November 24, 2024

पीएम मोदी का मनमोहन सिंह और शरद पवार पर यू-टर्न का आरोप, जानिए भाषण की 15 बड़ी बातें

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्‍यसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव के दौरान कृषि बिल को लेकर सरकार पर हमला कर रहे विपक्षी दलों को आड़े हाथ लिया। उन्‍होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और एनसीपी के नेता शरद पवार पर यू-टर्न का आरोप लगाते हुए कहा कि एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। इसके साथ ही उन्‍होंने कहा कि जो मनमोहन सिंह ने कहा वो मोदी को करना पड़ रहा है, आप गर्व कीजिए।

प्रधानमंत्री ने कहा कि शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है, कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक आपने यू-टर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते, लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता। पीएम मोदी ने सदन में पूर्व पीएम मनमोहन सिंह का कथन पढ़ा, ‘हमारी सोच है कि बड़ी मार्केट को लाने में जो अड़चने हैं, हमारी कोशिश है कि किसान को उपज बेचने की इजाजत हो।’

पीएम मोदी के भाषण की 15 बड़ी बातें:

1: अच्छा होता कि राष्ट्रपति जी का भाषण सुनने के लिए सब होते तो लोकतंत्र की गरिमा और बढ़ जाती। लेकिन राष्ट्रपति जी के भाषण की ताकत इतनी थी कि न सुनने के बाद भी बात पहुंच गई।
2: हम आज़ादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं, ये एक प्रेरक अवसर है। हम जहां हों, मां भारती की संतान के रूप में आज़ादी के 75वें पर्व को हमें प्रेरणा का पर्व मनाना चाहिए।
भारत के लिए दुनिया ने बहुत आशंकाएं जताई थीं। विश्व बहुत चिंतित था कि अगर कोरोना की इस महामारी में भारत अपने आप को संभाल नहीं पाया तो न सिर्फ भारत, पूरी मानव जाति के लिए इतना बड़ा संकट आ जाएगा, ये आशंकाएं सभी ने जताई।
3: सोशल मीडिया पर देखा होगा फुटपाथ पर छोटी झोपड़ी लगाकर बैठी एक बुढ़ी मां अपनी झोपड़ी के बाहर दीया जलाकर भारत के शुभ के लिए कामना कर रही है। हम उसका मजाक उड़ा रहे हैं, उस भावना का मखौल उड़ा रहे हैं!
4: हां लोकतंत्र को लेकर काफी उपदेश दिए गए हैं। मैं नहीं मानता कि जो बातें बताई गई हैं देश का कोई भी नागरिक उन पर भरोसा करेगा। भारत का लोकतंत्र ऐसा नहीं है जिसकी खाल हम इस तरह से उधेड़ सकते हैं, ऐसी गलती हम न करें।
5: हमारा लोकतंत्र किसी भी मायने में वेस्टर्न इंस्टीट्यूशन नहीं है। ये एक ह्यूमन इंस्टीट्यूशन है। भारत का इतिहास लोकतांत्रिक संस्थानों के उदाहरणों से भरा पड़ा है। प्राचीन भारत में 81 गणतंत्रों का वर्णन मिलता है।
6: कोरोना काल में दुनिया में लोग निवेश के लिए तरस रहे हैं लेकिन भारत में रिकॉर्ड निवेश हो रहा है। तथ्य बता रहे हैं कि अनेक देशों की आर्थिक स्थिति डांवाडोल है जबकि दुनिया भारत में डबल डिजिट ग्रोथ का अनुमान लगा रही है।
7: पीएम किसान सम्मान निधि योजना से सीधे किसान के खाते में मदद पहुंच रही है। 10 करोड़ ऐसे किसान परिवार हैं जिनको इसका लाभ मिल गया। अगर बंगाल में राजनीति आड़े नहीं आती, तो ये आंकड़ा उससे भी ज्यादा होता। अब तक 1 लाख 15 हज़ार करोड़ रुपये किसान के खाते में भेजे गये हैं।
8: शरद पवार, कांग्रेस और हर सरकार ने कृषि सुधारों की वकालत की है कोई पीछे नहीं है। मैं हैरान हूं अचानक यूटर्न ले लिया। आप आंदोलन के मुद्दों को लेकर इस सरकार को घेर लेते लेकिन साथ-साथ किसानों को कहते कि बदलाव बहुत जरूरी है तो देश आगे बढ़ता।
9: हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पंजाब के साथ क्या हुआ। इसे विभाजन के दौरान सबसे ज्यादा नुकसान उठाना पड़ा। यह 1984 के दंगों के दौरान सबसे ज्यादा रोया था। वे सबसे दर्दनाक घटनाओं के शिकार हुए। जम्मू-कश्मीर में मासूमों की हत्या कर दी गई। हथियारों का कारोबार उत्तर पूर्व में किया जाता था। इन सबने राष्ट्र को प्रभावित किया।
10: राष्ट्र प्रगति कर रहा है और हम एफडीआई के बारे में बात कर रहे हैं, लेकिन मैं देख रहा हूं कि एक नया एफडीआई सामने आया है। हमें इस नए FDI से राष्ट्र की रक्षा करनी है। हमें प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की आवश्यकता है, लेकिन नया एफडीआई ‘विदेशी विनाशकारी विचारधारा’ है, हमें इससे खुद को बचाना होगा।
11: इस देश को हर सिख पर गर्व है। उन्होंने इस देश के लिए क्या नहीं किया है? हम उन्हें जो भी सम्मान देंगे, वह हमेशा कम रहेगा। मैं पंजाब में अपने जीवन के महत्वपूर्ण वर्ष बिताने के लिए भाग्यशाली रहा हूं। उनके लिए कुछ लोगों द्वारा इस्तेमाल की गई भाषा और उन्हें गुमराह करने का प्रयास कभी भी राष्ट्र को लाभ नहीं पहुंचाएगा।
12: मनमोहन सिंह जी ने किसान को उपज बेचने की आज़ादी दिलाने, भारत को एक कृषि बाज़ार दिलाने के संबंध में अपना इरादा व्यक्त किया था और वो काम हम कर रहे हैं। आप लोगों को गर्व होना चाहिए कि देखिए मनमोहन सिंह जी ने कहा था वो मोदी को करना पड़ रहा है।

13: देश में एक नई इकाई आई है ‘अंदोलन जीव’। जहां कहीं भी विरोध होता है, वह वहां पर दिख जाते हैं। चाहे यह आंदोलन वकीलों छात्रों, या मजदूरों का हो। वह आंदोलन के बिना नहीं रह सकते, हमें उनकी पहचान करनी होगी और उनसे राष्ट्र की रक्षा करनी होगी।

14: जो लोग उछल-उछल कर राजनीतिक बयानबाज़ी करते हैं, उनके राज्य में जब उनको मौका मिला तो उन्होंने इसमें से आधा-अधूरा कुछ न कुछ किया है।
15: दूध उत्पादन किन्हीं बंधनों में बंधा हुआ नहीं है। दूध के क्षेत्र में या तो प्राइवेट या को-ऑपरेटिव दोनों मिलकर कार्य कर रहे हैं। पशुपालकों जैसी आज़ादी, अनाज और दाल पैदा करने वाले छोटे और सीमांत किसानों को क्यों नहीं मिलनी चाहिए।