एचएनबी गढ़वाल विवि में मातृभाषा गढ़वाली पर एक दिनी कार्यशाला सम्पन्न

295790391_372253958390653_1785271953574924937_n

देहरादून। हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केन्द्रीय विश्वविद्यालय द्वारा आजादी का अमृत महोत्सव के अवसर पर विश्वविद्यालय की भाषा प्रयोगशाला (लैंग्वेज लैब) द्वारा मातृभाषा गढ़वाली पर एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन हुआ।

शैक्षणिक क्रियाकलाप केन्द्र चौरास परिसर में आयोजित कार्यशाला का शुभारंभ लोकगायक नरेंद्र सिंह नेगी, अधिष्ठाता छात्र कल्याण प्रो० एमएस नेगी, प्रो० डीआर पुरोहित, मुख्य नियंता प्रो० बीपी नैथानी ने दीपप्रज्वलित कर किया।

कार्यक्रम में गढ़वाल विवि की कुलपति प्रो० अन्नपूर्णा नौटियाल ने ऑनलाईन माध्यम से कार्यक्रम में उपस्थित रही। उन्होंने ‘‘गढ़वाली की भाषिक परंपरा एवं चुनौतियां’’ विषय पर आयोजित इस कार्यशाला का शुभारंभ वक्तव्य देते हुए सभी सदस्यों को शुभकामनाएं दी और कहा कि विश्वविद्यालय की भाषा प्रयोगशाला का उद्देश्य विभिन्न भाषाओं को शिक्षा से जोड़ना है जिसके लिए विश्वविद्यालय स्तर पर सार्थक प्रयास किये जा रहे हैं।

कार्यशाला मंे बतौर मुख्य वक्ता गढ़रत्न नरेंद्र सिंह नेगी और प्रो०डी आर परोहित ने शिरकत की। मुख्य वक्ता नरेंद्र सिंह नेगी ने गढ़वाल विवि द्वारा गढ़वाली भाषा के लिए कार्य करने की पहल की प्रशंसा करते हुए कहा कि इससे गढ़वाली भाषा को नये स्तर पर पहुंचाया जा सकता है।

उन्होंने अपने जीवन प्रसंगों को साझा करते हुए बताया कि गढ़वाली गीतों के गायन को लेकर उनके सामने कई चुनौतियां थी लेकिन आज गढ़वाली भाषा को एक नई पहचान मिल रही है और आज विश्व भर में इस भाषा पर शोध कार्य हो रहे हैं।

कार्यशाला में मौजूद प्रो० डी आर परोहित ने कहां कि गढ़वाली भाषा में अब तक 15 हजार से ज्यादा साहित्य छप चुका है और इसके अलावा कई गढ़वाली, कुमाउनी,जौनसारी भाषा डिक्शनरी अब तक मौजूद है साथ ही आज के समय में जो कुछ भी गढ़वाली भाषा में लिखा जा रहा है वो सब हमारी भाषा की एक उपलब्धि है जिसके लिए युवाओं को लगातार कार्य करना होगा।

उन्होंने कहां की अंग्रेजी भाषी लोग गढ़वाली भाषा को देश विदेशों तक और तीव्र गति से पहुँचा सकते है। कार्यक्रम में बीना बैंजवाल द्वारा ‘‘शब्द संपदा की दृष्टि से गढ़वाली भाषा की समृद्धि और शब्दभाव’’ पर व्याख्यान दिया गया।

गिरीश सुंदरियाल जी द्वारा ‘‘मातृभाषा गढ़वाली में शिक्षण की चुनौतियाँ’’ विषय पर विचार व्यक्त किए। साथ ही रमाकांत बैंजवाल द्वारा गढ़वाली औच्चारणिक विभेद के बारे में विस्तार से समझाया गया।

‘धाद’ के संपादक गणेश खुगशाल गणी ने ‘गढ़वाली भाषा में पत्रकारिता की चुनौतियाँ’ विषय पर अपने मंतव्य एवं व्यावहारिक अनुभव प्रस्तुत किया। इस अवसर पर अधिष्ठाता छात्र कल्याण कार्यक्रम के संयोजक प्रो० महावीर सिंह नेगी ने अपने स्वागत सम्बोधन में सभी अथितियों का स्वागत किया तथा अपने सम्बोधन में कहा हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव कार्यक्रमों की श्रृंखला के अंतर्गत यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है निश्चित रूप से गढ़वाली भाषा के लिए यह कार्यशाला एक मील का पत्थर साबित होगी।

उन्होंने कार्यक्रम के सफल समन्वय के लिए डॉ० आरूषि उनियाल को बधाई दी। वहीं इस कार्यक्रम में डॉ० कपिल पंवार, डॉ० सविता भण्डारी, डॉ० सर्वेश उनियाल, डॉ० कुजांग आगमो, डॉ० लोकेश अधिकारी समेत अंग्रेंजी, हिंदी, संस्कृत, पत्रकारिता एवं जनसंचार आदि विभागों के शोद्यार्थियों, छात्र-छात्राओं ने भाग लिया।