September 22, 2024

पौड़ी लोकसभा, जहां 37 सालों तक रहा कांग्रेस का दबदबा, अब होगा श्रीगणेश!

देहरादून। पौड़ी लोकसभा सीट से कांग्रेस ने गणेश गोदियाल को मैदान में उतारा है। भाजपा ने यहां से तक अभी पार्टी का प्रत्याशी घोषित नहीं किया है। इसलिए भाजपा के तमाम उन नेताओं की टिकट मिलने की उम्मीद जिंदा है, जिनकी पौड़ी लोस सीट के टिकट पर निगाह है।

37 वर्षों तक कांग्रेस के पास रही पौड़ी गढ़वाल लोस सीट

पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट 37 साल तक कांग्रेस के पास रही तो 23 वर्ष भाजपा के पास। 1951 के पहले लोकसभा चुनाव में इस सीट का नाम गढ़वाल डिस्ट्रिक्ट (ईस्ट) कम मोरादाबाद डिस्ट्रिक्ट (नार्थ ईस्ट) था। वर्ष 1957 के चुनाव में इसे गढ़वाल लोकसभा सीट का नाम दिया गया। 1951 से 1977 तक इस सीट पर कांग्रेस का दबदबा रहा और 1971 तक लगातार चार बार कांग्रेस नेता भक्तदर्शन यहां से सांसद रहे। 1971 में कांग्रेस के प्रताप सिंह नेगी इस सीट से सांसद बने। 1977 में पहली बार यह सीट कांग्रेस के हाथ से निकली और जनता पार्टी के जगन्नाथ शर्मा जीते। 1980 में जनता पार्टी-सेक्यूलर में हेमवती नंदन बहुगुणा ने जीत हासिल की। 1984 में कांग्रेस के चंद्रमोहन सिंह नेगी इस सीट से चुनाव जीते। 1989 में जनता दल से चंद्रमोहन सिंह फिर से जीते।

पांच चुनावों में बीसी खंडूड़ी का दबदबा

1991 में पहली भाजपा ने पौड़ी लोकसभा सीट जीता और मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी सांसद बने। इसके बाद 1998 और 1999 और 2004 के लोकसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार खंडूड़ी संसद भवन पहुंचे। 2007 में हुए उपचुनाव में भी यह भाजपा की झोली में रही और उसके टिकट पर ले. जनरल टीपीएस रावत ने जीत दर्ज की। 2009 में कांग्रेस ने वापसी की और सतपाल महाराज ने जीत हासिल की। 2014 के चुनाव में यह सीट कांग्रेस से फिसली और भुवन चंद्र खंडूड़ी ने जीत हासिल की। इसके बाद 2019 भाजपा के तीरथ सिंह रावत विजयी हुए।

14 विस सीटों में 13 पर भाजपा का कब्जा

पौड़ी लोकसभा सीट पर 14 विधानसभा सीटें आती हैं। वर्ष 2022 में हुए विधानसभा चुनावों में इन 14 में से 13 सीटें भाजपा के खाते में गई हैं, मात्र एक सीट (बदरीनाथ) पर कांग्रेस का कब्जा है। इस लोस क्षेत्र में दो प्रमुख धाम बदरीनाथ व केदारनाथ स्थित है। प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब समेत कई प्रमुख धार्मिक एवं पर्यटन स्थल भी इस क्षेत्र में हैं। यह सीट सैनिक बहुल है और सैन्य पृष्ठभूमि से जुड़े परिवारों की तादाद काफी अधिक है। इस सीट के अंतर्गत करीब 86 प्रतिशत हिंदू, सात प्रतिशत मुस्लिम, चार प्रतिशत सिख और दो प्रतिशत ईसाई मतदाता हैं।

भाजपा के लिए आसान नहीं हैट्रिक बनाना

भाजपा के लिए पौड़ी लोकसभा हैट्रिक बनाना आसान नहीं है। पौड़ी लोक सभा उत्तराखण्ड के उन दो सीटों में से जहां से अभी भाजपा ने उम्मीदवार तय नहीं किया। इस बात को पार्टी के रणनीतिकार अच्छे से जानते हैं। अंकिता भण्डारी हत्याकाण्ड मे कथित वीआईपी के नाम का खुलासा ना किये जाने के सवालों को भाजपा को यहां सामना करना है। यहां बताते चलें कि अंकिता भण्डारी पौड़ी की रहने वाली हैं। और उसके परिवार के साथ क्षेत्रीय जनता न्याय की मांग को लेकर धरने पर हैं। और सरकार की मनसा पर सवालिया निशान लगा रहे हैं। पूरा पौड़ी लोकसभा क्षेत्र सैनिक बहुल है। इस लिहाज से अग्निवीर से जुड़े सवालों के जवाब भी सत्ताधारी दल होने के नाते भाजपा को देने हैं।


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com