कटाक्षः ये ‘धन सिंह’ है बाॅस, कोई ‘संत’ या ‘भयभीत बयार’ नहीं

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देहरादूनः उत्तरखंड में मुख्यमंत्री की हालात गांव के उस चौकीदार की तरह है। जिसे हटाने के लिए आये दिन खूब साजिशें रची जाती हैं। चौकीदार पर संदेह व्यक्त किये जाते हैं, गंभीर आरोपों से उसकी निष्ठा को छलनी किया जाता है। लेकिन शायद ही ऐसा कोई चौकीदार हो जो अपनी माटी के प्रति वफादार न हो। ऐसा ही हाल प्रदेश के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का भी है। उनके खिलाफ भी खूब सियासी साशिजें रची जाती है। उनकी निष्ठा पर सवाल खड़े किए जाते हैं। हर रोज उन्हें सत्ता से हटाने दुष्चक्र रचे जा रहे हैं।

साजिशकर्ता इतने बेशर्म हैं कि उन्हें शर्म ही नहीं। हर बार मुंह की खाने के बाद भी षड़यंत्र रचने से बाज नहीं आते। सोशल मीडिया के जरिये लगातार ऐसी खबरें परोसी जाती है कि एक बार के लिए जनता भी भरोसा कर जाय। लेकिन हर बार षड़यंत्रों के चक्रव्यूह को भेद कर त्रिवेंद्र साबित कर देते हैं कि वह गांव के उस चौकीदार की तरह हैं जो अपनी माटी की दिन-रात ‘जग्वाल’ करता है।

दिल्ली में बैठे आकाओं के इशारे पर धन सिंह का सहारा

यह सर्वविदित है कि त्रिवेंद्र सिंह रावत को प्रदेश का एक खास धड़ा कतई भी पसंद नहीं करता। इस वर्ग सोच अपनी बिरादरी तक सीमित है। सत्ता के शीर्ष पर यह खुद को देखना चाहते हैं। लिहाजा त्रिवेंद्र इनकी आंखों में हमेशा खटकता रहता है। ऐसे में यह वर्ग उनके खिलाफ हर बार षड़यंत्र रचने में जुटा रहता है। यह वर्ग सीधे तौर कर कभी सामने नहीं आता बल्कि मोहरों का इस्तेमाल करता है। जिसके लिए वह नए चेहरे तलाशता रहता है और नये-नये चेहेरों पर दांव खेलता है। हर चेहरों के कंधों का बखूबी इस्तेमाल कर सियासी फायर किये जाते हैं। ये कंधे कभी अजय भट्ट के होते हैं तो कभी तीरथ सिंह रावत के। कभी सतपाल महाराज के तो कभी किसी और के। लेकिन इस बार जिस कंधे का इस्तेमाल षड़यंत्रकारियों ने किया वह कंधा डाॅ. धन सिंह रावत का था जो साजिशकर्ताओं पर उल्टा पड़ गया। षड़यंत्रकारियों को मालूम था कि उनके पास अब कोई ऐसा चेहरा नहीं बचा है जिसका इस्तेमाल वह मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह के खिलाफ कर सके।

पाखंडी दिमागों ने खूब गणित लगाया

ऐसे में पाखंडी दिमागों ने खूब गणित लगाया और पाया कि धन सिंह रावत आखिरी लेकिन मजबूत कंधा है। जिसे इस्तेमाल कर त्रिवेंद्र पर करारा फायर झोंका जा सकता है। उन्हें यह भी मालूम था कि धन सिंह पहले वाले कंधों के जैसा मुफीद नहीं है। लेकिन रिस्क लिया गया, स्क्रिप्ट तय हुई और होम कोरंटाइन हुए मुख्यमंत्री को शक्ति विहीन बता कर धन सिंह को कार्यवाहक मुख्यमंत्री घोषित कर डाला।

इस अफवाह की आग सोशल मीडिया में लगाई गई जिसकी लपटों से उत्तराखंड की सियासत धधकने लगी। दिल्ली में बैठे आका इसकी तपिश का आनंद उठाते कि तभी धन सिंह ने उल्टा फायर झोंक दिया और षड़यंत्रकारियों के मंसूबों पर पानी फेर दिया।

जिस सोशल मीडिया में षड़यंत्रकारियों ने साजिश की आग लगाई थी। डाॅ धन सिंह रावत ने उसी सोशल साइट पर कटाक्ष करते हुए कहा कि उन्हें कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर प्रचारित करने के पीछे पड़यंत्रकारियों का हाथ है। उन्होंने इस कृत्य को मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत की छवि खराब करने की साशिज बताया।

डाॅ धन सिंह रावत के जवाब से बैकफुट पर शाजिसकर्ता

डाॅ धन सिंह रावत ने साफ कहा कि मुख्यमंत्री भले ही सेल्फ कोरंटाइन में हैं लेकिन वह खुद ही कामकाज देखेंगे। धन सिंह के इस कटाक्ष के विरोध खेमे में खलबली मची है। उन्हें रत्तीभर अहसास नहीं था कि धन सिंह इस तरह उनकी साजिश को तबाह कर देंगे।

डाॅ धन सिंह ने जिस तरह इस षड़यंत्र पर कटाक्ष किया उससे विरोधी चारों खाने चित्त हो गये। धन सिंह ने अपने कटाक्ष से जतला दिया कि वह सतपाल महाराज, अनिल बलूनी, अजय भट्ट और रमेश पोखरियाल निशंक की तरह नहीं है। बल्कि वह सही मायने में पार्टी के समर्पित सिपाही और मुख्यमंत्री के सहयोगी हैं। उन्होंने यह भी साबित कर दिया कि वह हर वक्त सीएम त्रिवेंद्र के साथ खड़े है और षड़त्रकारियों के झांसे के शिकार न होने वाले राजनेता हैं।