गोरखपुर: नदियां उफनाईं, 113 गांव घिरे, मवेशियों संग बंधे पर आ गई पूरी गृहस्थी
नदियों के उफान और खतरे का निशान पार करने के बाद से गोरखपुर के 113 गांव के लोगों की दुश्वारियों के दिन शुरू हो गए हैं. 10 दिन से गांवों के बाढ़ के पानी से घिरने की वजह से हजारों ग्रामीणों को मुश्किलों में दिन-रात गुजारना पड़ रहा है. घरों में जहां कमर से ऊपर पानी है, तो सारा सामान रामभरोसे छोड़कर वे छोटे बच्चों, मवेशियों और पूरी गृहस्थी के साथ बंधे पर शरण लेने को मजूबर हैं. ऊपर से रुक-रुककर हो रही बारिश ने मुश्किलें और अधिक बढ़ा दी है. प्रशासनिक मदद के नाम पर न तो राशन ही मिल पा रहा है और न ही तिरपाल के साथ अन्य जरूरी सुविधाएं ही मिल रही हैं.
हालात खराब हुए, ग्रामीण परेशान
गोरखपुर के पश्चिम में उत्तरी कोलिया गांव के अधिकतर लोगों का घर या तो बाढ़ के पानी से घिर गया है. या फिर कमर से ऊपर पानी होने की वजह से उन्हें बंधे पर शरण लेनी पड़ रही है. शहर से सटे उत्तरी कोलिया गांव के बंधे पर शरण लिए लोगों को राशन, तिरपाल और दवाइयां तो दूर क्लोरीन की गोलियां तक नहीं मिल पाईं हैं. चिकित्सकों की टीम का यहां आना तो दूर की बात है. यहां के बंधे पर शरण लिए अधिकतर लोग ठेला चलाकर और मजदूरी करके जीवन-यापन करते हैं. ऐसे में बांस और तिरपाल खुद खरीदकर वे छाजन बना रहे हैं. ऐसे भी बहुत से लोग हैं, जिनके पास इसके लिए भी पैसे नहीं हैं.
प्रशासन का दावा
प्रशासनिक रिपोर्ट की मानें तो सोमवार को छह मेडिकल टीम को इलाज के लिए बाढ़ प्रभावित गांवों में लगाया गया है. 139 टीमें अब तक 4,995 लोगों का इलाज कर चुकी हैं. क्लोरीन की कुल 54,653 गोलियां उपलब्ध कराई गई हैं. अब तक कुल 12,798 ओआरएस पैकेट बांटे जा चुके हैं. कुल 60,992 आबादी और 5500 हेक्टेयर क्षेत्रफल प्रभावित है. 1,165 राहत खाद्यान्न किट और तारपोलीन का वितरण बाढ़ प्रभावित गांवों में किया गया है. एनडीआरएफ और आरआरसी की दो यूनिट और एसडीआरएफ की एक यूनिट को तैनात किया गया है.
प्रशासन पर आरोप
प्रशासनिक दावे की हकीकत जानने जब हम शहर के पश्चिमी छोर पर राप्ती और रोहिन के संगम स्थल पर बने डोमिनगढ़ पुल को पार कर उत्तरी कोलिया गांव पहुंचे, तो पिछले साल की तरह ही इस साल भी रोजमर्रा की जरूरत के सामान वहां बंधे पर शरण लिए लोगों तक नहीं पहुंचे थे. गांव में रहने वाली अंजलि बताती हैं कि उनका पांच लोगों का पारिवार है. पति दीपचंद ठेला चलाते हैं. परिवार में बच्ची राधिका, राज और मांझी हैं. गांव में बने घर में पानी लगने से बच्चों के भी डूबने का खतरा है. आने-जाने की भी दिक्कत है. यही वजह है कि बंधे पर 8 दिन से वे बंधे पर शरण ली हैं. बारिश की वजह से पानी बढ़-घट रहा है. किसी तरह से गुजारा हो रहा है. पूरी गृहस्थी लेकर वे यहां पर हैं.
नदियां खतरे के निशान से ऊपर
गोरखपुर के जिला आपदा विशेषज्ञ गौतम गुप्ता बताते हैं कि, गोरखपुर में राप्ती नदी बर्डघाट पर खतरे के निशान से 0.74 आरएल मीटर ऊपर ऊपर 75.720 आरएल मीटर पर बह रही है और चढ़ान पर है. कुआनो खतरे के निशान से 1.27 आरएल मीटर नीचे 77.380 आरएल मीटर पर बह रही है और उतार पर है. घाघरा अयोध्या पुल पर 0.21 मीटर ऊपर 92.940 आरएल मीटर और तुर्तीपार में खतरे के निशान से 0.38 आरएल मीटर ऊपर 64.390 आरएल मीटर पर बह रही है और चढ़ान पर है. रोहिन त्रिमुहानी घाट पर खतरे के निशान से 1.05 आरएल मीटर नीचे 81.390 आरएल मीटर पर बह रही है और चढ़ान पर है. गोर्रा नदी पिण्डरा में खतरे के निशान से 0.4 आरएल मीटर ऊपर ऊपर बह रही है और स्थिर है.
113 गांव बाढ़ से घिरे
इस बीच 113 गांव बाढ़ से घिरे और मैरुंड भी हो गए हैं. इससे इसमें सदर के 26, कैंपियरगंज में 13, सहजनवां में 13, चौरीचौरा में 2, गोला में 40, बांसगांव में 4, खजनी में 15 गांव बाढ़ से घिर गए हैं. रोहिन और राप्ती नदी की बाढ़ से घिरे गांव में छोटी-बड़ी कुल 321 नाव राहत के लिए उपलब्ध है, जिसमें 148 नाव को लगाया गया है. इसमें सर्वाधिक सदर में 86, सहजनवां में 13, कैंपियरगंज में 8, गोला में 25, बांसगांव में 4, चौरीचौरा में 05 और खजनी में 7 नाव लगी है.