September 22, 2024

अब दवाओं के पीछे भी बने आएंगे QR codes, हर व्यक्ति को पहुंचेगा फायदा, जानें- इस अच्छे कदम के बारे में

नकली और घटिया दवाओं के इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार जल्द ही ‘ट्रैक एंड ट्रेस’ प्रोग्राम की शुरूआत कर सकती है। यह क्यूआर कोड (QR codes) से मेल खाएगा। क्यूआर कोड को स्कैन करते हुए ग्राहक यह आसानी से जान पाएगा कि वे जो गोलियां खा रहा है वह प्रामाणिक हैं या नहीं।

रिपोर्ट में कहा गया है कि फिलहाल इस प्रोग्राम को लेकर अभ्यास चल रहा है, जिसके तहत पहले पैकेजिंग लेबल पर क्यूआर कोड प्रिंट किए जाएंगे। प्राथमिक पैकेजिंग लेबल बोतल, कैन, जार, ट्यूब या पट्टी जैसे प्रथम-स्तरीय पैकेजिंग हैं।

यानी जिन में दवाई जाती हैं, उनपर क्यूआर कोड लगा जाएंगे। पहले चरण में 100 रुपये प्रति स्ट्रिप से अधिक कीमत वाली दवाओं को शामिल किया जा सकता है।

हाल ही में बाजार में नकली दवाओं की कई खबरें आई हैं। बद्दी में Glenmark की ब्लड प्रेशर की गोली, Telma-H के रैकेट का भंडाफोड़ किया गया है। एक अन्य उदाहरण में, एबॉट की Thyronorm को तेलंगाना सरकार द्वारा खारिज कर दिया गया, क्योंकि यह दवाई मानकों पर खड़ी नहीं उतर सकी। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार, निम्न और मध्यम आय वाले देशों में लगभग 10 प्रतिशत चिकित्सा उत्पाद घटिया हैं।

300 दवाओं की पहचान

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने फार्मास्यूटिकल्स विभाग (डीओपी) को 300 दवा ब्रांडों को शॉर्टलिस्ट करने के लिए कहा है, जिनपर अनिवार्य रूप से क्यूआर कोड लगाने के आदेश हैं। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (एनपीपीए) ने 300 दवाओं की सूची की पहचान की थी, जिसमें व्यापक रूप से इस्तेमाल की जाने वाली दवाएं थीं। जैसे दर्द निवारक, गर्भनिरोधक, विटामिन, ब्लड-शुगर और उच्च रक्तचाप की दवाएं शामिल हैं।

हालांकि, यह भी बता दें कि यह व्यवस्था लागू होती है तो फोन निर्माताओं के लिए लागत में 3-4 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। क्यूआर कोड के साथ, सरकार जल्द ही एक पोर्टल भी लॉन्च कर सकती है, जहां ग्राहक दवाओं की यूनिक आईडी फीड कर सकते हैं और उनकी प्रामाणिकता की जांच कर सकते हैं।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com