कुछ ताकतें किसानों के बीच गलत धारणा बनाने की कोशिश कर रही : राजनाथ सिंह
कृषि कानून के विरोध में किसानों का आंदोलन 35वें दिन भी जारी है। इसपर अपनी राय रखते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि किसानों के प्रति असंवेदनशील होने का कोई सवाल ही नहीं है, क्योंकि वे “अन्नदाता” हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष नए कृषि कानूनों को लेकर जानबूझकर गलतफहमी फैला रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने कहा कि ऐतिहासिक कृषि सुधार से उन लोगों के पैरों तले जमीन खिसक गई है, जो लोग किसानों के नाम पर अपने निहित स्वार्थ साधते थे। उनका धंधा खत्म हो जाएगा, इसलिए जानबूझ कर देश के कुछ हिस्सों में एक गलतफहमी पैदा की जा रही है। उन्होंने ये भी कहा कि वो एक किसान परिवार में पैदा हुए हैं और खेती के बारे में राहुल गांधी से ज्यादा जानते हैं।
रक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ ताकतें किसानों के बीच गलत धारणा बनाने की कोशिश कर रही हैं। किसानों को नक्सली और खालिस्तानी करार दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर राजनाथ सिंह ने कहा कि ये आरोप किसानों के खिलाफ किसी के द्वारा नहीं लगाए जाने चाहिए।
‘किसानों पर आरोप नहीं लगाना चाहिए’
एएनआई को दिए एक विशेष साक्षात्कार राजनाथ सिंह ने कहा, “हम उनके प्रति अपना गहरा सम्मान व्यक्त करते हैं। हमारे किसानों के प्रति हमारे सिर झुकते हैं। किसान धरना प्रदर्शन कर रहे हैं और केवल वह ही पीड़ित नहीं है, बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी पीड़ित हैं।
सिख समुदाय को सलाम करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, “हमारे सिख भाइयों ने हमेशा भारत की संस्कृति की रक्षा की है। देश के स्वाभिमान की रक्षा के लिए उनके योगदान को याद किया जाएगा। उनकी ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं है।”
राजनाथ सिंह ने कहा कि अगर नेता लोकतंत्र में वादे पूरा नहीं करते हैं तो लोग उन्हें दंडित करते हैं। किसानों द्वारा एमएसपी कानून में लिखे जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने कहा कि केंद्र किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।
‘एमएसपी जारी रहेगा’
यह सुझाव देते हुए कि किसानों को सरकार के साथ प्रत्येक खंड पर एक तार्किक बहस में शामिल होना चाहिए रक्षा मंत्री ने कहा कि सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करने के लिए आवश्यक कार्य करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार समाज के गरीब और हाशिए के लोगों के लिए काम कर रही है।
केंद्र ने प्रदर्शनकारी किसानों को आज छठे दौर की वार्ता के लिए आमंत्रित किया है। मंगलवार को, अपने पत्र में 40 किसान यूनियनों का प्रतिनिधित्व करने वाला संयुक्ता किसान मोर्चा ने कहा कि तीन विवादास्पद कानूनों को निरस्त करने के तौर-तरीके और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर कानूनी गारंटी वार्ता के लिए एजेंडा का हिस्सा होना चाहिए।