September 22, 2024

पीएफआई ने सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या भूमि मामले के फैसले को लेकर क्यूरेटिव पिटीशन दायर की

पीस पार्टी के बाद अब पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) ने अयोध्या मामले में शुक्रवार को क्यूरेटिव याचिका दाखिल की। पीएफआईने क्यूरेटिव पिटीशन दायर करते हुए पिछले साल अयोध्या पर नौ नवंबर को दिए गए फैसले पर दोबारा विचार करने की मांग की है। सुप्रीम कोर्ट से क्यूरेटिव याचिका पर खुली अदालत में बहस की भी मांग की गई है। याचिका में कहा गया कि शीर्ष अदालत अपने नौ नवंबर 2019 के फैसले पर रोक लगाए, जिसमें विवादित जमीन का मालिकाना हक रामलला को दे दिया गया था। 

इससे पहले पीस पार्टी ने दाखिल की थी क्यूरेटिव याचिका

इससे पहले 21 जनवरी को पीस पार्टी ने भी जनवरी माह में सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव याचिका दाखिल की थी। अयोध्या मामले में पहली सभी पुनर्विचार याचिकाओं के खारिज होने के पीस पार्टी द्वारा यह याचिका डाली गई थी। उस दौरान भी पीस पार्टी के डॉक्टर अय्यूब ने 9 नवंबर के फैसले पर दोबारा विचार किए जाने की मांग की थी। उनका कहना था कि पहले आया हुआ फैसला आस्था के आधार पर लिया गया था। उल्लेखनीय है कि दोनों ही याचिकाकर्ता इस मुकदमे में पक्षकार नहीं थे।  

आस्था के आधार पर लिया गया था फैसला

इस मामले में पुनर्विचार याचिका खारिज होने के बाद पीस पार्टी के डॉक्टर अयूब ने क्यूरेटिव पिटीशन दायर की थी। याचिकाकर्ता ने कहा है कि इस मामले में फैसला आस्था के आधार पर लिया गया था। गौरतलब है कि तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने नौ नवंबर 2019 को अयोध्या मामले में अपना फैसला सुनाया था, जिसके खिलाफ 19 पुनर्विचार याचिकाएं दायर की गयी थी। उच्चतम न्यायालय ने गत 12 दिसंबर को सभी पुनर्विचार याचिकाओं को खारिज किया था।

अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया था ये फैसला

अयोध्या मामले में फैसला सुनाते हुए उच्चतम न्यायालय ने विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण करने और सुन्नी वक्फ बोर्ड को मस्जिद निर्माण के लिये किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन देने के आदेश दिये थे। राज्य की योगी आदित्यनाथ कैबिनेट ने गत पांच फरवरी को अयोध्या जिले के सोहावल इलाके में सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ जमीन देने का फैसला किया था। वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष फारूकी ने राज्य सरकार द्वारा अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये दी गई जमीन लेने के मुद्दे पर कहा था कि वह इसे लेने से इनकार नहीं कर सकते मगर यह बोर्ड पर निर्भर करता है कि वह उस भूमि पर मस्जिद बनाये या नहीं।


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