किसानों को फसलों की कटाई के लिए दी जाए लॉकडाउन में ढील-राहुल गांधी
कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए देश में लगाए गए लॉकडाउन ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है। खेत से लेकर मंडी तक किसान पर मुसीबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। इस बीच पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने किसानों के हित के लिए लॉकडाउन में ढील देने की मांग की है। उन्होंने कहा, फसलों की कटाई के लिए लॉकडाउन में सुरक्षित तरीके से ढील देना एकमात्र रास्ता है।राहुल गांधी ने बुधवार को कहा कि फसलों की कटाई के लिए लॉकडाउन में सुरक्षित तरीके से ढील देनी चाहिए। उन्होंने ट्वीट किया, ‘रबी की फसल खेतों में तैयार खड़ी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण कटाई का काम बहुत मुश्किल हो गया है। इस वजह से सैकड़ों किसानों की आजीविका खतरे में है। देश के अन्नदाता किसान आज इस संकट में दोहरी मुसीबत में हैं।’
इसके साथ ही उन्होंने एक खबर भी शेयर की जिसमें लॉकडाउन के कारण किसानों को फसलों की कटाई में पेश आ रही मुश्किलों का उल्लेख है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस का संक्रमण फैलने से रोकने के लिए देश भर में लागू 21 दिवसीय लॉकडाउन 25 मार्च से शुरू हुआ था और 14 अप्रैल को खत्म होगा।
विदेश नीति में डर कर फैसला करना देशवासियों का अपमान : कांग्रेस
वहीं दूसरी ओर, कांग्रेस ने मलेरिया की दवा के संबंध में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के ‘जवाबी कार्रवाई’ वाले कथित बयान को लेकर सरकार को आड़े हाथ लेते हुए बुधवार को आरोप लगाया कि विदेश नीति में किसी डर की वजह से निर्णय करना देशवासियों का अपमान है। पार्टी प्रवक्ता पवन खेड़ा ने यह भी कहा कि मौजूदा सरकार को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय की विदेश नीति और पहले की परंपराओं से सीखना चाहिए।
उन्होंने वीडियो लिंक के माध्यम से संवाददाताओं से कहा, ‘हम विश्व समुदाय को परिवार मानते हैं। हम हमेशा लोगों की मदद करते आए हैं। लेकिन कोई धमकी दे, तो उसे स्वीकार नहीं किया जा सकता। भारत कभी भी किसी के सामने नहीं झुका। 1971 में बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समय ब्रिटेन और अमेरिका ने हस्तक्षेप कोशिश की तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने करारा जवाब दिया कि भारत अपने राष्ट्रीय हित में कोई दखल और दुस्साहस बर्दाश्त नहीं करेगा।’
उन्होंने कहा कि सरकार को अपनी इस परंपरा को याद रखना चाहिए और सीखना चाहिए। कांग्रेस नेता ने कहा, ‘विदेश नीति राजनीतिक विषय नहीं है और इस पर हम और सभी पार्टियां सरकार के साथ खड़ी होती हैं, लेकिन डर की वजह से कोई निर्णय लिया जाएगा तो उससे देश के 130 करोड़ लोगों का अपमान होता है।’