राजस्थान- राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई विधानसभा सत्र बुलाने वाली फाइल, राजभवन पहुंचे गहलोत
राजस्थान में इन दिनों सियासी उठापटक जारी है और कोर्ट के जरिए राजनीतिक लड़ाई लड़ी जा रही है। इसी बीच राजभवन ने विधानसभा सत्र बुलाने वाली फाइल को तीसरी बार लौटा दिया है और मुख्यमंत्री गहलोत राज्यपाल से मिलने के लिए राजभव पहुंचे हैं। दूसरी ओर बहुजन समज पार्टी (बसपा) ने राजस्थान उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। इसके अलावा सचिन पायलट खेमे के एक और विधायक ने भी राजस्थान उच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर की हैं। ये याचिकाएं कांग्रेस पार्टी द्वारा निलंबित विधायक भंवरलाल शर्मा ने बुधवार को उच्च न्यायालय में एसओजी की तरफ से दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग को लेकर दाखिल की है।
राज्यपाल ने तीसरी बार लौटाई सत्र बुलाने वाली फाइल
राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने विधानसभा बुलाने का राज्य सरकार का प्रस्ताव तीसरी बार लौटा दी है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि वे राज्यपाल से मिलेंगे और जानेंगे कि वह क्या चाहते हैं। गहलोत ने कहा, ‘विधानसभा सत्र बुलाने का नोटिस 21 दिन का हो या 31 दिन का, जीत हमारी ही होगी।’
मायावती बोलीं- हम इस मुद्दे को जाने नहीं देंगे
राजस्थान में बसपा के छह विधायक- विधायक लखन सिंह (करौली), राजेन्द्र सिंह गुढ़ा (उदयपुरवाटी), दीपचंद खेड़िया (किशनगढ़ बास), जोगेंदर सिंह अवाना (नदबई), संदीप कुमार (तिजारा) और वाजिब अली (नगर, भरतपुर) कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बसपा कई बार इस विलय के खिलाफ विरोध जता चुकी है। वहीं पार्टी सुप्रीमो मायावती ने मंगलवार को कहा था कि बसपा पहले भी अदालत जा सकती थी लेकिन हम अशोक गहलोत और कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए सही समय का इंतजार कर रहे थे। अब हमने इस मामले पर अदालत का रुख करने का फैसला लिया है। हम इस मुद्दे को जाने नहीं देंगे। हम इसे उच्चतम न्यायालय तक लेकर जाएंगे।
ये सभी विधायक सितंबर 2019 में बसपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हो गए थे। बसपा के प्रदेश अध्यक्ष भगवान सिंह बाबा ने कहा, ‘हमने बसपा विधायकों के कांग्रेस में विलय के खिलाफ उच्च न्यायालय में आज रिट याचिका दाखिल की है।’ बसपा विधायकों के सत्तारूढ़ कांग्रेस में विलय से प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार को मजबूती मिली थी और 200 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस की सदस्य संख्या बढ़कर 107 हो गई थी।
बागी विधायक ने राजस्थान उच्च न्यायालय में दाखिल की याचिकाएं
बागी विधायक भंवरलाल शर्मा की तरफ से दाखिल याचिका में एसओजी में दर्ज दो एफआईआर और एसीबी की एफआईआर को रद्द करने के साथ ही एसओजी में दर्ज एफआईआर मामले की एनआईए से जांच कराने की मांग की है। इन याचिकाओं को वकील एसएस होरा ने दाखिल किया है।
फिलहाल मामले की जांच राजस्थान पुलिस का विशेष अभियान दल (एसओजी) कर रहा है। एसओजी ने 17 जुलाई को शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। तीन ऑडियो टेप सामने आने के बाद कांग्रेस के प्रमुख व्हिप महेश जोशी की शिकायत पर यह मामला दर्ज हुआ था।
इनमें से एक टेप में शर्मा केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत से कथित तौर पर विधायकों के खरीद-फरोख्त के जरिए सरकार गिराने की बातें कर रहे हैं। वहीं एक अन्य टेप में वह इसी मुद्दे पर संजय जैन से कथित तौर पर बात कर रहे हैं। शर्मा ने इस मामले को राजनीति से प्रेरित बताते हुए अदालत से इस प्राथमिकी को रद्द करने की अपील की।
इसके अलावा उन्होंने इस मामले की जांच एनआईए को सौंपे जाने का आग्रह किया है। उनका तर्क है कि इस मामले में राज्य की जांच एजेंसियां निष्पक्ष तरीके से जांच नहीं करेंगी क्योंकि राजस्थान के मुख्यमंत्री सार्वजनिक तौर पर उनके खिलाफ बयान दे चुके हैं।
एसओजी जैन को गिरफ्तार कर चुकी है और शेखावत को नोटिस भेज चुकी है। कांग्रेस ने दावा किया है कि जैन भाजपा नेता हैं जबकि भाजपा ने इस आरोप को खारिज करते हुए कहा है कि संबंधित व्यक्ति के साथ पार्टी का कोई संबंध नहीं है।