूं कि प्रधानमंत्री आज मणिपुर पर बोलेंगे, वे संसद में अतीतजीवी नहीं बनेंगे.
2. भ्रष्टाचारियों को धोने के लिए वॉशिंग मशीन कहां हैं?
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान विपक्ष ने भ्रष्टाचार के आरोप का काउंटर किया है. प्रधानमंत्री मोदी के ‘भ्रष्टाचार क्विट इंडिया ‘ अभियान के खिलाफ बोलते हुए जेडीयू सांसद ललन सिंह ने कहा कि इन्हें भ्रष्टाचारियों से दिक्कत नहीं है अगर होती तो अजित पवार को साथ नहीं लेते.
लोकसभा में दिल्ली सर्विस बिल के दौरान सुप्रिया सुले ने भी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया था. सुले ने कहा था कि प्रधानमंत्री ने बारामती में एनसीपी को नेचुरल करप्ट पार्टी कहा था, लेकिन अजित पवार को साथ लेकर सरकार में शामिल करा लिया.
बुधवार को अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए जेडीयू सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री भ्रष्टाचार पर व्याख्यान देते हैं और बीजेपी भ्रष्टाचारियों को वॉशिंग मशीन में डालकर तुरंत बाहर निकाल लेती है.
विपक्ष का लंबे वक्त से यह आरोप रहा है कि भ्रष्टाचार पर बीजेपी का रवैया दोहरा है. बीजेपी ने विपक्षी नेताओं पर पहले भ्रष्टाचार के आरोप लगाए, लेकिन बाद में उन्हें पार्टी में शामिल करा लिया.
3. परिवारवाद से एलर्जी तो सिंधिया-अजित को क्यों दी कुर्सी?
बीजेपी ने परिवारवाद को भी बड़ा मुद्दा बनाया है. प्रधानमंत्री ने ‘परिवारवाद क्विट इंडिया’ का नारा दिया है. विपक्ष भी बीजेपी के परिवारवाद पर लगातार हमलावर है. विपक्ष का कहना है कि अपने सियासी मुनाफे के हिसाब से बीजेपी परिवारवाद का मुद्दा उठाती है.
विपक्षी नेताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री सदन में बताएं कि परिवारवाद से उन्हें एलर्जी है और उनके पार्टी में पद पर काबिज नेताओं को कुर्सी नहीं दी जाएगी. प्रधानमंत्री मोदी महाराष्ट्र में शरद पवार के परिवार पर जमकर निशाना साधा, लेकिन बारी आई तो अजित को डिप्टी सीएम की कुर्सी दे दी.
इतना ही नहीं, कांग्रेस के परिवारवाद पर भी प्रधानमंत्री मोदी बोलते रहे हैं, लेकिन बागी ज्योतिरादित्य सिंधिया को अपने कैबिनेट में शामिल करा लिए. सिंधिया के पिता केंद्र में मंत्री रहे हैं, जबकि उनकी एक बुआ राजस्थान की मुख्यमंत्री रह चुकी हैं.
बीजेपी में सिंधिया के अलावा भी कई ऐसे नेता हैं, जो परिवारवाद की उपज है. इनमें शुवेंदु अधिकारी, धर्मेंद्र प्रधान, पीयूष गोयल का नाम प्रमुख हैं. बीजेपी ने कर्नाटक में 2021 में बीएस बोम्मई को मुख्यमंत्री बनाया था. बोम्मई के पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके थे.
4. रोजगार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री से चुप्पी तोड़ने की अपील
अविश्वास प्रस्ताव के दौरान रोजगार के मुद्दे को भी विपक्षी सांसदों ने जोर-शोर से उठाया. जेडीयू के ललन सिंह ने कहा कि 2014 में प्रधानमंत्री ने 2 करोड़ युवाओं को हर साल नौकरी देने का वादा किया, लेकिन 9 साल बीत जाने के बाद भी बीजेपी इस पर नहीं बोल रही है.
सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री संसद में साफ कर दें कि 2 करोड़ लोगों को नौकरी देने का वादा नहीं किया था. अगर किया था, तो बताइए कहां है रोजगार? विपक्षी पार्टियों का कहना है कि सरकार ने नौकरी देने के बदले लोगों से नौकरी छिनने का काम कर रही है.
कांग्रेस और जेडीयू का आरोप है कि मोदी सरकार में सिर्फ एक व्यक्ति को भरपूर रोजगार मिला है. जेडीयू अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि मैं किसी व्यक्ति का नाम संसद में नहीं लूंगा, लेकिन यह जरूर कहूंगा कि सरकार में एक व्यक्ति को रोजगार मिला है और वो देश का नंबर वन अमीर बन चुका है.
5. ईडी-सीबीआई समेत सेंट्रल एजेंसी का दुरुपयोग
संसद में सपा और जेडीयू ने इस मुद्दे को जोरशोर से उठाया है. सपा सांसद डिंपल यादव ने कहा कि मोदी सरकार संघीय ढांचे को खत्म करने में जुटी है. सरकार ईडी-सीबीआई के जरिए राजनीति कर रही है. डिंपल ने आगे कहा कि सरकार देश के लोगों को परेशान करने के लिए सेंट्रल एजेंसी का दुरुपयोग कर रही है.
जेडीयू के ललन सिंह ने भी सेंट्रल एजेंसी की कार्रवाई का मुद्दा सदन में उठाया. सिंह ने कहा कि लालू यादव के परिवार पर 2017-2022 तक कोई कार्रवाई नहीं हुई, लेकिन जैसे ही उनके साथ गठबंधन में आए वैसे ही मोदी सरकार ने अपने तीन तोते को बिहार में छोड़ दिया.
सिंह ने कहा कि बिहार में सीबीआई, ईडी और आयकर विभाग के अधिकारी घूम-घूम कर छापे मार रहे हैं. विपक्षी नेताओं के खिलाफ माहौल बना रहे हैं, लेकिन इससे बीजेपी को फायदा नहीं होगा.
विपक्ष का आरोप है कि ईडी ने हाल के वर्षों में जो केस दर्ज किए हैं, उनमें अधिकांश विपक्ष नेताओं के खिलाफ दाखिल किए गए हैं. ईडी का डर दिखाकर सरकार राजनीतिक पार्टियों को खत्म करने में जुटी हुई है.