September 22, 2024

सियासतः चुनावी साल में उत्तराखण्ड में राजनैतिक अस्थिरता पर छिड़ी बड़ी बहस

दस्तावेज डेस्क। उत्तराखंड में चुनावी साल में मुद्दों की बरसात होने लगी है। हर सियासी दल और उसके नेता अपने-अपने विजन सामने रख रहे हैं। उत्तराखण्डित का झण्डा लेकर चलने वाले कांग्रेसी नेता हरीश रावत ने अब प्रदेश में विधान परिषद् का गठन की वकालत करते हुए प्रदेश में नहीं बहस छेड़ दी है। अभी हाल ही में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने उत्तराखण्ड में राजनीतिक अस्थिरता को खत्म करने के लिए विधान परिषद् के गठन की वकालत की थी। हरीश रावत ने प्रदेश में राजनैतिक स्थिरता के लिए 21 सदस्यीय विधान परिषद् की मांग उठाई है। अपने इस बयान के बाद हरीश रावत अब अपने विरोधियों के निशाने पर है।

कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने विधान परिषद् के गठन का बताया बेमानी

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री के उत्तराखंड में विधान परिषद की वकालत करने पर वरिष्ठ भाजपा नेता और कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा ‘देशभर के छोटे राज्यों में विधान परिषद का कोई उदाहरण नहीं है। इसलिए उत्तराखंड में विधान परिषद बनाए जाने की बात कहना सरासर बेईमानी और जनता के पैसों की बर्बादी के सिवाय और कुछ नहीं है।’

सतपाल महाराज ने कहते है हिमाचल के साथ-साथ नवगठित छत्तीसगढ़, झारखंड और देश के अन्य किसी भी छोटे राज्य में विधान परिषद नहीं है। आंध्र प्रदेश तक ने अपने यहां विधान परिषद को समाप्त करने का प्रस्ताव पारित किया हुआ है।
उन्होंने कहा कि वह प्रदेश के कांग्रेस नेता को याद दिलाना चाहते हैं कि उन्हीं की पार्टी के तत्कालीन चुनाव प्रभारी सुरेश पचौरी के सामने भी जब 2002 में विधान परिषद के गठन का विषय आया था तो उन्होंने साफ तौर पर कहा था कि यह व्यवस्था छोटे राज्य में नहीं है इसलिए उत्तराखंड में विधान परिषद का कोई औचित्य नहीं है। तब उन्होंने इस विषय को चुनाव घोषणा पत्र में भी शामिल करने से इंकार कर दिया था।

भाकपा माले नेता इन्द्रेश ने कसा तंज

जाने-माने आंदोलनकारी और भाकपा माले नेता इन्द्रेश मैखुरी ने हरीश रावत के इस बयान पर कटाक्ष किया है। ‘नुक्ता-ऐ-नजर’ में उन्होंने लिखा है कि उत्तराखंड के आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कॉंग्रेस की कैम्पेन कमेटी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने नेताओं के लिए भी चुनावी घोषणा का चुग्गा फेंक दिया है. रावत साहब कह रहे हैं कि उत्तराखंड के विकास के लिए विधान परिषद बहुत जरूरी है,वही राज्य में स्थिरता लाएगा! परोक्ष रूप से अपनी बिरादरी यानि सत्ता की मलाई के लिए जीभ लपलपाने वाली बिरादरी को यह संदेश है कि विधान सभा की सत्तर सीटों में नंबर न आए तो घबराना नहीं, तुम्हारे लिए विधान परिषद का बंदोबस्त करवाऊँगा मैं!

यानि अब की बार चुनाव में टिकट की दौड़ से वंचित रहने वालों को भी झुनझुना थमा दिया है,रावत साहब ने ! हालांकि विधान परिषद को भी रावत साहब ने अपनी इच्छा की तरह ही प्रकट किया है. पर रावत साहब की इच्छाएं कैसी होती हैं, ये सब जानते ही हैं. पहले उन्होंने इच्छा प्रकट की कि वे उत्तराखंड में किसी दलित को मुख्यमंत्री देखना चाहते हैं. उसके कुछ दिन बाद वे केदारनाथ गए और उन्होंने स्वयं खुलासा किया कि वे स्वयं के मुख्यमंत्री बनने की मन्नत मांग आए हैं!

 


WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com