बढ़ती महंगाई दर बढ़ा सकती है रिजर्व बैंक की मुश्किलें, ग्रोथ को लग सकता है झटका

RBI

खुदरा महंगाई दर में लगातार तेजी आ रही है. मई में खुदरा महंगाई दर रिजर्व बैंक के मैक्सिमम रेंज 6 फीसदी से बढ़कर 6.3 फीसदी पर पहुंच गई. यह पिछले छह महीने में सबसे अधिक है. अगर महंगाई दर में यह तेजी जारी रहती है या फिर यह रिजर्व बैंक के दायरे 2-6 फीसदी से बाहर रहती है तो मॉनिटरी पॉलिसी के लिए ग्रोथ पर फोकस करना कठिन होगा. रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी की अगली बैठक अगस्त में होने वाली है.

महंगाई दर  में तेजी को लेकर आर्थिक जानकारों का कहना है कि रिजर्व बैंक अभी रेपो रेट में बढ़ोतरी को लेकर किसी तरह का फैसला नहीं लेगा. हालांकि बढ़ती महंगाई पर विशेष चर्चा जरूरी होगी. इकोनॉमिस्ट्स का कहना है कि 2022 से पहले महंगाई दर में तेजी संभव नहीं है. हालांकि इस बात की संभावना जताई गई है कि रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया दिसंबर तिमाही में रिवर्स रेपो रेट में बढ़ोतरी करे. आरबीआई गवर्नर कई मौके पर कह चुके हैं कि अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए जब तक जरूरी होगा, रिजर्व बैंक उदार नीति पर कायम रहेगा.

मई में खुदरा महंगाई दर 6.3 फीसदी रही, जबकि अप्रैल के महीने में खुदरा महंगाई दर 4.23 फीसदी रही थी. खुदरा मुद्रास्फीति का यह आंकड़ा इसलिए महत्वपूर्ण होता है, क्योंकि इसी के आधार पर रिजर्व बैंक अपनी मॉनिटरी पॉलिसी को संभालता है. पिछले सप्ताह RBI MPC की अहम बैठक हुई थी. इसमें रिजर्व बैंक ने लगातार सातवीं बार रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं करने का फैसला किया था. अभी रेपो रेट 4 फीसदी और रिवर्स रेपो रेट 3.35 फीसदी है. उस समय गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि आर्थिक सुधार के लिए RBI हर जरूरी कदम उठाने के लिए तैयार है.

चालू वित्त वर्ष के लिए इंफ्लेशन टार्गेट 5.1 फीसदी

Reserve Bank of India ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए रिटेल इंफ्लेशन का अनुमान 5.1 फीसदी रखा है. उसके मुताबिक जून तिमाही में खुदरा महंगाई दर 5.2 फीसदी, सितंबर तिमाही में यह 5.4 फीसदी, दिसंबर तिमाही में 4.7 फीसदी और मार्च तिमाही में इसके 5.3 फीसदी रहने का अनुमान लगाया गया है.

कच्चे तेल में तेजी चिंताा का विषय

माना जा रहा है कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए इंफ्लेशन टार्गेट को बढ़ा सकता है. कच्चे तेल की कीमत में जिस तरह तेजी आ रही है, वह चिंता का विषय है. एक तरफ इंटरनेशनल मार्केट में कच्चे तेल का भाव बढ़ रहा है, दूसरी तरफ सरकार टैक्स में बढ़ोतरी कर रही है. रिफाइनरी प्रोडक्ट में 90 फीसदी हिस्सेदारी कच्चे तेल की होती है. पेट्रोल-डीजल महंगा होने से ट्रांसपोर्टेशन कॉस्ट भी बढ़ जाता है. इससे फूड कॉस्ट बढ़ जाता है.