जन्मदिन विशेष:…जब सचिन को करनी पड़ी थी विकेटकीपिंग और उनकी आंख फूटते-फूटते बची
क्रिकेट में ‘भगवान’ का दर्जा पा चुके सचिन तेंदुलकर अपना 46वां जन्मदिन मना रहे हैं। सचिन ने भले ही आज क्रिकेट से संन्यास ले लिया है, लेकिन आज भी वो क्रिकेट फैन्स के दिलों पर छाए रहते हैं। मराठी कवि रमेश तेंदुलकर के घर जन्मे सचिन को बचपन से ही क्रिकेट खेलने का शौक था। उनके इसी शौक ने बाद में उन्हें दुनिया भर में कभी न मिटने वाली पहचान दिलाई। सचिन की ऑटोबायोग्राफी भी आई है और उसमें उनके बारे में कुछ अनसुनी और दिलचस्प बातें बताई गई हैं। उन्हीं किस्सों में से एक किस्सा है ये-
सचिन को आपने बैटिंग, बॉलिंग और फील्डिंग करते हुए देखा होगा, लेकिन इंटरनेशनल करयिर में उन्होंने बस एक ही चीज नहीं की और वो है विकेटकीपिंग। बचपन में एक बार उन्होंने कीपिंग में हाथ आजमाया था, लेकिन इसका उन्हें भारी नुकसान उठाना पड़ा। इस बारे में उन्होंने अपनी ऑटोबायोग्राफी ‘प्लेइंग इट माइ’ वे में बताया है। उन्होंने शिवाजी पार्क में खेले गए 1 मैच के बारे में बताया, ‘बचपन में मेरी जिंदगी एडवेंचर से भरी थी। मैं शिवाजी पार्क में क्रिकेट खेल रहा था। तब मेरी उम्र 12 साल की थी और मैं अपनी टीम का कैप्टन था और मेरी टीम के विकेटकीपर को चोट लग गई थी। मैंने अपनी पूरी टीम से पूछा कि क्या कोई विकेटकीपिंग करेगा, लेकिन कोई किसी ने हां नहीं बोला। जिसके बाद मुझे खुद विकेट कीपिंग करनी पड़ी।’
सचिन के मुताबिक, ‘मैं विकेटकीपिंग करने में परफेक्ट नहीं था और तभी एक बॉल मिस हुई और तेजी से मेरी तरफ आई। मैं इससे पहले कुछ करता, बॉल सीधे मेरे चेहरे पर लगी। मुझे काफी गहरी चोट लग गई थी और खून भी काफी बहने लग गया था। मेरी आंख बाल-बाल बची थी।’
उन्होंने आगे ये भी बताया कि उस समय उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वो टैक्सी लेकर घर जाते और बस में बैठकर जाने से भी उन्हें शर्म आ रही थी। फिर उन्होंने अपने एक दोस्त से साइकिल पर लिफ्ट मांगी। जब वो घर पहुंचे, तब उनके घर पर माता-पिता नहीं थे, पर दादी थीं। सचिन ने अपनी दादी से इस चोट के बारे में किसी को भी बताने से मना कर दिया था। जिसके बाद उनकी दादी ने कहा कि उन्हें पता है कि ऐसी चोट से कैसे निपटना है। उन्होंने मेरी चोट पर हल्दी लगाई और उनके इस घरेलु नुस्खे से मेरी चोट जल्द से जल्द ठीक भी हो गई थी।