September 22, 2024

राजस्थान में क्या कांग्रेस के प्लेन को टेकऑफ कर पाएंगे पायलट? चुनाव से पहले होंगी ये बड़ी चुनौतियां

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर सरगर्मी तेज है और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के लिए तैयार हैं. उन्होंने इसके लिए पर्चा भी भर दिया है. अब अगर अशोक गहलोत कांग्रेस के अध्यक्ष बनते हैं तो सबसे बड़ा सवाल यह है कि उनके कुर्सी छोड़ने के बाद आखिर साजस्थान का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस रेस में फिलहाल दो नाम सबसे आगे हैं. एक नाम है डिप्टी सीएम सचिन पायलट का और दूसरा नाम है विधानसभा स्पीकर डॉ सीपी जोशी का.

सूत्रों की मानें तो कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में है. ऐसे में अगर यह मान लिया जाए कि सचिन पायलट ही राजस्थान के अगले मुख्यमंत्री होने वाले हैं तो यहां यह जानना भी बेहद जरूरी हो जाता है कि उनके सामने 2023 के विधानसभा चुनावों से पहले क्या-क्या चुनौतियां रहने वाली हैं.

2018 के चुनावों में सचिन पायलट का अहम रोल

2018 में राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुए थे, जिसमें सचिन पायलट ने एक बड़ी अहम भूमिका थी. वे राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष थे और उन्होंने पार्टी को सत्ता में वापसी कराने में जी तोड़ मेहनत की थी. इसी का नतीजा था कि उन्हें डिप्टी सीएम की कुर्सी भी दी गई. हालांकि, वे डिप्टी सीएम के पद से खुश नहीं थे और उनकी नाराजगी साफ झलक रही थी.

साल 2020 में सचिन पायलट की बगावत

साल 2020 में सचिन पायलट की टीस साफ देखने को मिली थी. मुख्यमंत्री न बनाए जाने से नाराज सचिन पायलट अपने विधायकों को लेकर हरियाणा पहुंच गए और अशोक गहलोत के लिए मुश्किल खड़ी कर दी. ये बवाल कई दिनों तक चला. इसके बाद राहुल गांधी और प्रियंका गांधी ने सचिन पायलय से मुलाकात की और आखिर में जाकर समझौता हुआ. सचिन फिर से कांग्रेस के साथ आ गए और फ्लोर टेस्ट में उन्होंने अशोक गहलोत का समर्थन किया.

राजस्थान कांग्रेस में अंदरूनी कलह से निपटना

अब इस बात को 2 साल बीत चुके हैं. इन दो सालों में अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच कोई बड़ी राजनीतिक तनातनी देखने को तो नहीं मिली, लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सबकुछ बिल्कुल ठीक है. अगर सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनते हैं तो उन्हें कांग्रेस में अंदरूनी कलह से निपटना होगा. ये मुमकिन है कि अशोक गहलोत का गुट सचिन पायलट के सीएम बनने से नाराज हो जाए. ऐसे में स्थिर सरकार चलाने के लिए उनको सभी के साथ बेहतर संबंध रखने होंगे.

राजस्थान में बढ़ता अपराध और साम्पद्रायिक ध्रुवीकरण

राजस्थान में अपराध का ग्राफ तेजी से ऊपर जा रहा है और विपक्ष इस मुद्दे को लेकर लगातार सड़कों पर दिखाई दे रहा है. भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस सरकार के खिलाफ आए दिन विरोध मार्च निकाल रही है और अपराध को लेकर सरकार को निशाने पर ले रही है. सचिन पायलट को इस सबसे निपटने के लिए भी नई रणनीति की जरूरत होगी. मौजूदा समय की बात करें तो राजस्थान में साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को रोकना एक बड़ी चुनौती है.

अगले चुनाव के वक्त करौली, अलवर, जोधपुर और भीलवाड़ा में हुआ बवाल काफी अहम मुद्दे होंगे. इसी के साथ महिलाओं के साथ होने वाले अपराध में भी राजस्थान का नाम पूरे देश में बदनाम है. हाल ही में आई एनसीआरबी की रिपोर्ट से पता चला है कि दुष्कर्म के मामले में देश में एक बार फिर राजस्थान पहले नंबर पर रहा है. साल 2021 में राजस्थान में दुष्कर्म के इतने मामले दर्ज हुए हैं, जितने दो बड़े राज्यों में मिलकर भी दर्ज नहीं हुए. 2022 की तुलना में 2021 में महिलाओं के खिलाफ अपराध में 15.3 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. रोजाना 17 महिलाएं रेप की शिकार हुईं हैं.

गहलोत की गैरमौजूदगी में मिलेगा फ्री हैंड

सचिन पायलट के सामने चुनौतियों का अंबार लगा हुआ है. कांग्रेस में अंदरूनी कलह, राजस्थान में अपराध, विपक्ष का हमला और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण जैसे तमाम मुद्दे पायलट के सामने पहाड़ बनकर खड़े होंगे. वहीं उनके लिए एक अच्छी बात यह होगी कि गहलोत की गैरमौजूदगी में उनको फ्री हैंड मिलेगा. ऐसे में वो अपनी नीतियों को खुद से बिना किसी की अनुमति के लागू कर पाएंगे. मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ अगर उनको चुनौती मिलेगी तो उनको चुनौतियों से लड़ने के लिए फ्री हैंड भी मिलेगा.

कांग्रेस को जीत दिलाने पर बढ़ेगा कद

अगले साल यानी 2023 में दिसंबर महीने में राजस्थान विधानसभा के चुनाव होंगे. खुद को साबित करने के लिए सचिन पायलट के पास एक साल का समय होगा. इस एक साल में उनको काफी मेहनत करनी होगी. अगर उन्होंने एक साल में राजस्थान की बेहतरी के लिए लैंडमार्क काम कर दिखाए तो विधानसभा चुनाव में उनको इसका फायदा जरूर मिलेगा. ऐसे में अगर कांग्रेस को चुनाव में जीत हासिल होती है तो इससा पूरा क्रेडिट भी पायलट को मिलेगी. साफ तौर से इसके बाद उनका कांग्रेस में कद जरूर बढ़ेगा.


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