पेश की मिसाल: सृष्टि की प्रीत ने बनाया प्रीतम को फोटोग्राफर

bassa (1)

खिर्सू। कैमरा, लाइट, एक्शन, ग्लैमर की दुनिया के शब्द माने जाते हैं। सिनेमेटोग्राफी और फोटोग्राफी में करियर बनाना होता तो सीधे दिल्ली, मुम्बई, बैंगलौर, चण्डीगढ़ जैसे बड़े शहरों का ख्याल जहन में आ जाता है। लेकिन इसके उलट खिर्सू के प्रीतम सिंह नेगी ने एक नई मिसाल पेश की है। प्रीतम सिंह पिछले चालीस साल से अपने घर गांव में रह कर फोटोग्राफी कर रहे है। यही उनकी आमदनी का मुख्य जरिया है। यही उनकी पहचान हैं। इससे उन्होंने एक बड़ा मुकाम हासिल किया है। वे हमेशा आपको प्रेस जैकेट में मिल जाएंगे। प्रीतम सिंह सरकारी विभागों के लिए भी फोटोग्राफी करते हैं। पर्यटन विभाग, सूचना विभाग और स्टेट बैंक जैसे बड़े नाम उनके क्लाइंट है। वे बेहतर कैरियर के लिए शहरों की तरफ कभी नहीं गए।

प्रीतम बताते हैं कि बचपन से ही ’फोटोग्राफी’ उनका शौक रहा है। उन्होंनें पौड़ी की एक लैब से फोटोग्राफी की बारीकियां सीखी। अस्सी के दशक का वो दौर रील वाले कैमरे और डार्क रूम का था। चालीस साल के फोटोग्राफी के कैरियर में तकनीक में बड़े बदलाव आए हैं। उन्होंने रील फिल्म की फोटोग्राफी से लेकर डिजिटल फोटोग्राफी तक के बदलाव को करीब से देखा है। इन बदलावों के लिए वे हमेशा तैयार रहे।

प्रीतम सिंह को प्रकृति से बड़ा लगाव है। यही लगाव उन्हें फोटोग्राफी के पेशे तक ले आया। नेचर फोटोग्राफी उनका हमेशा पसंदीदा विषय रहा है। प्रकृति के हर रंग को वे अपने कैमरे में कैद करने की कोशिश करते है। वे बताते हैं कि नेचर और फोटोग्राफी का बड़ा गहरा नाता है। सृष्टि ने उत्तराखण्ड को अनूठे उपहार दिये हैं। यहां बर्फ से ढके हिमालय की लम्बी श्रंखलाएं है, पहाड़, नदियां, बुग्याल, पशु-पक्षी जंगल सब कुछ हैं।

फोटोग्राफर प्रीतम

पहाड़ं की सुन्दरता, संस्कृति, खान-पान, रीजि रिवाज, पहाड़ी जनजीवन सब कुछ आपको प्रीतम सिंह की तस्वीरों में मिल जाएंगे। अगर आपको पहाड़ को करीब से जानना और समझना हो तो उनकी तस्वीरों में आपको सब मिल जाएगा। वैडिंग फोटोग्राफी में उनका एक बडा नाम है।

प्रीतम सिंह फोटोग्राफर के साथ-साथ कमाल के निशानेबाज भी है। निशाने बाजी में उन्हें जिला और राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में कई पुरस्कार मिल चुके हैं। हाल ही उन्होंने जिला शूटिंग प्रतियोगिता, पौड़ी में ’ओवर आॅल शूटिंग चैम्पियन’ का खिताब जीता। ’ओवर आॅल शूटिंग चैम्पियन’ का तो वे आधा दर्जन से अधिक बार तमगा हासिल कर चुके हैं। इसके अलावा प्रीतम सिंह, जसपाल राणा शूटिंग रेंज में भी अपने निशानेबाजी का जौहर दिखा चुके हैं। इतना ही नहीं वे तैराकी और साइकिलिंग का भी खासा दखल रखते हैं।

प्रीतम सिंह अपने शुरूआती दिनों के बारे में बताते हैं कि उन्होंने अपनी प्रारम्भिक शिक्षा दीक्षा गांव से ही ली है। खिर्सू से इंटर करने के बाद उन्होंने श्रीनगर से आईटीआई (आशुलिपिक) का प्रशिक्षण लिया। वे बताते हैं आईटीआई में दाखिले के बाद पहली बार वे घर से बाहर गये। तब उन्हें एहसास हुआ कि दुनिया कुछ बड़ी है। उन्होंने बीएसआर कैम्पस पौड़ी से स्नातक की पढ़ाई की।

भविष्य की अपनी योजनाओं के लेकर प्रीतम सिंह बड़े उत्साहित होकर बताते हैं कि वे अपने बेहतरीन फोटोग्राफों का एक एलबम बनाना चाहते है जिसमें उनकी पूरी जानकारी होगी। इसके अलावा वे फोटोग्राफी गैलरी भी बनाना चाहते हैं।

प्रीतम सिंह कहते हैं कि राज्य सरकार पर्यटन को लेकर तमाम योजनाएं बना रही हैं। प्रदेश में पर्यटन को उद्योग का दर्जा भी दिया गया है। लेकिन इसके साथ-साथ सरकार को फोटोग्राफी और सिनेमेटोग्राफी को भी प्रोत्साहित करना चाहिए। वे बताते है फोटोग्राफी को पर्यटन से अलग नहीं किया जा सकता है। उनका कहना है कि फोटोग्राफी रोजगार का एक बढ़िया जरिया है। इसको स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए। सरकारी स्तर पर फोटोग्राफी के प्रशिक्षण संस्थान खोले जाने चाहिए जहां प्रदेश के नौजवान इसकी बारीकियां सीख सकें और इसको स्वरोजगार के तौर पर अपना सकें।

फोटोग्राफर प्रीतम

वे युवाओं को संदेश देते है कि उत्तराखण्ड में फोटोग्राफी और सिनेमेटाग्राफी की बेहतर संभावनाएं हैं। यह स्वरोजगार का अच्छा जरिया है। इससे बड़ा नाम और मुकाम हासिल किया जा सकता है। लेकिन इससे पहले इसका प्रशिक्षण जरूर लेना चाहिए।

You may have missed