भारतीय पैरेंट्स की 13 गंदी आदतें जो बच्चों को कर देती हैं तबाह

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सही परवरिश के साथ बच्चों को बड़ा करना काफी मुश्किल होता है. कई बार यह तय करना काफी मुश्किल हो जाता है कि कौन सी चीजें बच्चे के लिए ठीक हैं और कौन सी नहीं. अक्सर पैरेंट्स ऐसी गलतियां कर बैठते हैं जिससे बच्चे बिगड़ने लगते हैं. ऐसे में आज हम आपको इंडियन पैरेंट्स की कुछ ऐसी आदतों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे बच्चों की जिंदगी तबाह हो सकती है. आइए जानते हैं पैरेंट्स की इन आदतों के बारे में-

बाहर खेलने की बजाय स्क्रीन्स का इस्तेमाल करने देना

बहुत से बच्चे आजकल बाहर ग्राउंड में जाकर खेलने की बजाय स्मार्टफोन, टैबलेट या लैपटॉप में गेम खेलना पसंद करते हैं. ऐसा करने से आपका बच्चा टेक्निकली तो स्मार्ट बन जाता है लेकिन इससे उसकी ओवरऑल ग्रोथ पर काफी बुरा असर पड़ता है. लगातार कई घंटों तक स्क्रीन के आगे बैठने से बच्चों की आंखों पर बुरा असर पड़ता है. साथ ही इससे बच्चों के शारीरिक और मेंटल हेल्थ पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है.

नखरों को प्यार समझना

बहुत से पेरेंट्स अपनी एनर्जी और टाइम बचाने के लिए बच्चों की हर जिद को प्यार समझकर बिना कुछ बोले ही पूरा कर देते हैं. ऐसे में बच्चे यह सीख ही नहीं पाते कि उन्हें कैसे अपनी भावनाओं पर काबू पाना है. बच्चों की हर जिद पूरी होने से वह सही और गलत के बीच अंतर करना नहीं सीख पाते.

हार नहीं, हमेशा जीतना

आजकल के समय में बच्चों के बीच कॉम्पटीशन काफी ज्यादा बढ़ गया है. ऐसे में हर पेरेंट्स बच्चों को जीतने के लिए प्रोत्साहित करते हैं. लेकिन इन सबमें पैरेंट्स बच्चों को फेलियर से डील करना नहीं सिखाते . हालांकि कोई भी पैरेंट्स यह नहीं चाहते कि उनका बच्चा हारे या फेल हो लेकिन यह बहुत जरूरी है कि आप बच्चे को इस परिस्थिति से डील करना सिखाएं. यह उसकी ग्रोथ और विकास के लिए काफी जरूरी होता है.

तुलना करना

सभी बच्चे एक जैसे नहीं होते, यहां तक कि दो भाई-बहनों में भी काफी अंतर होता है. हर किसी में कोई ना कोई अच्छाई या बुराई दोनों ही होती है. हो सकता है आपका बच्चा किसी एक चीज में दूसरों से बेहतर ना हो लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी होंगी जिसमें वह सबसे बेहतर होगा. तो इस स्थिति में अपने बच्चे की तुलना किसी और से ना करें.

सिखाने की बजाय डांटना

कई बार पैरेंट्स बच्चों को कुछ समझ ना आने पर डांटने लगते हैं. इससे बच्चा आगे कुछ भी पूछने के लिए काफी डरने लगता है. पैरेंट्स के चिल्लाने और गुस्सा करने पर आगे चलकर बच्चे भी काफी गुस्सैल प्रवृति के हो सकते हैं.

चीजों को ना छोड़ पाना

पैरंटहुड की जर्नी काफी मुश्किल होती है. बच्चों की अच्छी हेल्थ और भविष्य के लिए जरूरी है कि आप खुद में भी थोड़ा चेंज लाएं. जरूरी है कि आप बच्चे के आगे अपनी कुछ आदतों को बदलें. अगर आपका बच्चा जंक फूड का शौकीन है और आप उसकी यह आदत छुड़वाना चाहते हैं तो इसके लिए जरूरी है कि आप खुद भी जंक फूड का सेवन ना करें. अगर आप अपने बच्चे की किसी भी आदत को सुधारना चाहते हैं तो इसके लिए आप पहले खुद उस काम को करना बंद कर दें. अगर आप खुद किसी चीज को छोड़ नहीं पा रहे हैं तो बच्चे से इसकी उम्मीद कैसे कर सकते हैं.

ऑप्शन देना और फैसला करने की आजादी

कई बार पैरेंट्स किसी परिस्थिति से निपटने के लिए बच्चे को बहुत से ऑप्शन दे देते हैं और उन्हें खुद से फैसला लेने के लिए कहते हैं. वैसे तो खुद से फैसला लेने पर बच्चों में एक समझ आती है लेकिन कई बार इससे बच्चे किसी भी परिस्थिति का सामना करने की बजाय और दूसरों के साथ एडजस्ट करने की बजाय कोई दूसरा विकल्प चुनने लगते हैं.

मांगने से पहले ही इच्छा पूरी करना

कई बार पैरेंट्स बच्चों के मांगने से पहले ही उन्हें चीजें लाकर दे देते हैं. इससे बच्चे को यह महसूस होने लगता है कि किसी भी चीज के लिए उसे बोलने की जरूरत नहीं है क्योंकि आप उसकी जरूरतों और इच्छाओं को बिना बोले ही पूरा कर देते हैं. ऐसा करने से आपके बच्चे के ऊपर काफी बुरा प्रभाव पड़ सकता है. ऐसे में जरूरी है कि बच्चा जब तक खुद से किसी चीज का जिक्र ना करें उसे वो चीज ना दिलाएं. साथ ही यह भी ध्यान रखें कि आप अपने बच्चे की उन्हीं जरूरतों को पूरा करें जो सही हो और जिन चीजों की उसे असल में जरूरत हो.

बच्चों के सामने झूठ बोलना

पैरेंट्स के लिए जरूरी है कि भूलकर भी बच्चे के आगे झूठ ना बोलें. इससे बच्चे को गलत सिग्नल मिलते हैं और उन्हें भविष्य में काफी परेशानी हो सकती है. जब आप किसी परिस्थिति से बचने के लिए बच्चे के सामने झूठ बोलते हैं तो इससे आपका बच्चा भी भविष्य में खुद को बचाने के लिए इस ट्रिक का इस्तेमाल कर सकता है. बच्चे के झूठ बोलने पर आप उसे इसके दुष्परिणामों के बारे में बताएं.

बच्चों को बड़ों की बातों में शामिल करना

जब भी आप किसी चीज के बारे में बात कर रहे हैं तो जरूरी है कि बच्चों को इसमें शामिल ना करें. अगर वह बात बच्चे के मतलब की नहीं है तो उन्हें इससे दूर रखने में ही भलाई होती है. बड़ों की बातें सुनकर बच्चे अपने दिमाग में चीजों को जज करना शुरू कर देते हैं.

सब्र

एक चीज जिसका सामना आजकल की पीढ़ी को करना पड़ता है वह है सब्र की कमी. ऐसे में जरूरी है कि खुद में आप सब्र लेकर आएं खासतौर पर तब जब परिस्थितियां आपके बस में ना हों. पैरेंट्स के लिए भी यह काफी जरूरी है कि आप अपने बच्चे को सब्र करना सिखाएं.

नाकामियों के लिए बच्चे को दोष देना

बच्चे को जन्म देने का फैसला माता-पिता का अपना होता है. तो अगर आपको बच्चा या उसका बर्ताव खराब लगता है तो इसके लिए उसे भला-बुरा ना बोलें क्योंकि यह आपका अपना फैसला था. भले ही आपको कितना भी गुस्सा क्यों ना आ रहा हो लेकिन बच्चों पर गुस्सा ना निकालें.

फिजूलखर्ची 

फिजूलखर्ची की आदत बच्चों में अपने पैरेंट्स से ही आती है. इस बुरी आदत से बच्चों को बचाने के लिए खुद भी गलत तरीके से खर्च ना करें और बच्चे की हर जिद पूरी ना करें साथ ही उनको समय समय पर पैसे का महत्व समझाएं.