SC ने किया चुनावी बांड की बिक्री पर रोक से इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को केंद्र और चुनाव आयोग की दलीलों को बरकरार रखते हुए चुनावी बांड की बिक्री पर रोक लगाने से इनकार कर दिया। पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव से कुछ ही दिन पहले सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला आया है। यह निर्णय भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली शीर्ष अदालत की पीठ द्वारा दिया गया।
मामले में एक याचिका एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर की गई थी, जोकि एक गैर सरकारी संगठन है, जिसने पश्चिम बंगाल, असम, केरल, पुडुचेरी और तमिलनाडु में आगामी राज्य विधानसभा चुनावों के मद्देनजर इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री पर रोक लगाने के लिए अंतरिम निर्देश की मांग की थी।
याचिका में, एडीआर ने यह आशंका जताई कि पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव से पहले इलेक्टोरल बॉन्ड की बिक्री ‘शेल कंपनियों के माध्यम से राजनीतिक दलों के अवैध धन को बढ़ाएगी।
फैसला सुनाते हुए बोबडे ने कहा कि 2018 में शुरू की गई योजना में ‘चुनावी बॉन्ड’ 2018, 2019, 2020 में बिना किसी बाधा के जारी किया गया है। हम इस पर स्टे लगाने का कोई कारण नहीं दिखता है।
अपने तर्कों में केंद्र ने पीठ को बताया था, जिसमें जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम भी शामिल थे कि बांड 1 से 10 अप्रैल के बीच जारी किए जाएंगे।
सुनवाई के दौरान, भारत के अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने अदालत को आश्वासन दिया था कि चुनावी बॉन्ड के माध्यम से प्राप्त धन व्हाइट मनी था जो केवल चेक और डिमांड ड्राफ्ट के माध्यम से जारी किया जा सकता था और जिसके लिए नो योर कस्टमर (केवाईसी) मानदंडों का पालन किया जाना है।