गोरखधाम और प्रभु राम: मंदिर आंदोलन के केंद्र में रहा है योगी का मठ

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पांच अगस्त को अयोध्या में रामलला के मंदिर का भूमि पूजन होने जा रहा है. इस कार्यक्रम में पीएम मोदी भी शामिल हो रहे हैं. इसके लिए बड़े स्तर पर तैयारियां चल रही हैं, अयोध्या को दुल्हन की तरह सजाया जा रहा है. माना जा रहा है कि भूमि पूजन के बाद राम मंदिर निर्माण के कार्यों में तेजी आएगी. यहां एक बात और है जिस पर ध्यान देने की जरूरत है मंदिर आंदोलन के लंबे इतिहास से लेकर सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले और अब राम मंदिर के भूमि पूजन तक हर एक अहम पड़ाव का एक जुड़ाव गोरखपुर के गोरखनाथ मंदिर (गोरखधाम) से भी रहा है.

जी हां, अयोध्या विवाद की पूरी टाइम लाइन पर अगर गौर करें तो यह बात उभर कर सामने आती है कि राम जन्मभूमि मामले में जब भी कोई महत्वपूर्ण घटना घटी है उसका संबंध गोरखनाथ मंदिर से जुड़ा रहा है. गोरखनाथ मठ की तीन पीढ़ियां राम मंदिर आंदोलन से जुड़ी रही हैं.

उत्तर प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिलहाल गोरखनाथ मठ के महंत हैं. इसी मठ ने अयोध्या के राम मंदिर आंदोलन की शुरुआत की थी और काफी समय तक आंदोलन का केन्द्र बिंदु भी रहा. महंत दिग्विजयनाथ का इस आंदोलन में खास योगदान रहा है. दिग्विजय नाथ के निधन के बाद उनके शिष्य महंत अवैद्यनाथ ने आंदोलन को आगे बढ़ाया.

अब महंत अवैद्यनाथ के शिष्य और मठ के मौजूदा महंत योगी आदित्यनाथ मंदिर निर्माण के एक-एक काम में विशेष रुचि ले रहे हैं. यही नहीं इसके साथ ही साथ आदित्यनाथ कई ऐसे काम भी कर रहे हैं जिससे अयोध्या का विश्व में नाम हो और आने वाले वक्त में राम की नगरी का पूरा कायाकल्प हो जाए और वह देश का बड़ा धार्मिक केंद्र बनकर उभरे.

प्रकटीकरण और रामशिला पूजन से जुड़े रहे महंत दिग्विजयनाथ

राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद काफी पुराना है लेकिन जिस भूमि विवाद पर सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया था. उस विवाद की शुरुआत 1949 में हुई थी जब 22/23 दिसंबर 1949 की रात मस्जिद के भीतरी हिस्से में रामलला की मूर्तियां रखी गई थीं. इस घटना के बाद अयोध्या का पूरा परिदृश्य ही बदल गया था.

इस भूमि विवाद का सबसे अहम पड़ाव 23 दिसंबर 1949 को ही माना जाता है. जब बाबरी मस्जिद के मुख्य गुंबद के ठीक नीचे वाले कमरे में रामलला की मूर्तियां रखी गई थीं. इसे ही उस वक्त रामलला का प्रकटीकरण कहा जाने लगा. बताया जाता है कि 22/23 दिसंबर 1949 की रात रामलला की मूर्तियां रामचबूतरे से उठाकर मस्जिद के भीतरी हिस्से में रखी गई थीं. विवादित ढांचे में जब रामलला की मूर्तियां रखी गईं, उस दौरान वहां गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत दिग्विजयनाथ कुछ साधु-संतों के साथ वहां कीर्तन कर रहे थे.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद योगी आदित्यनाथ ने अपने ट्विटर हैंडल से एक फोटो भी शेयर की थी. उसमें उन्होंने लिखा था, “गोरक्षपीठाधीश्वर युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज, परम पूज्य गुरुदेव गोरक्षपीठाधीश्वर ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज एवं परमहंस रामचंद्र दास जी महाराज को भावपूर्ण श्रद्धांजलि.” बता दें कि योगी आदित्यनाथ ने जो फोटो शेयर की थी उसमें महंत अवैद्यनाथ और परमहंस रामचंद्र दास दिखाई दे रहे थे. वह तस्वीर रामशिला पूजन के वक्त की बतायी जाती है.

राम जन्मभूमि का ताला खुलते समय वहां मौजूद थे महंत अवैद्यनाथ

23 दिसंबर की घटना के बाद 29 दिसंबर 1949 को विवादित जमीन पर कोर्ट के आदेश से ताला लगा दिया था और इमारत एक रिसीवर को सौंप दी गई थी जिसे रामलला की पूजा की जिम्मेदारी भी दी गयी थी. राम जन्मभूमि विवाद में अगला अहम पड़ाव 1986 में आता है जब एक स्थानीय वकील और पत्रकार उमेश चंद्र पांडेय की अपील पर फैजाबाद के तत्कालीन जिला जज कृष्णमोहन पांडेय ने 1 फरवरी 1986 को विवादित परिसर का ताला खोलने का आदेश दिया था.

इस आदेश का उस वक्त काफी विरोध भी किया गया था. मुस्लिम पैरोकारों ने अदालत के उस आदेश को एकतरफा फैसला बताया था. कोर्ट के आदेश के बाद जब विवादित परिसर का ताला खोला गया उस ऐतिहासिक समय का गवाह बनने के लिए गोरखनाथ मंदिर के तत्कालीन महंत अवैद्यनाथ भी वहां मौजूद थे.

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से लेकर भूमि पूजन तक हर जगह दिखे योगी आदित्यनाथ

9 नवंबर 2019 को जब सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या विवाद पर अपना ऐतिहासिक फैसला दिया और विवादित जमीन रामलला को सौंपने की बात कही तब गोरखनाथ धाम के मौजूदा महंत योगी आदित्यनाथ ने यूपी की सत्ता संभाल रखी थी. बता दें कि अपने गुरु की तरह ही योगी आदित्यनाथ भी मंदिर आंदोलन को लेकर शुरुआती दिनों में काफी मुखर रहे हैं. यही वजह है कि राम नगरी का विकास उनकी प्राथमिकताओं में शामिल रहां और फिलवक्त राम मंदिर निर्माण के अलावा कई अहम योजनाएं भी चल रही हैं जिनके पूरा होने के साथ ही अयोध्या का कायाकल्प हो जाएगा. यहां आपको यह भी बता दें कि योगी आदित्यनाथ की ही प्राथमिकता थी कि अयोध्या में दीप प्रज्वलन का विश्व रिकॉर्ड बनाया गया.

इसके अलावा इसी साल चैत्र नवरात्रि के पहले दिन यानी 25 मार्च 2020 को सुबह-सुबह रामलला गर्भ गृह के ऊपर लगाए गए टेंट से निकलकर एक मेकशिफ्ट मंदिर में पहुंचे. उस वक्त भी गोरखनाथ मठ के मौजूदा महंत योगी आदित्यनाथ वहां मौजूद थे. यही नहीं 27 साल 3 माह 20 दिन बाद रामलला को टेंट से निकाल कर एक अस्थायी मंदिर में स्थापित करने का काम उन्होंने अपने ही हाथों से किया था.

बता दें कि 25 मार्च को ब्रह्म मूहूर्त में करीब 4 बजे श्रीरामजन्मभूमि परिसर में स्थित गर्भ गृह में रामलला को स्नान और पूजा-अर्चना के बाद अस्थायी मंदिर में शिफ्ट किया गया था. इस दौरान योगी आदित्यनाथ ने मंदिर के निर्माण के लिए 11 लाख रुपये का चेक भी दिया था. अब भूमि पूजन की तैयारियों को लेकर कुछ दिन पहले सीएम का दौरा हो चुका है. इससे पहले भी वे मंदिर निर्माण के कार्यों की समीक्षा करते ही रहे हैं. अब राम मंदिर के भूमि पूजन कार्यक्रम में भी पीएम मोदी के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ शिरकरत करने वाले हैं.