September 22, 2024

क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड में शुरू हुई खुली जंग, अध्यक्ष और सेक्रेटरी पर लगे गंभीर आरोप

देहरादून। क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड में फैले भ्रष्टाचार के खिलाफ एसोसिएधन के लिए वाइस प्रेसीडेंट संजय रावत और आई सक्रेटरी अवनीश वर्मा और सदस्य तेजेन्द्र सिंह ने जबरदस्त मोर्चा खोला दिया है। इन्होंने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के प्रेसीडेंट जोत सिंह गुनसोला व सेक्रेटरी माहिम वर्मा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं।

इन चारों ने मजबूत दस्तावेजी सुबूतों को पेश करते हुए आम्बुसडमैन जस्टिस (रि) वीरेंद्र सिंह से जोत सिंह-माहिम को फौरन बर्खास्त करने की मांग की है। खास बात ये है कि सीएम पुष्कर सिंह धामी ने क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ उत्तराखण्ड के कथित आरोपियों के खिलाफ सरकार के स्तर पर कठोर कार्रवाई के संकेत दिए हैं। विशेष प्रमुख सचिव (खेल) अभिनव कुमार इसकी तैयारियों में जुट चुके हैं।

संजय-अवनीश अपेक्स काउंसिल में भी हैं। उनका गुनसोला-वर्मा पर सुबूतों की फेहरिस्त के साथ हमला बोलना बेहद अहम माना जा रहा है। इससे पहले कोषाध्यक्ष पृथ्वी सिंह नेगी अकेले भ्रष्टाचार के खिलाफ मोर्चा संभालते रहे थे। वह अकेले पड़े तो मौका देख के एक खास लॉबी ने उनको ही कामकाज से अलग कर ठिकाने लगा दिया। दरअसल फॉदर ऑफ द उत्तराखण्ड क्रिकेट हीरा सिंह बिष्ट को भ्रष्टाचार और मनमानियों पर आवाज उठाने पर इसकी कीमत भी चुकानी पड़ी जिसके चलते उन्हें एकदम साइडलाइन कर दिया गया। बताया जा रहा है कि सरकार के कुछ लोगों और आईएएस-आईपीएस अफसरों का कथित साथ क्रिकेट के कथित माफिया सरगनाओं को मिला है।

बताया जा रहा है कि क्रिकेट के ग्लैमर का शिकार हो के जो मंत्री उनके आयोजनों में चीफ गेस्ट बन के गए थे, उनको अब अपनी गलती का एहसास हो रहा होगा। उनको शायद ये नहीं मालूम कि गुनसोला-वर्मा पहले सीएम को चीफ गेस्ट बनाने की कोशिशों में लगे थे। दोनों के कारनामों से अच्छी तरह वाकिफ होने के कारण उन्होंने इसके लिए इनकार कर दिया था।

भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ चुके पुष्कर कथित स्वायत्त संस्था CaU को देवभूमि की प्रतिभाओं और प्रतिष्ठा के साथ कलंकित करने की हद तक खिलवाड़ पर अब कड़ा सबक सिखाने जा रहे। एसोसिएशन के अहम ओहदेदारों की Ombudsman और Ethics Officer (दोनों एक ही हैं और खुद में ये भी गंभीर भ्रष्टाचार व मिलीभगत से कम नहीं माना जा रहा) से President-Secretary को बर्खास्त करने की मांग बहुत बड़ी है। इसको एसोसिएशन में खुली फूट या जंग कुछ भी कह सकते हैं। जो प्रवक्ता संजय गुसाईं केले-खाने के करोड़ों के बिलों और खिलाड़ियों को 100 रूपये DA पर खुलासा करने वालों के खिलाफ अदालती कार्रवाई की धमकी देते हुए सामने आए हैं, उनके खिलाफ भी भ्रष्टाचार और Conflict of Interest के गंभीर आरोप Ombudsman से की गई शिकायत में लगाए गए हैं।

संजय गुसाईं का बेटा उत्तराखंड टीम में है। उनके स्टेडियम (तनुष) को CaU ने संदीप रावत के जरिये लीज पर लिया है। उनकी ही इमारत पर CaU ऑफिस है। तुर्रा ये कि बंदा CaU Member भी है। जिस आरोप को फिजूल बता रहे, वह Audit रिपोर्ट है। वह भूल गए कि वह CaG रिपोर्ट्स ही थीं, जिनके आधार पर भ्रष्टाचार को ले के UPA-Congress सरकार हिला दी गई थी। Audit रिपोर्ट्स को कैसे बिना तर्कों के खारिज किया जा सकता है! प्रवक्ता खुद और गुनसोला-माहिम पर लगे आरोपों पर खामोशी साधे हुए हैं। उन्होंने ये जवाब नहीं दिया कि जब Corona के खौफ और Curfew के चलते पूरे संसार में घर से बाहर तक निकलने पर सख्त पाबंदी थी, तब President गुनसोला कैसे मसूरी से देहरादून आने-जाने का 60 हजार रूपये एसोसिएशन के खजाने से वसूलते रहे? जब कोई प्रावधान ही नहीं है तो अभी भी ये वसूली कैसे हो रही?

माहिम पर और भी गंभीर आरोप तमाम हैं। ये भी आरोप है कि जब वह BCCI में कथित VP बनाए गए तो उनको CaU में Special Invitee कैसे बना दिया गया था? सिर्फ इसलिए कि एसोसिएशन का नियंत्रण अपने हाथ में रखना चाहते थे? उनके पिता और दशकों तक लोगों की आँखों के तारे बने रहे PC वर्मा को अब उत्तराखंड क्रिकेट का Master Mind माना जा रहा। अपने आका और Ex Cabinet Minister-Ex CaU President हीरा सिंह बिष्ट को बोर्ड से मान्यता मिलते ही जिस तरह दूध से मक्खी की तरह बाहर फेंक दिया और दुआ सलाम तक बंद कर दी, उसको देख सब हैरत में हैं। हीरा को देहरादून में होने वाली कथित All India Cricket Tournament की आयोजन समिति के President की कुर्सी से भी बिना उन्हें बताए और बिना किसी बैठक के बाहर कर दिया गया।

अब PC वर्मा दलील दे रहे कि सोसाइटी ही नई बना दी गई है। ये नहीं बता रहे कि सोसाइटी नई है तो फिर टूर्नामेंट कैसे पुराना हो सकता? कैसे वह पहला न हो के 38वां बोला जा रहा? Ombudsman को की गई शिकायत में ये भी आरोप हैं कि सचिव वर्मा बैठक के Minutes भी बहुत देर से रिकॉर्ड में लाते हैं। इसके पीछे मंशा अपने हिसाब से Minutes को Record करना होता है। एक Office Bearer की कुर्सी खाली होने पर उसको तत्काल भरना जरूरी है। कोई दूसरा उसके कार्य को देखे इसका प्रावधान ही नहीं है। CEO मोहित डोभाल को अन्तरिम के तौर पर लाया गया था। वह लगातार बना हुआ है। इसका भी कोई प्रावधान नहीं है। Treasurer पृथ्वी सिंह नेगी को हटा के उनकी जगह दीपक मेहरा को लाने के फैसले पर भी सवाल उठाते हुए शिकायत में इसे निजी स्वार्थ से प्रेरित बताया गया है। दीपक भी Conflict of Interest के कई मामलों में आते हैं।

PC वर्मा का भी खास तौर पर जिक्र किया गया है कि उनकी विवादित कथित नई संस्था DB Gold Cup Cricket Association को CaU की तरफ से 25 लाख रूपये दिए गए। मतलब बाप ने पैसा मांगा-बेटे ने दिया। गोया घर का खजाना हो। अंगुली सरकार पर भी उठ रही कि सब कुछ जानते-बूझते हुए और CM के रुख को जानते हुए भी उसके मंत्री कैसे वर्मा खानदान-गुनसोला से जुड़े टूर्नामेंट में जा रहे और उनको सरकारी खजाने से पैसा देने का ऐलान कर रहे? कैसे IAS-IPS अफसर उनके आयोजनों में जा रहे? एसोसिएशन में Member बने हुए हैं। जो Registrar Office (चिट-फंड) कनपुरिया गैंग से मिला हुआ है, और माहिम के खुद को सरकारी राजपत्रित अधिकारी बताने की फर्जी सूचना के प्रमाणित होने के बावजूद पंजीकरण रद्द करने के बजाए आँखें मूँदे हुए है, उसके खिलाफ क्यों नहीं कार्रवाई की जा रही? CM इन पर भी अब संज्ञान ले रहे, ये अच्छी बात है।

पंजीकरण के दौरान माहिम ने खुद को राजपत्रित अफसर बताया था। वह UPNL से थे। तब UPNL के MD ब्रिगेडियर (रि) SPS पाहवा ने साफ कहा था कि माहिम उनका एक ठेका मजदूर है। इसको BCCI का बेहतरीन लोकतन्त्र माना गया था कि उसने एक ठेका श्रमिक को पाना VP बनाया। फिर जब इसका खुलासा ज़ोर शोर से हुआ तो न जाने क्यों उसने माहिम को 3 महीने में ही हटा दिया। बोर्ड और खास तौर पर इसके President सौरव गांगुली तथा Secretary जय शाह आखिर कैसे उत्तराखंड में इतने भ्रष्टाचार-पुलिस केस (चयन को ले के घूसख़ोरी का मुकदमा CaU वालों के खिलाफ गुरुग्राम में दर्ज है। जांच चल रही) और खिलाड़ियों के साथ खिलवाड़ पर खामोश है, इसको बहुत हैरानी भरा माना जा रहा। इससे ये आरोप भी दोनों पर लग रहे कि उनकी खुली छूट और उनका वरदहस्त वर्मा खानदान (एक ही घर से चार लोग CaU में,ऐसा कभी नहीं सुना गया था) पर है।

अंगुली Justice (Re) वर्मा पर भी उठ रही है कि वह Ethics अफसर और Ombudsman एक साथ कैसे हो सकते हैं? Ethics अफसर को एसोसिएशन की पैरवी करनी होती है। Ombudsman स्वतंत्र जज होते हैं। एसोसिएशन के आकाओं के खिलाफ वह कैसे सुनवाई कर सकते हैं? उनको ही जबकि एसोसिएशन की तरफ से Ombudsman के सामने पैरवी करनी होती है। खुद ही मुद्दई और खुद ही फैसला सुनाने वाला कहीं दिखा तो आज तक नहीं। संजय-अवनीश-तेजेंद्र और रोहित की पूरी तैयार है कि Ombudsman के यहाँ उनकी सुनवाई वाजिब ढंग से नहीं होती है तो वे HC फिर SC भी जाएंगे। बहरहाल गुनसोला-माहिम 22 लाख के केले और 35 लाख पानी व 1.75 करोड़ रूपये के खाने के बिलों को ले के सुर्खियां बटोर रहे। हैरानगी इस पर भी जतलाई जा रही कि काँग्रेस के अध्यक्ष करण माहरा ने एसोसिएशन की करतूतों को विधानसभा में उठा के सरकार से जांच बिठवाई थी। वह अब इतने बड़े मुद्दों पर खामोश हैं। गुनसोला उनकी ही पार्टी के हैं। अध्यक्ष बनने के बाद करण उत्तराखंड क्रिकेट की दुनिया में हो रहे माफिया वाद पर मुंह सिले हुए हैं।

CaU के Chief Patron और Ex President हीरा सिंह बिष्ट ये कहने में अब संकोच नहीं करते हैं कि वर्मा खानदान-गुनसोला और UP से जुड़े लोग Gang की तरफ CaU में काम कर रहे हैं। खिलाड़ियों संग अन्याय कर रहे। जिन लोगों ने जिंदगी में कभी पैसे का मुंह नहीं देखा, वे अचानक करोड़ों रूपये मिल जाने से बावले हो गए हैं। खिलाड़ियों और क्रिकेट प्रमोशन पर खर्च करने के बजाए होटलों और खरीददारी पर मोटा बजट खर्च हो रहा। वहाँ से मोटा कमीशन आ रहा। इन सभी आरोपों की सरकार को CBI से जांच करवानी चाहिए। अपनी भी Special Investigation Team गठित करनी चाहिए। वह इस कार्य में सरकार को पूरी मदद और सहयोग करने के लिए तैयार हैं। CM पुष्कर को भ्रष्टाचार के खिलाफ मुहिम छेड़नी प्रतिष्ठा हासिल है। वह इसको आगे बढ़ाएँ।


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