विदेश मंत्री जयशंकर ने की रूसी विदेश मंत्री से मुलाकात, दोनों देशों के द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती देने समेत इन मुद्दों पर हुई चर्चा
विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने 2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता से पहले सोमवार को रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की. विदेश मंत्रालय ने पिछले महीने कहा था कि भारत और रूसी संघ के बीच “टू प्लस टू” वार्ता के एजेंडे में पारस्परिक हित के राजनीतिक और रक्षा मुद्दे शामिल होंगे. आज हुई बैठक में रूस और भारत के द्विपक्षीय सहयोग को मजबूती देने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई.
बैठक के दौरान विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने कहा, ‘ये हमारी चौथी बैठक है. ये भारत और रूस के बीच विशेष और विशेषाधिकार प्राप्त रणनीतिक साझेदारी का प्रतीक है. आज हमारे पास न केवल अपने द्विपक्षीय संबंधों और वैश्विक स्थिति पर चर्चा करने का अवसर है बल्कि हम पहली 2+2 बैठक में भी हिस्सा लेंगे.’
जयशंकर ने आगे कहा, ‘हमारे लिए वार्षिक भारत-रूस शिखर सम्मेलन यूनिक इवेंट है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन विश्वास का रिश्ता साझा करते हैं. हम शिखर सम्मेलन से बहुत ही महत्वपूर्ण परिणामों की आशा कर रहे हैं. भारत-रूस के बीच साझेदारी यूनिक है. मुझे विश्वास है कि आज की वार्ता बहुत फलदायी साबित होगी.’
Russian Foreign Minister Sergey Lavrov and External Affairs Minister Dr. S Jaishankar meet in New Delhi. pic.twitter.com/cK49kEV4x7
— ANI (@ANI) December 6, 2021
हस्ताक्षर के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेजों का मसौदा तैयार
रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने विदेश मंत्री जयशंकर के साथ बैठक के दौरान उद्घाटन भाषण दिया. उन्होंने कहा, ‘रूस-भारत संबंधों की प्रकृति के बारे में आपने (जयशंकर ने) जो कहा, उसकी मैं फिर से पुष्टि करना चाहता हूं. हम आज 2+2 वार्ता की बैठक का इंतजार कर रहे हैं. आज की बैठक के बाद हस्ताक्षर करने के लिए महत्वपूर्ण दस्तावेजों का मसौदा तैयार किया गया है.’
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की रूसी समकक्ष के साथ बैठक
बता दें इससे पहले, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई शोइगु के साथ बैठक की. दोनों देशों के रक्षा मंत्री के बीच यह बैठक नई दिल्ली के सुषमा स्वराज भवन में हुई. बताया जा रहा है कि इस बैठक में कई मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की गई है. जानकारी के मुताबिक जिन मुद्दों पर चर्चा की गई है, उनमें- पांचों S400 मिसाइल की समय से सप्लाई सुनिश्चित करना और आने वाले दो S400 की तैनाती में रूस द्वारा मदद को प्रभावी तरीके से पहुंचाना आदि शामिल हैं.