September 22, 2024

ओबीसी राजनीतिक आरक्षण पर आज सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के लोगों ने टकटकी लगाई

ओबीसी राजनीतिक आरक्षण को लेकर आज (19 जनवरी, बुधवार) सर्वोच्च न्यायालय में सुनवाई हो रही है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा दायर की गई पुनर्विचार याचिका पर आज एक-साथ सुनवाई हो रही है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने 15 दिसंबर 2021 को दिए गए अपने फैसले में ओबीसी वर्गों के लिए राजनीतिक आरक्षण रद्द कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने इन राज्यों से कहा था कि वे पहले ओबीसी वर्ग से जुड़े इम्पिरिकल डेटा इकट्ठा करें, तब आरक्षण दें. इस पर मध्य प्रदेश सरकार ने विधानमंडल में एक प्रस्ताव लाकर राज्यपाल के माध्यम से चुनाव आयोग से अपील की है कि जब तक इस संबंध में अंतिम रूप से कोई फैसला नहीं हो जाता तब तक आगामी चुनावों की आगे सरका दें. महाराष्ट्र सरकार ने भी इसी तरह का प्रस्ताव पास किया था.

महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 15 दिसंबर के आदेश को वापस लेने की अपील करते हुए पुनर्विचार याचिका दायर की थी. केंद्र सरकार भी इस आदेश को वापस लेने या उसे संशोधित करने की अपील कर चुकी है. 15 दिसंबर के अपने आदेश के तहत सुप्रीम कोर्ट ने अपने 6 दिसंबर के आदेशों पर किसी भी तरह की तब्दीली करने से इनकार कर दिया था. इस आदेश के मुताबिक कोर्ट ने स्थानीय निकायों के चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षित सीटों से जुड़े अध्यादेश पर अगले आदेश तक रोक लगाई थी. इन सबके बीच सर्वोच्च न्यायालय इस पुनर्विचार याचिका पर क्या फैसले लेती है, उस पर दोनों राज्यों की नजरें टिकी हुई हैं.

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में क्या कहा था?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 27 फीसदी जो ओबीसी कोटा के तहत आरक्षण दिया जा रहा है वो इससे संबंधित आयोग को गठित किए बिना और इम्पिरिकल डेटा (स्थानीय सरकार में प्रतिनिधित्व पर्याप्त ना होने को साबित करने वाला आंकड़ा) एकत्र किए बिना लागू नहीं किया जा सकता. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि इसके बाद भी किसी भी स्थिति में सभी तरह के आरक्षणों को मिलाकर आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं होनी चाहिए.

अपने पिछले आदेशों में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया है कि ट्रिपल टेस्ट (आयोग गठन, इम्पिरिकल डेटा के आधार पर आवश्यक आरक्षण का अनुपात तय करना, कुल आरक्षण की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से ज्यादा ना हो) पास किए बिना किसी भी सूरत में आरक्षण लागू नहीं किया जा सकता. आज देखना है सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में क्या नई बातें सामने आती हैं.


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