प्रधानमंत्री के मनमोहन सिंह पर कमेंट को लेकर संसद में हंगामा, राज्यसभा 26 दिसंबर तक स्थगित

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नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कमेंट पर माफी मांगने से इनकार किए जाने को लेकर लोकसभा और राज्यसभा में शुक्रवार को हंगामा हुआ। इस मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस दोनों की ओर से राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया गया था। बाद में राज्यसभा की कार्यवाही 26 दिसंबर तक स्थगित कर दी गई। सरकार शुक्रवार को तीन तलाक को गैरजमानती अपराध की कैटेगरी में रखने वाला बिल लोकसभा में पेश कर सकती है। इसके लिए बीजेपी ने व्हिप जारी किया। मुस्लिम वूमन प्रोटेक्शन ऑफ राइट्स ऑन मैरिज बिल में तीन तलाक को गैर कानूनी करार दिया गया है। इसके तहत दोषी पाए जाने पर तीन साल तक की जेल हो सकती है।

मोदी के किस बयान पर है विवाद?
– गुजरात के पालनपुर में चुनावी सभा में मोदी ने कहा था कि पाकिस्तान राज्य के विधानसभा चुनावों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने दावा किया कि कुछ पाकिस्तानी अफसर और मनमोहन सिंह ने 6 दिसंबर को मणिशंकर अय्यर के घर पर डिनर के दौरान एक सीक्रेट मीटिंग की थी।

मोदी के बयान पर मनमाेहन ने क्या कहा?
– ट्विटर पर पोस्ट किए गए वीडियो मैसेज में मनमोहन सिंह ने कहा था, “मैं उन आरोपों से बेहद दुखी और आहत हूं जो किसी और ने नहीं, बल्कि खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लगाए हैं। यह बिल्कुल साफ है कि वह गुजरात चुनाव में हार को देखते हुए मायूसी की वजह से ऐसे आरोप लगा रहे हैं। कांग्रेस को अपनी राष्ट्रभक्ति साबित करने की जरूरत नहीं, यह सभी जानते हैं। वह संविधान के दायरे में आने वाले पद को धूमिल करने की अपनी महत्वाकांक्षा की वजह से गलत परंपरा को बढ़ावा दे रहे हैं। मैं उनके आरोपों को खारिज करता हूं। मैंने मणिशंकर अय्यर की ओर से आयोजित किए गए डिनर में गुजरात चुनाव पर चर्चा नहीं की।”

तीन तलाक बिल पर मुस्लिम संगठनों से बात नहीं की: बीजेपी

– सरकार से जब बुधवार को प्रश्न पूछा गया था कि क्या उसने तीन तलाक बिल का मसौदा तैयार करने में मुस्लिम संगठनों के साथ विचार-विमर्श किया है, जिस पर कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी ने ‘ना’ में जवाब दिया।

– वहीं, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक लिखित जवाब में कहा, “ये मसला (ट्रिपल तलाक) जेंडर जस्टिस, जेंडर इक्वालिटी और महिलाओं के सम्मान जैसे मानवीय पहलुओं को देखते हुए उठा था, ये मजहब या आस्था से जुड़ा मामला नहीं है।”

– उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल तलाक (तलाक-ए-बिद्दत) को गैरकानूनी कहा है। इसके बावजूद ऐसे 66 मामले सामने आए हैं, जिनमें पति ने ट्रिपल तलाक के जरिए तलाक दिया है।”

जानें ट्रिपल तलाक बिल के बारे में…

किसने तैयार किया बिल?

– गृहमंत्री राजनाथ सिंह की अगुआई वाले इंटर मिनिस्ट्रियल ग्रुप ने बिल का मसौदा तैयार किया था।
– इस समूह में वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद और कानून राज्य मंत्री पीपी चौधरी शामिल थे।

कितनी सजा हो सकती है?
– यह सिर्फ एक बार में तीन तलाक पर लागू होगा। इस तरह तलाक देने वाले पति को तीन साल की जेल हो सकती है। उस पर जुर्माना लगाया जाएगा। जुर्माने मजिस्ट्रेट तय करेगा।
– विक्टिम अपने और नाबालिग बच्चों के लिए उचित गुजारे भत्ते की मांग कर सकेगी।

फिलहाल क्या एक्शन लिया जाता है?
– अभी महिला स्पेशल मैरिज एक्ट-1954 के तहत हक मांग सकती है। आईपीसी की धारा-125 के तहत मेंटेनेंस, सिविल सूइट व मुस्लिम मैरिज एक्ट के ऑप्शन भी हैं। घरेलू हिंसा कानून के तहत भी कार्रवाई मुमकिन है।
– अधिकारी के मुताबिक, मौजूदा समय में विक्टिम पुलिस के पास जाती है। लेकिन, कानून में किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई ना होने की वजह से पुलिस भी पति के खिलाफ एक्शन नहीं ले पाती।

SC ने कानून बनाने के लिए कितना वक्त दिया था?
– अगस्त में 5 जजों की बेंच ने 3:2 की मेजॉरिटी से कहा कि एक साथ तीन तलाक कहने की प्रथा यानी तलाक-ए-बिद्दत वॉइड (शून्य), अनकॉन्स्टिट्यूशनल (असंवैधानिक) और इलीगल (गैरकानूनी) है। बेंच में शामिल दो जजों ने कहा कि सरकार तीन तलाक पर 6 महीने में कानून बनाए।

SC ने किस तलाक को खारिज किया?
– तलाक-ए-बिद्दत यानी एक ही बार में तीन बार तलाक कह देना। यह हनफी पंथ को मानने वाले सुन्नी मुस्लिमों के पर्सनल लॉ का हिस्सा है। इसे सुप्रीम कोर्ट ने अनकॉन्स्टिट्यूशनल ठहराया है। इससे वॉट्सएप, ईमेल, एसएमएस, फोन, चिट्ठी जैसे अजीब तरीकों से तलाक देने पर रोक लगेगी।

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