September 22, 2024

राजनीतिः कांग्रेस ने दी दलित ब्राहृाण और ठाकुर को तवज्जो, लेकिन गायब नजर आया गढ़वाल

देहरादून। तकरीबन एक महीने की मशक्कत के बाद आखिरकार कांग्रेस हाईकमान ने उत्तराखण्ड में नेता प्रतिपक्ष और पीसीसी अध्यक्ष के नामों को ऐलान कर दिया हे। कांग्रेस हाईकमान ने बाजपुर से विधायक यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया है। जबकि रानीखेत से चुनाव हार चुके करण मेहरा को प्रदेश कांग्रेस की बागडोर सौंपी है। करण माहरा दो बार के विधायक रहे हैं और उत्तराखण्ड की चौथी विधानसभा में उपनेता प्रतिपक्ष रहे हैं। मौजूदा मुख्यमंत्री को चुनाव मैदान में धूल चटा चुके भुवन कापड़ी को हाईकमान के उपनेता प्रतिपक्ष के लायक ही समझा।

अब इन नियुक्तियों को लेकर कांग्रेस हाईकमान क्या संदेश देना चाह रही है ये समझ से परे है लेकिन मीडिया के मुताबिक कांग्रेस हाईकमान ने संदेश दिया है कि पार्टी में गुटबाजों को कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे। वहीं राजनीति के छद्म चाणक्य बताते हैं कि हाईकमान ने ठाकुर, ब्राहमण और दलितों तीनों जातियों को साधने की कोशिश की है। यहां बता दें कि यशपाल आर्य दलित समुदाय से आते हैं। वहीं करण माहरा की पहचान एक ठाकुर नेता की है। तो सीएम धामी को चुनाव में पटकनी देने वाले खटीमा विधायक भुवन कापड़ी ब्राहमण है।

अब भौगोलिक आधार में इन नई नियुक्तियों पर गौर करें तो यशपाल आर्य और भुवन कापड़ी उत्तराखण्ड के तराई इलाके से आते हैं और दोनों ही नेताओं की विधानसभा मैदानी क्षेत्र खटीमा और बाजपुर हैं। वहीं करण माहरा अल्मोड़ा जिले के रानीखेत से ताल्लुक रखते हैं।

उत्तराखण्ड की राजनीति पर गौर करें तो यह कुमाऊं, गढ़वाल और मैदान में बंटा हुआ है। और यहां की राजनीति हमेशा भौगोलिक और जातीय समीकरणों के ईर्द-गिर्द रही है। यहां पर कांग्रेस हाईकमान जातीय समीकरण साधने में सफल रहा लेकिन भौगोलिक समीकरणों को साधने में गच्चा खा गया। गढ़वाल क्षेत्र को कांग्रेस ने संगठन और सदन दोनों जगह तरजीह देना शायद मुनासिब नहीं समझा।

अंकों के लिहाज से देखें तो यदि हरिद्वार जिले को गढ़वाल क्षेत्र में माना जाय तो यहां से कांग्रेस को कुल जमा 4 सीट नसीब हुई हैं। हरिद्वार ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र से पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत विधायक हैं। बद्रीनाथ से पूर्व कैबिनेट मंत्री राजेन्द्र भण्डारी इस बार विधानसभा पहुंचने में कामयाब रहे। विक्रम सिंह नेगी पतापनगर से विधायक बने हैं। वहीं चकराता से प्रीतम सिंह हैं तो जो लगातार चकराता से अपना विजयी अभियान जारी रखे हुए हैं।

भाजपा बना कांग्रेसियों का प्लेसमेंट हब

विधानसभा चुनाव 2022 में करारी शिकस्त खाने के बाद भी प्रदेश कांग्रेस मे घमासान मचा है। नई प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की नियुक्ति बाद प्रदेश कांग्रेस में हालात सुधरने के नाम नहीं है। हालात ये हैं कि शात और सौम्य स्वभाव के पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह बगावती तेवर अपनाये हुए हैं। सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ उनकी मुलाकात का फोटो वायरल हो रहा है। इस वायरल फोटो का प्रीतम के समर्थक और विरोधी दोनों अपने-अपने मायने निकाल रहे हैं। लेकिन ये तो साफ है कि गुटबाजों के चलते पिछले आठ-दस सालों में कांग्रेस को भारी खामियाजा भुगतना पड़ा है। इसे यूं भी कहा जा सकता है कि भारतीय जनता पार्टी कांग्रेस नेताओं के प्लेसमेंट का बड़ा हब बन गया है।

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष किशोर उपाध्याय अपनी उपेक्षा के चलते भाजपा में चले गये। अब वे नई टिहरी से विधायक बनकर विधानसभा में पहुंच गये हैं। महिला कांग्रेस की अध्यक्षा रही सरिता आर्य को कांग्रेस में टिकट के लाले पड़े गये। भाजपा में शामिल हुई और नैनीताल से विधानसभा पहुंची गई। पूर्व सीएम विजय बहुगुणा, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज जो कभी कांग्रेस के बड़े चेहरे रहे उन्हें भाजपा में अच्छी प्लेसमेंट मिली है। पूर्व सीएम इस बार अपने बेटे को कैबिनेटे मंत्री बनाने में कामयाब रहे वहीं उनके साथ भाजपा में गये दूसरे लगातार दूसरी दफा भाजपा की तरफ से प्रदेश सरकार में है।

हालांकि हरक सिंह रावत और यशपाल आर्य भाजपा में पांच साल का फेरा लगाकर वापस कांग्रेस में आ गये हैं। विश्वस्त सूत्रों की माने तो पूर्व केबिनेट मंत्री और अब नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य का भाजपा में दम घुट रहा था तो वे अपने विधायक बेटे समेत कांग्रेस में लौट आये। कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें वापिसी का ईनाम दिया और उन्हें नेता प्रतिपक्ष बना दिया।

गढ़वाल का शेर पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत उतने भाग्यशाली नहीं रहे। वे अपनी पुत्रबधू के लिए भाजपा से टिकट चाहते थे, लेकिन भाजपा ने मना कर दिया और वो कांग्रेस की तरफ लौट आये। कांग्रेस ने बहू को टिकट तो दिया लेकिन चुनाव नहीं जीत पाई।

यूकेडी की राह पर कांग्रेस

मौजूदा विधानसभा में कांग्रेस 19 सीटें जीतेने में कामयाब रहीं। चौथी विधानसभा में कांग्रेस को कुल 11 सीटें मिली थी। संख्या की लिहाज से देखा जाय तो कांग्रेस को आठ सीटें ज्यादा मिली हैं। पॉजेटिव सोच वाले लोग इसे पूर्व अध्यक्ष गणेश गोदियाल और बतौर चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष हरीश रावत की बड़ी उपलब्धि मान सकते हैं। लेकिन बदले हुए हालातों में कांग्रेस हाईकमान ने जिस तरह यशपाल आर्य को नेता प्रतिपक्ष बनाया है, राजनीति के जानकार इसकी तुलना यूकेडी से कर रहे हैं। बता दें की भाजपा से यूकेडी में वापिसी के बाद यूकेडी ने पूर्व केबिनेट मंत्री दिवाकर भट्ट को यूकेडी की कमान सौंपी थी। आज प्रदेश में यूकेडी कहां हैं सभी जानते हैं। प्रदेश में नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य भी अभी-अभी भाजपा से वापस आयें हैं।


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