प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट में क्रांति: कुरुक्षेत्र और कुमाऊं यूनिवर्सिटी का ऐतिहासिक समझौता
चंडीगढ़, 22 अगस्त: प्लास्टिक कचरे को रीसाइक्लिंग के जरिए वेल्थ में बदलने और सामाजिक समस्याओं को दूर करने के लिए कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय (कुवि) और कुमाऊं यूनिवर्सिटी नैनीताल (केयूएन) ने मिलकर एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। दोनों संस्थानों के बीच हुए एमओयू के तहत प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में शोध के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे।
शोध में प्लास्टिक से वेल्थ बनाने पर जोर
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के प्रवक्ता ने बताया कि इस समझौते के तहत शोधार्थी “प्लास्टिक वेस्ट टू वेल्थ” विषय पर गहराई से काम करेंगे। इसके जरिए रीसाइक्लिंग तकनीकों का इस्तेमाल कर सिविल इंजीनियरिंग, ऊर्जा भंडारण, दवाइयों के निर्माण, जल शुद्धिकरण, और सड़क निर्माण में प्लास्टिक वेस्ट का उपयोग किया जाएगा।
एमओयू के तहत साझेदारी की बड़ी पहल
कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय परिसर में भौतिकी विभाग और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सहयोग से यह समझौता हुआ। इसके तहत दोनों विश्वविद्यालयों के शिक्षक, शोधार्थी, और छात्र अपने ज्ञान और संसाधनों को साझा करेंगे।
एमओयू के अनुसार चयनित छात्रों को प्रशिक्षण और इंटर्नशिप की सुविधा मिलेगी। साथ ही, दोनों विश्वविद्यालयों की प्रयोगशालाओं और शोध संसाधनों का लाभ स्टाफ और छात्रों को उपलब्ध कराया जाएगा।
नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज का समर्थन
इस परियोजना को “नेशनल मिशन ऑन हिमालयन स्टडीज” के तहत पर्यावरण मंत्रालय से 1.9 करोड़ रुपये की ग्रांट मिली है। कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय विशेष रूप से बैटरियों में उपयोग होने वाले क्वायन सैल और पाउच सैल पर शोध करेगा।
समाज के लिए नई उम्मीदें
प्रवक्ता ने कहा कि प्लास्टिक वेस्ट आज की सबसे बड़ी सामाजिक समस्या है। इस समझौते से समस्या के समाधान के लिए नए रास्ते खुलेंगे। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण में मदद करेगी बल्कि रोजगार के अवसर भी पैदा करेगी।