पीएम मोदी का बड़ा बयान: अंग्रेजी कानून का उद्देश्य भारतीयों को गुलाम रखना था, अब भारतीय न्याय संहिता से बदलाव की ओर
चंडीगढ़: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चंडीगढ़ में आयोजित एक समारोह में तीन नए आपराधिक कानूनों की समीक्षा करते हुए अंग्रेजी शासन के तहत भारतीयों के साथ किए गए भेदभावपूर्ण व्यवहार पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया। पीएम मोदी ने कहा कि ब्रिटिश शासन के दौरान बनाए गए कानूनों का मुख्य उद्देश्य भारतीयों को गुलाम बनाना था, लेकिन अब भारतीय न्याय संहिता में बदलाव से न्याय की नई दिशा तय हो रही है।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि 1857 का स्वतंत्रता संग्राम ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ था, और इसी संघर्ष के बाद 1860 में अंग्रेजों ने भारतीय पीनल कोड (IPC) लागू किया। उन्होंने यह भी कहा कि इन कानूनों का उद्देश्य केवल भारतीयों को दंडित करना और उन्हें गुलाम बनाए रखना था। पीएम मोदी ने याद दिलाया कि 1947 में जब देश स्वतंत्र हुआ, तो भारतीयों को उम्मीद थी कि अब अंग्रेजी कानूनों से मुक्ति मिलेगी, लेकिन स्वतंत्रता के बाद भी इन कानूनों का प्रभाव भारतीयों पर बना रहा।
पीएम मोदी ने भारतीय न्याय संहिता की प्रक्रिया को एक व्यापक और समग्र दस्तावेज़ बताया, जिसमें सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों और देश के प्रमुख न्यायधीशों का महत्वपूर्ण योगदान रहा है।
इसके अलावा, पीएम मोदी ने एक पुलिस प्रदर्शनी भी देखी, जिसमें हत्या के काल्पनिक क्राइम सीन का प्रदर्शन किया गया और बताया गया कि वीडियो रिकार्डिंग के जरिए साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ नहीं होने पाएगी। इसके साथ ही, महिलाओं और बच्चों से संबंधित अपराधों को दो महीने के भीतर निपटाने का प्रावधान भी बताया गया।