राजस्थान में फिर फूटा ‘लेटर बम’, सीएम गहलोत से भ्रष्ट मंत्री को हटाने की मांग

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राजस्थान में इन दिनों कांग्रेस सरकार अपनी ही पार्टी के नेताओं के ‘लेटर बम’ से परेशान है। लेटर बम इसलिए क्योंकि विरोध के स्वर में खुलकर लिखे जाने वाले इन पत्रों में ना केवल सरकार के कामकाज की आलोचना की जाती है बल्कि उन्हें सार्वजानिक करके सरकार की फजीहत भी की जा रही है। इसकी शुरुआत सबसे पहले मंत्रिमंडल से बर्खास्त किये गए उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने की और अब उनके बाद एक और कांग्रेस विधायक के सरकार की आलोचना वाला पत्र सार्वजनिक हुआ है।

सरकार के कामकाज और मंत्रिमंडल में शामिल एक मंत्री को भष्ट्र बताने वाला यह पत्र पूर्व मंत्री और कोटा के सांगोद से कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने लिखा है। इस पत्र में उन्होंने राजस्थान कांग्रेस द्वारा हाल ही में जिलों के प्रभारी मंत्रियों की नियुक्तियों पर सवाल उठाने के साथ गहलोत सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल एक मंत्री को ही खुलकर भष्ट्राचार का माफिया बता दिया।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम लिखे अपने पत्र में कांग्रेस विधायक भरत सिंह ने लिखा है कि ‘समाचार पत्रों में पढ़ा है की आपने प्रभारी मंत्रियों के जिलों में फेरबदल किया है। इसका कितना लाभ होगा उसे परखने में समय लगेगा। आवश्यकता तो यह है की आपके मंत्रिमंडल में शामिल भष्ट्र मंत्री को जनता में सन्देश भेजवाने हेतु कृपया बर्खास्त करें। एक बार पहले मुख्यमंत्री रहते हुए आप उन्हें हटा चुके हैं। यह मंत्री भष्ट्राचार के माफिया हैं। इनका नाम लिखना आवश्यक नहीं समझता हूं। गन्दगी की बदबू नजदीक के लोगों को ज्यादा दुर्गंद देती है। सादर – भरत  सिंह कुन्दरपुर ..’

सत्तारूढ़ पार्टी के ही विधायक के पत्र की भाषा समूची कांग्रेस के लिए परेशान करने वाली है। क्योंकि उन्होंने अपनी ही सरकार के एक मंत्री पर बेहद ही गंभीर आरोप लगाये हैं। जानकारों की माने तो उनकी नाराजगी खान और गौपालन मंत्री प्रमोद जैन भाया से हैं जो की उनके ही जिले से आते हैं। रविवार को ही राजस्थान कांग्रेस ने सत्ता और सरकार में बेहतर तालमेल के लिए प्रमोद जैन भाया से अजमेर का प्रभारी मंत्री से हटाते हुए जालौर-सिरोही का प्रभारी मंत्री बनाया है। हालांकि जालौर- सिरोही का इलाका कोटा के सांगोद से काफी दूर है, लेकिन विधायक की नाराजगी इन दो जिलों का प्रभार इन मंत्री को देने को लेकर है।

वैसे इससे पहले मंत्रिमंडल से बर्खास्त किये गए उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी अचानक इसी तरह का एक पत्र लिखकर पिछले हफ्ते ही सरकार के कामकाज पर सवाल उठाये थे। सचिन के पत्र से उनकी नाराजगी भी साफ नजर आ रही थी क्योंकि पत्र के ऊपर सम्मान सूचक ‘अशोक स्तम्भ’ तो बना हुआ था, लेकिन बाकी के खाली पन्नों पर उनके टोंक से विधायक होने या पूर्व उपमुख्यमंत्री होने जैसा कोई शब्द नहीं लिखा हुआ था। यहां तक की सचिन पायलट और उनके साथ बर्खास्त हुए मंत्री रमेश मीना के सोशल मीडिया अकाउंट ट्वीटर पर भी अशोक गहलोत सरकार में शामिल होने के दौरान उन्हें मिले पद का कोई उल्लेख नहीं है।

दो बार सांसद, एक बार केन्द्रीय मंत्री , 7 साल तक राजस्थान कांग्रेस के अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री वैसे बड़े पदों का अनुभव होने के बावजूद भी सचिन पायलट ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर केवल पूर्व केन्द्रीय मंत्री के साथ टोंक विधायक ही लिख रखा है जबकि रमेश मीना ने पूर्व मंत्री की बजाय  ‘सपोटरा’ विधायक ही लिखा है। सचिन पायलेट ने सीएम अशोक गहलोत के नाम पत्र लिखकर अति पिछड़ा वर्ग को 5 फीसदी आरक्षण देने को लेकर यह पत्र लिखकर सरकार से अपना वादा पूरा करने की मांग की थी। पत्र पर भी केवल सचिन पायलट की हैसियत से ही हस्ताक्षर थे जो की बताने के लिए काफी था की आलाकमान के समझौता कराने के बावजूद भी वे अशोक गहलोत सरकार से किस कदर आज भी नाराज ही चल रहे हैं।

सचिन पयलट की नाराजगी इसी से समझी भी जा सकती है की जिलों के प्रभारी मंत्री बनाते समय उनके पुराने संसदीय क्षेत्र अजमेर में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अपने सबसे नजदीकी मंत्री लालचंद कटारिया तो सचिन के निर्वाचन क्षेत्र में रघु शर्मा को नियुक्त कर दिया है। जाहिर है की खुद सचिन समर्थक भी मानते हैं की भले ही सत्ता और संघटन में बेहतर तालमेल के लिए प्रभारी मंत्री नियुक्त किये गए हैं लेकिन सचिन पायलेट के प्रभाव या कहे की उनके चुनाव क्षेत्र वाले इन दोनों ही जिलों में पायलेट खेमे के नेताओं को ज्यादा तरजीह नहीं मिलेगी।

खैर सचिन पायलट के लेटर बम के तरीके को लेकर अभी बहस पूरी तरह खत्म भी नहीं हुई थी कि कांग्रेस के एक और विधायक भरत सिंह का इस तरह से नाराजगी भरा पत्र सार्वजनिक हो जाना निश्चित रूप से राजस्थान में कांग्रेस पार्टी और सरकार के लिए परेशानी का बड़ा सबब बन गया है। ये वे ही कांग्रेस विधायक है जिन्होंने अपनी ही सरकार के ब्यूरोक्रेसी को लेकर कई बार सवाल उठाये हैं, अपनी ही पार्टी के कामकाज को लेकर यह भी कह चुके हैं कि राजस्थान ऐसा राज्य है, जिसमें एक बार बीजेपी और एक बार कांग्रेस सरकार आती है। दोनों ही सरकारें अच्छी योजनाएं भी लाती हैं लेकिन फिर भी सरकारें रिपीट नहीं होती हैं। 

साथ ही जब शराब से हाथ धोने से कोविड-19 वायरस साफ हो सकता है तो शराब पीने से निश्चित रूप से गले से वायरस भी साफ हो जाएगा, जैसा विवादित बयान भी दे चुके हैं। अब उनका ताजा बयान यह बताने के लिए काफी है की भले ही राजस्थान में राजनितिक लिहाज़ से भले ही अब सब कुछ ठीक ठाक हो गया है लेकिन कांग्रेस पार्टी में शायद अब भी सब कुछ ठीक नहीं है।