दिल्ली दहलाने के लिए भेजे थे 29 लाख, लाल किला हमले के मास्टरमाइंड की कहानी
पाकिस्तानी आतंकी मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक अहमद की फांसी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने बरकरार रखा है. अशफाक साल 2000 में लाल किले में तैनात जवानों पर हुए आतंकी हमले का मास्टरमाइंड है. उसने फांसी की सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका लगाई थी. अशफाक को 2005 में ट्रायल कोर्ट ने फांसी की सजा सुनाई थी. उसी समय उसकी पत्नी को भी सात साल की सजा सुनाई गई थी.
हवाला के जरिये भेजे थे 29.50 लाख रुपये, हमले में हुए थे इस्तेमाल
पुलिस को इस मामले की जांच में पता चला था कि लश्कर के संदिग्ध आतंकी बिलाल अहमद के अकाउंट में 29.50 लाख रुपये हवाला के जरिये ट्रांसफर किए गए थे. यह पैसे मोहम्मद आरिफ उर्फ अशफाक अहमद ने ही ट्रांसफर किए थे. वह इस हमले का मास्टरमाइंड था. अशफाक अहमद को हवाला के जरिये यह पैसा पाकिस्तान में बैठे हैंडलर्स के जरिये मिला था. यह पूरा पैसा लाल किले पर जवानों की बैरक में किए गए हमले में इस्तेमाल किया गया था.
पत्नी को हुई थी 7 साल की जेल
दिल्ली पुलिस ने मामले में ट्रायल कोर्ट में 2001 में आतंकी अशफाक अहमद समेत 21 अन्य लोगों के खिलाफ चार्जशीट दायर की थी. लेकिन कोर्ट ने अशफाक समेत सिर्फ 11 लोगों के खिलाफ ही आरोप सिद्ध किए थे. अक्टूबर 2005 में पाकिस्तानी आतंकी अशफाक को फांसी की सजा सुनाई थी. दो अन्य दोषियों नजीर अहमद कासिद और उसके बेटे फारूक अहमद कासिद को उम्रकैद मिली थी. एडिशनल सेशंस जज ओपी सैनी ने अशफाक की पत्नी रेहमाना यूसुफ फारूकी को आतंकियों को शरण देने का दोषी पाया था और उसे 7 साल की सजा सुनाई थी. तीन अन्य आरोपियों को भी 7 साल की सजा सुनाई गई थी.