अरे महाराज! झील में डूब गया मरीना, ऐसे होगा पर्यटन का विकास
नई टिहरीः प्रदेश में पर्यटन की आपार संभावनाओं को देखते हुए राज्य को पर्यटन के क्षेत्र में विकसित करने का सपना देखा गया। लेकिन राज्य प्राप्ति के डेढ़ दशक बाद भी प्रदेश को पर्यटन के क्षेत्र में वह गति नहीं मिल पायी जो कि प्रदेश को हासिल करनी चाहिए थी। उल्टा सरकार की दोषपूर्ण नीतियों से प्रदेश के पर्यटन को पलीता लग रहा है। लेकिन महाराज है कि इस ओर कोई सुध नहीं ले रहे हैं।
एक ओर सरकार प्रदेश को पर्यटन डेस्टिनेशन के तौर पर विकसित करने के बड़े-बड़े दावे कर रही है तो दूसरी ओर प्रदेश में पर्यटन दम तोड़ता नजर आ रहा है। हाल ही में टिहरी झील में पर्यटकों के लिए तैयार फ्लोटिंग मरीना विभागीय उपेक्षा का शिकार हुई। चार करोड़ की लागत से बनी यह फ्लोटिंग मरीना झील में डूब गई है। जिससे पर्यटन विभाग की कार्यप्रणाली पर सवालीय निशान खड़े हो गये हैं।
आपको बता दें कि यह मरीना उत्तराखंड सरकार की ऐतिहासिक कैबिनेट का गवाह बनी थी। इसी मरीना पर प्रदेश सरकार ने कैबिनेट बैठक कर प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने का संकल्प भी लिया था। लेकिन सरकारी उपेक्षा और विभागीय नीतियों के चलते यह मरीना अब टिहरी झील में समा गई है। बिंडबना देखिए कि जिस मरीना के जरिए सरकार पर्यटन को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही थी। उसी मरीना का सरकार और पर्यटन विभाग चार साल में एक बार भी संचालन नहीं कर पायी। जिस कारण मरीना टिहरी झील में खड़े खड़े पानी के थपेड़े खा रही थी और बीती रात फ्लोटिंग मरीना का आधा हिस्सा टिहरी झील में डूब गया।
वर्ष 2015 में चार करोड़ की लागत का तैरता रेस्तरां फ्लोटिंग मरीना तैयार किया गया था। इसके निर्माण के पीछे यह मंशा थी कि टिहरी झील घूमने आने वाले पर्यटकों को मरीना एक नया अहसास और रोमांच देगा। तैरते मरीना में पर्यटक खाने पीने का लुत्फ उठा सकेंगे, लेकिन 2015 से ही मरीना झील के किनारे जंग खा रहा था। इससे पूर्व जलस्तर में उतार-चढ़ाव के चलते पिछले साल भी मरीना एक पहाड़ी पर फंस गया था। उस दौरान मरीना के शीशे और कई अहम पाटर्स भी क्षतिग्रस्त हो गए थे।
गौरतलब है कि पिछले साल 16 मई को उत्तराखंड सरकार की कैबिनेट भी मरीना के ऊपर हुई थी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने मरीना सहित टिहरी झील के विकास की बात यहां पर कही थी, लेकिन अब मरीना डूब चुका है।