September 22, 2024

बिलकिस बानो: सुप्रीम कोर्ट का गुजरात सरकार को आदेश, दो हफ्तों के अंदर नौकरी और मुआवजा दें

उच्चचतम न्यायालय में आज 2002 गुजरात दंगे की पीड़िता बिलकिस बानो की याचिका पर सुनवाई करते हुए गुजरात सरकार को दो हफ्तों के अंदर सामूहिक दुष्कर्म पीड़िता को 50 लाख का मुआवजा, घर और नौकरी देने का आदेश दिया है। इससे पहले भी अप्रैल में उच्चचतम न्यायालय ने गुजरात सरकार को बिलकिल बानों को इस तरह की सुविधा देने का आदेश दिया था लेकिन सरकार ने अदालत से अपने आदेश पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया जिसे आज अदालत ने खारिज कर दिया।

क्या है बिलकिस बानो मामला

2002 के दंगों के दौरान 21 साल की उम्र में बिलकिस के साथ सामूहित दुष्कर्म हुआ था। दंगों में उनकी दो साल की बेटी को मार दिया गया था। 3 मार्च 2002 को 14 लोग जिसमें चार महिलाएं और चार बच्चे शामिल थे, उनकी हत्या कर दी गई थी। वहीं 19 साल की बिलकिस याकूब रसूल के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया गया और वहीं मरने के लिए छोड़ दिया गया। इस क्रूरता के बाद उनकी जान बच गई और उन्होंने न्याय के लिए लंबी लड़ाई लड़ी।

साल 2017 में बंबई उच्च न्यायालय ने सभी 11 आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। अदालत ने इस अपराध के सात आरोपी जिसमें डॉक्टर और पुलिसवालों शामिल थे उन्हें बरी करने के फैसले को रद्द कर दिया। इन सभी पर सबूतों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप था।

गोधरा कांड के चौथे दिन गुजरात में सांप्रदायिक हिंसा फैल गई थी। हजारों हिंदू और मुस्लिम परिवार सुरक्षित स्थानों पर जा रहे थे। इसमें से ही एक बिलकिस बानो का परिवार था। उनका परिवार ट्रक में बैठकर जा रहा था। उसमें 17 लोग थे। तभी 30-35 हमलावरों ने उनपर दाहोद जिले के रंधिकपुर के पास हमला कर दिया।

हमलावरों ने एक घंटे के अंदर ट्रक में मौजूद 14 लोगों की हत्या कर दी। मृतकों में बिलकिस की दो साल की बेटी सालेहा भी शामिल थी। उसके सिर को धड़ से अलग कर दिया गया। घटना के समय बिलकिस पांच महीने की गर्भवती थी। उनके साथ हमलावरों ने सामूहिक दुष्कर्म किया। उन्होंने दोषियों के नाम गोविंद नाई, जसवंत नाई और शैलेष भट्ट बताए थे। दुष्कर्म के बाद हमलवार उन्हें मरने के लिए छोड़ गए।


Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

WP2Social Auto Publish Powered By : XYZScripts.com