September 22, 2024

सावन का तीसरा सोमवार: केसरिया हुई काशी, तीन सागर और 12 नदियों के जल से हुआ बाबा का अभिषेक

सावन के तीसरे सोमवार पर काशी की सड़कें बाबा विश्वनाथ के भक्तों से पटीं हैं। हर-हर महादेव और बोल बम के गगनभेदी नारों के साथ नंगे पैर सड़कों पर कांवरियों का सैलाब उमड़ पड़ा है। विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र कांवरियों के कारण केसरिया रंग में रंगा नजर आ रहा है। गंगा द्वार से प्रवेश बंद है।

शहर के केदारेश्वर, मृत्युंजय महादेव मंदिर, सारंग नाथ, कर्मदेश्वर महादेव और बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर समेत अन्य देवालयों में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटी है। बाबा विश्वनाथ के दरबार में सुबह 10 बजे तक तीन लाख से ज्यादा भक्तों ने मत्था टेका है। विश्वनाथ मंदिर प्रशासन का अनुमान है कि सावन के तीसरे सोमवार पर शिवभक्तों का आंकड़ा छह लाख को पार कर जाएगा।

रविवार को भी बाबा विश्वनाथ के दरबार में भक्तों का रेला उमड़ा था। श्रद्धालुओं की भीड़ का आलम यह था कि शयन आरती तक लगभग तीन लाख शिवभक्तों ने बाबा का जलाभिषेक किया। सावन के तीसरे सोमवार पर रात से ही बाबा का जलाभिषेक करने के लिए शिवभक्तों की कतार लगनी शुरू हो गई थी। सोमवार अलसुबह मंगला आरती के बाद बाबा विश्वनाथ के मंदिर के गर्भगृह के पट झांकी दर्शन के लिए खुले तो कतार में खड़े श्रद्धालु हर-हर महादेव के जयकारे लगाने लगे। दर्शन-पूजन का सिलसिला अनवरत जारी है।

अर्द्धनारीश्वर स्वरूप में देंगे भगवान भक्तों को दर्शन

विश्व के नाथ बाबा विश्वनाथ सावन के  तीसरे सोमवार को अपने अद्भुत स्वरूप में भक्तों को दर्शन देंगे। भक्त भगवान शिव के अर्द्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन करेंगे। खास बात यह है कि भगवान शिव का यह स्वरूप भक्तों के लिए होता है। मनुस्मृति के अनुसार महादेव ने स्वयं को दो भागों में विभक्त करके अर्द्धनारीश्वर स्वरूप के दर्शन कराए थे।

तीन सागर और 12 नदियों के जल से हुआ बाबा का अभिषेक

बाबा विश्वनाथ के दर पर श्रद्धालुओं का रेला
बाबा विश्वनाथ के दर पर श्रद्धालुओं का रेला – फोटो : अमर उजाला

सावन के तीसरे सोमवार पर  बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक बेहद खास रहा। लंबे अंतराल के बाद देश की 12 पवित्र नदियों और तीन सागर के जल से अभिषेक किया गया।   सावन के तीसरे सोमवार पर परंपरागत रूप से विश्वनाथ गली व्यवसायी संघ द्वारा बाबा विश्वनाथ का जलाभिषेक किया गया।

विश्वनाथ गली व्यवसायी संघ के नेतृत्व में होने वाले जलाभिषेक में इस बार विशेष तौर पर देश के विभिन्न भागों से 12 नदियों व तीन सागरों जिनमें गंगा के अलावा यमुना, सरस्वती (त्रिवेणी-संगम), कावेरी, ताप्ती, ब्रह्मपुत्र, अलकनंदा, वरुणा, गोदावरी, क्षिप्रा, सिन्ध, कृष्णा, नर्मदा के साथ ही तीन महासागरों महानद (गंगासागर), अरब-सागर के साथ ही हिंद-महासागर का जल मंगाया गया था। शास्त्रार्थ महाविद्यालय के 11 वैदिकों द्वारा पूजन कराया गया।

जलाभिषेक के लिये विश्वनाथ गली के व्यापारी सुबह आठ बजे चितरंजन पार्क पर इक्कठा हुए। डमरूओं की गड़गड़ाहट और शंख ध्वनि करते हुए व्यापारियों का समुह परंपरागत मार्ग  सिंहद्वार (डेढ़सीपुल) से साक्षी-विनायक होते हुए गेट नं.-1 ढुंढिराज गणेश से विश्वनाथ मंदिर में जलाभिषेक करने पहुचे। गर्भ-गृह में बाबा का जलाभिषेक के पश्चात व्यापारी अन्नपूर्णा दर्शन करके ढुंढिराज से होकर वापस साक्षी-विनायक पहुंच कर पूजन किया।

सावन में अब तक 45 लाख से अधिक शिवभक्त पहुंचे बाबा दरबार

कोरोना काल और बाबा विश्वनाथ धाम के निर्माण के बाद सावन में बाबा विश्वनाथ के दर्शन के लिए आने वालों का रेला उमड़ पड़ा। 14 जुलाई से 31 जुलाई तक 45 लाख से अधिक शिवभक्त बाबा के दरबार में दर्शन के लिए पहुंचे हैं। मंदिर प्रशासन की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार केवल दोनों सोमवार को ही 11 लाख से अधिक शिवभक्तों ने बाबा का जलाभिषेक किया।


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