September 22, 2024

‘कट्टरपंथ-आतंकवाद को रोकना SCO का मकसद, अफगानिस्तान का उदाहरण सबके सामने’, SCO समिट में बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) सम्मेलन में कहा कि इस साल हम SCO की भी 20वीं वर्षगांठ मना रहे हैं. उन्होंने कहा, यह खुशी की बात है कि इस शुभ अवसर पर हमारे साथ नए मित्र जुड़ रहे हैं. मैं ईरान का SCO के नए सदस्य देश के रूप में स्वागत करता हू. मैं तीनों नए डायलॉग पार्टनर्स, साऊदी अरब, इजिप्ट और कतर, का भी स्वागत करता हूं.

पीएम मोदी ने कहा, ‘SCO की 20वीं वर्षगांठ इस संस्था के भविष्य के बारे में सोचने के लिए भी उपयुक्त अवसर है. मेरा मानना है कि इस क्षेत्र में सबसे बड़ी चुनौतियां शांति, सुरक्षा और ट्रस्ट-डेफिसिट से संबंधित है. और इन समस्याओं का मूल कारण बढ़ता हुआ कट्टरता है. अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम ने इस चुनौती को और स्पष्ट कर दिया है.’

SCO करे एक मजबूत नेटवर्क बनाने का काम

भारत में और SCO के लगभग सभी देशों में, इस्लाम से जुड़ी उदारवादी, सहिष्णु और समावेशी संस्थाएं और परम्पराएं हैं. SCO को इनके बीच एक मजबूत नेटवर्क विकसित करने के लिए काम करना चाहिए. इस सन्दर्भ में मैं SCO के RATS तंत्र द्वारा किए जा रहे उपयोगी कार्य की प्रशंसा करता हूं.

प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि हम इतिहास पर नज़र डालें, तो पाएंगे कि मध्य एशिया का क्षेत्र उदारवादी, प्रगतिशील संस्कृतियों और मूल्यों का गढ़ रहा है. सूफीवाद जैसी परम्पराएं यहां सदियों से पनपी और पूरे क्षेत्र और विश्व में फैलीं. इनकी छवि हम आज भी इस क्षेत्र की सांस्कृतिक विरासत में देख सकते हैं.

उन्होंने कहा, ‘चाहे वित्तीय समावेशन बढ़ाने के लिए UPI और रुपे कार्ड जैसी टेक्नोलॉजी हों, या कोरोना से लड़ाई में हमारे आरोग्य-सेतु और कोविन जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म, इन सभी को हमने स्वेच्छा से अन्य देशों के साथ भी साझा किया है.’

भारत सेंट्रल एशिया के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध

एशियाई क्षेत्र में संयोजन पर जोर देते हुए पीएम मोदी ने कहा कि भारत सेंट्रल एशिया के साथ अपनी कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है. हमारा मानना है कि लैंड लॉक्ड सेंट्रल एशियाई देशों को भारत के विशाल बाजार से जुड़कर अपार लाभ हो सकता है. कनेक्टिविटी की कोई भी पहल एक तरफा नहीं हो सकती.

उन्होंने कहा कि आपसी विश्वास सुनिश्चित करने के लिए कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट्स को परामर्शी, पारदर्शी और भागीदारी वाला होना चाहिए. इनमें सभी देशों की टेरीटोरियल इंटीग्रिटी का सम्मान निहित होना चाहिए.


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