NDA को 12 हजार और वोटों की जरूरत, क्या मायावती देंगी द्रौपदी मुर्मू का साथ?
राष्ट्रपति चुनाव के लिए 18 जुलाई को वोट डाले जाने हैं. एनडीए की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू आज अपना नामांकन दाखिल करेंगी. बीजेपी को अपना राष्ट्रपति बनवाने के लिए 12000 वोटों की और आवश्यकता है. उसकी आवश्यकता उत्तर प्रदेश से ही पूरी हो सकती है. लेकिन यह आवश्यकता तब पूरी हो सकती है अगर उसे बीएसपी और कुछ अन्य दल उसे सपोर्ट करें. राष्ट्रपति चुनाव में देश में सबसे ज्यादा अगर किसी प्रदेश के विधायकों के वोट का वेटेज है तो यूपी के विधायकों का है, जबकि सांसदों के वोट का वेटेज भी सबसे ज्यादा यूपी का ही है.
यूपी से ही पार होगी नैया
द्रौपदी मुर्मू आज अपना नामांकन दाखिल करेंगी. उनके नामांकन में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे. वही यूपी के कुछ सांसद प्रस्तावक भी बनाए गए हैं. उत्तर प्रदेश के विधायकों के वोट का वेटेज देश में सबसे अधिक है जो 208 है तो वही सांसदों के वोट का वेटेज भी सबसे अधिक है जो 700 है. देश के सांसदों विधायकों के वोट का कुल वेटेज 10 लाख 79 हज़ार 206 है तो इसका 15 फीसदी वेटेज यूपी के ही सांसदों और विधायकों का है जो लगभग 1 लाख 61 हज़ार 524 है. एनडीए को अपने उम्मीदवार को जिताने के लिए 12000 से कुछ अधिक वोटों की और आवश्यकता है और उसकी यह जरूरत उत्तर प्रदेश से ही पूरी होती दिखती है.
ममता की बैठक से दूर रहीं मायावती
दरअसल, जब पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी ने बैठक बुलाई थी तब बीएसपी सुप्रीमो मायावती उसमें शामिल नहीं हुई. अब अगर वह बीजेपी को सपोर्ट करें तो उनके 10 सांसद हैं और उनके वोट का वेटेज 7000 हो जाता है इसके अलावा उनके एक विधायक के वोट का वेटेज 208 है. ये कुल मिलाकर 7208 हो जाता है. वहीं अगर राजा भैया की बात करें तो उनकी पार्टी के भी दो विधायक हैं उनके वोट का वेटेज भी 416 है. शिवपाल यादव तकनीकी रूप से सपा के विधायक हैं लेकिन उनकी नाराजगी जगजाहिर है. ऐसे में उनके वोट का वेटेज 208 और वह भी काफी महत्वपूर्ण हो जाता है.
बैठक में अखिलेश यादव और जयंत चौधरी को तो ममता बनर्जी ने बुलाया था लेकिन सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर को इस बैठक में निमंत्रण नहीं दिया गया. हालांकि वह लगातार उपचुनाव में सपा का प्रचार कर रहे हैं लेकिन उनके 6 विधायक हैं और उनके वोट का कुल वेटेज 1248 है.
बीजेपी की यह है तैयारी
इस चुनाव के लिए बीजेपी ने अपनी खास तैयारी की है. यूपी में उसके विधायकों की संख्या 255 है जबकि उसके सहयोगी अपना दल के विधायकों की संख्या 12 है और निषाद पार्टी के विधायकों की संख्या 6 इस तरह कुल 273 विधायक एनडीए के उत्तर प्रदेश में हैं. बीजेपी के अपने 62 और सहयोगी दलों के दो सांसद हैं इन्हें जोड़कर कुल संख्या 64 हो जाती है राज्यसभा सांसदों की बात करें तो तकरीबन उनकी संख्या भी 20 से ज्यादा है. वहीं सरकार के मंत्री विपक्षी दलों से निवेदन कर रहे हैं कि सभी लोग द्रौपदी मुर्मू के नाम पर ही सहमति जताएं और बिना चुनाव के ही उनका निर्वाचन कराकर एक नया संदेश सभी दल दें. वहीं सपा ने भी अपनी रणनीति तैयार करने के लिए शुक्रवार को पार्टी के विधायकों सांसदों की बैठक बुलाई है. बैठक में विधायकों और सांसदों से प्रस्तावक के तौर पर दस्तखत भी करवाए जाएंगे.
विपक्ष का जान लें क्या है हाल
राष्ट्रपति चुनाव के लिए बीजेपी की उत्तर प्रदेश में मजबूत तैयारी है जबकि अगर विपक्षी दलों की बात करें तो सपा के अपने 111 विधायक हैं उसके सहयोगी आरएलडी के 8 विधायक हैं और सुभासपा से 6 विधायक हैं. वही सपा के कुल 5 सांसद 2019 में जीते थे, लेकिन आजमगढ़ और रामपुर में उपचुनाव हो रहे हैं वहां कौन जीतेगा यह भी राष्ट्रपति चुनाव में काफी महत्वपूर्ण हो जाएगा. इसके अलावा राज्यसभा सदस्यों की बात करें तो सपा के सदस्यों की संख्या वहां पर भी काफी कम है. ऐसे में उत्तर प्रदेश में तो कम से कम है राष्ट्रपति चुनाव के लिए एनडीए का पलड़ा काफी भारी नजर आता है.